दर्जनों सरकारी स्कूल शिक्षकों की कमी के कारण अतिथि शिक्षकों के भरोसे
हैं। शिक्षकों की कमी का मुख्य कारण जो शिक्षक रिटायर्ड हो गए हैं उनके
स्थान पर नई नियुक्ति नहीं होना है।
दो सत्र बीत गए हैं लेकिन शिक्षकों की
पदपूर्ति नहीं हो पाई है। कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक
जमे हैं।
ब्लॉक में 220 प्रावि और 97 मावि स्कूल है। मापदंड के अनुसार प्रत्येक
प्रावि में दो शिक्षक और मावि में तीन शिक्षक होना अनिवार्य है। आज भी 5
प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं जिनमें एक ही शिक्षक पढ़ा रहे हैं। 3मिडिल स्कूल ऐसे
हैं जो अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। 15 स्कूल में एक-एक शिक्षक है
और 27 स्कूलों में दो शिक्षक बच्चों को अध्ययन करवा रहे हैं। दो सत्र से
ये ही स्थिति है। सुधार तो दूर परिवर्तन भी नहीं हो पाया है। शिक्षा विभाग
ने शिक्षण व्यवस्था सुधारने के लिए युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया शुरू की
थी, ताकि सभी स्कूलों में शिक्षक होने से बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले,
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ शिक्षकों को पूर्व में मावि से प्रावि में
स्थानांतरित कर दिया। बीआरसीसी देवराम मतानिया ने बताया जिन स्कूलों में
अतिशेष शिक्षक है, उन्हें कमी वाले स्कूलों में संकुल प्राचार्य के माध्यम
से भेजकर व्यवस्था की जा रही है। रिक्त पदों के विरुद्ध अतिथि शिक्षकों से
काम लिया जा रहा है।
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