शहडोल. प्रदेश के शिक्षा विभाग की व्यवस्थाओं में कितने
छेद हैं, इसकी बानगी बुधवार को देखने को मिली। पांच शिक्षक लंबे समय से
फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी कर रहे थे, लेकिन विभाग उन पर कार्रवाई नहीं कर
सका। ऐसा नहीं है कि विभाग को इस मामले की जानकारी नहीं थी।
जानकारी होने
के बाद भी आंख बंद करके बैठे रहे। जब लोकायुक्त ने इसकी जांच की तो मामला
सही पाया गया। अब इस मामले में पांच लोगों पर एफआईआर की गई है। हालांकि
शिक्षा विभाग ने इन पर क्या कार्रवाई की है, इसकी अभी तक कोई जानकारी सामने
नहीं आई है।
दस्तावेज और मार्कशीट में हेरफेर करते हुए ब्यौहारी में
पांच शिक्षक फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे थे। शिकायत के बाद लोकायुक्त ने
जांच की। हेरफेर मिलने पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। सभी आरोपी पिछले दस
साल से ज्यादा समय स नौकरी कर रहे थे। टीआई ब्यौहारी हेमंत बार्वे ने
बताया कि शिक्षक अरुण कुमार तिवारी, लाल दवे सिंह, शंकर सिंह, रामनरेश
सिंह, चोखेलाल प्रजापति संविदा शिक्षक के पद पर पदस्थ थे। मामले की शिकायत
लोकायुक्त से की गई थी कि जन्मतिथि के अलावा प्राप्तांक और दस्तावेजों में
कई तरह का हेरफेर किया है। जांच में पांचों शिक्षकों के दस्तावेजों में
हेरफेर पाया गया। कुछ शिक्षकों के जन्मतिथि में हेरफेर था तो कुछ के नंबरों
में गड़बड़ी मिली थी। इसके अलावा बोर्ड के दस्तावेजों की जांच में दोनों
रिकार्ड का मिलान नहीं हुआ था। जिसके बाद लोकायुक्त ने विभाग को गड़बड़ी की
जानकारी दी थी। मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने एफआईआर के लिए
पुलिस और बीईओ को पत्र लिखा था। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी शिक्षक अरुण
कुमार तिवारी, लाल दवे सिंह, शंकर सिंह, रामनरेश सिंह, चोखेलाल प्रजापति पर
धोखाधड़ी व कई धाराओं मामला दर्ज किया है। शिक्षा विभाग ने इन पर क्या
कार्रवाई की है, इसकी अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
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