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राज्य सरकार के दोहरे मापदंड से परेशान अितथि शिक्षक

स्कूल शिक्षा विभाग प्रदेशभर के प्राइमरी, मिडिल व हाईस्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए रिक्त पदों पर हर साल 70 हजार अतिथि शिक्षकों की एक साल के लिए नियुक्ति करता है।
इन अतिथि शिक्षकों को 3 से 6 हजार रुपए प्रति माह मानदेय मिलता है जबकि कॉलेजों के अतिथि विद्धानों को 35 ये 38 हजार तक मािसक मानदेय मिलता है। जुलाई 2018 में उच्च शिक्षा विभाग ने अतिथि विद्वानों का मानदेय 825 रुपए प्रतिदिन से बढ़ाकर 1500 रुपए प्रतिदिन कर दिया। इस हिसाब से अतिथि विद्वान महीने भर में अधिकतम 38 हजार रुपए मानदेय प्राप्त कर रहे हैं। इस मामले में स्कूलों में पदस्थ अतिथि शिक्षकों का कहना है कि राज्य सरकार हमारे साथ भेदभाव कर रही है। अधिकांश अतिथि शिक्षकों को 5 से 8 साल नौकरी करते हो गए हैं, इस कारण वह अब कोई अन्य नौकरी या व्यापार नहीं कर पा रहे हैं। इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के राज्य मंत्री से बात की तो उन्होंने बताया कि हम अतिथि शिक्षकों की बेहतरी के लिए आगामी संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा मे बोनस व आरक्षण दे रहे हैं। जहां तक मानेदय बढ़ाने की बात है तो हम मानदेय बढ़ाने पर भी विचार करेंगे।

इस तरह मिलता है अतिथि शिक्षकों को मानदेय

अतिथि शिक्षक वर्ग एक के लिए आवेदक की योग्यता पोस्ट ग्रेजुएट व बीएड होना अनिवार्य है। वर्ग एक के अतिथि शिक्षक को 4500 रुपए। वर्ग दो के लिए ग्रेजुएट व बीएड होना चाहिए, इन्हें 3500 रुपए प्रतिमाह। इसी तरह वर्ग तीन के लिए इंटर पास के साथ डीएड होना चाहिए। वर्ग 3 के अतिथि शिक्षकों को 2500 रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता है।

बोनस अंक देने की व्यवस्था कर रहे हैं

 स्कूल शिक्षा विभाग भी अतिथि शिक्षकों की बेहतरी के लिए प्लान बना रहा है। आगामी संविदा शाला पात्रता परीक्षा में बोनस अंक व आरक्षण देने पर विचार किया जा रहा है। जहां तक शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने की बात है तो हम इस मामले मंे शीघ्र ही आगामी निर्णय लेंगे। दीपक जोशी, राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा

हमारा मानदेय सबसे कम है

 कॉलेजों से लेकर सभी विभागों के कर्मचारियों का मानदेय हमसे ज्यादा है। अतिथि विद्वानों का मानदेय राज्य सरकार ने 1500 रुपए प्रतिदिन कर दिया है लेकिन हमारा मानदेय 150 रुपए से भी कम है। सरकार को हमारे बारे में भी विचार करना चाहिए।

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