लेकिन यदि आप इस परिकल्पना के साथ बल्देवगढ़ के मॉडल स्कूल में आ रहे तो सावधान हो जाए। शिक्षा विभाग ने तो जिले के हर मॉडल स्कूल की परिभाषा ही बदल दी है। यहां के मॉडल स्कूल का क्या हाल है, इसकी कल्पना आप केवल इस बात से ही कर सकते है कि यहां पर स्वीकृत 35 पदों में से मात्र 1 शिक्षक एवं एक आईटी और हेल्थ विशेषज्ञ ही पदस्थ है। ऐेसे में लोगों को विश्वास नहीं हो पाता है कि एक शिक्षक कैसे पूरे स्कूल का संचालन कर पाता होगा। लोग तो यह भी कहने लगे है कि यह शिक्षक है या अजूबा। हालांकि, शिक्षक इस बारे में अपना ही विचार है।

33 पद स्वीकृत
बल्देवगढ़ विकासखण्ड मुख्यालय पर बने मॉडल स्कूल के हाल बेहाल बने हुए है। बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा हर विकासखण्ड स्तर पर मॉडल स्कूल खोले गए थे। गरीब वर्ग के बच्चों को भी स्तरीय और प्रायवेट स्कूलों की तर्ज पर अच्छी शिक्षा मिले इसके लिए शासन ने 3 करोड़ की लागत से विशाल भवन तैयार कराने के साथ ही यहां पर विषयवार शिक्षकों के साथ ही अन्य कर्मचारियों सहित 33 पद स्वीकृत किए थे। लेकिन 3 वर्ष पूर्व खुले इस मॉडल स्कूल के अब भी हाल बेहाल है।
1 शिक्षक के भरोंसे मॉडल स्कूल: मॉडल स्कूल के लिए शासन ने 1 प्राचार्य, 9 व्याख्याता, 14 डीजीटी शिक्षक, 1 म्यूजीशियन, 1 हेल्थ, 1 आईटी, 2 लिपिक एवं 6 भृत्य के पद स्वीकृत किए थे। लेकिन पिछले तीन सालों से यहां पर केवल 1 शिक्षक ही पदस्थ है। अर्थशास्त्र के शिक्षक पीएल अहिरवार के अलावा किसी भी विषय के शिक्षक पदस्थ नही है। मॉडल स्कूल में अध्ययनरत 265 बच्चों का भविष्य इन्हीं के हाथ में है।
हेल्थ और आईटी को लगाया पढ़ाई में:
शासन ने बच्चों के स्वास्थ्य और संचार की शिक्षा देने के लिए पदस्थ किए हेल्थ और आईटी के शिक्षकों को भी पढ़ाई में लगा दिया है। इन लोगों से हिन्दी, अंग्रेजी, गणित सहित अन्य विषय पढ़वाए जा रहे है। विषय विशेष शिक्षकों की वजाए जहां यह लोग पढ़ा रहे है, वहीं शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिए शिक्षा विभाग ने यहां पर मात्र दो अतिथि शिक्षक ही नियुक्त किए है। गणित के लिए दीक्षा गुप्ता और जीव विज्ञान में सुनीता पटेल। अधिकारी यहां पर विषयवार पूरे अतिथि भी पदस्थ नही कर सके है।

अन्य सुविधाएं भी नदारद:
कहने तो मॉडल स्कूल में सर्वसुविधा युक्त विज्ञान की लैब, कम्प्यूटर लैब, लायब्रेरी, खेल का सामान, पेयजल की व्यवस्था सहित तमाम सुविधाएं दी जानी थी। लेकिन यहां पर भवन के अलावा कुछ भी देखने को नही मिल रहा है। शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिए अधिकारी जहां शासन स्तर से भर्ती करने की बात कह रहे है, वहीं अन्य सुविधाओं को लेकर वह मौन साधे हुए है। आलम यह है कि बच्चों को पीने के लिए पानी भी घर से लाना पड़ रहा है।
कहते है अधिकारी:
शिक्षकों की नियुक्तियां शासन स्तर से की जानी है। इसके लिए शासन सेे बराबर पत्राचार किया जा रहा है। अगामी सत्र में शिक्षकों की नियुक्ति की संभावना बताई जा रही है।- पीके जैन, बीईओ, बल्देवगढ़।