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मप्र में अब ये कर्मचारी भी होंगे 62 साल में रिटायर, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने कहा है कि शासकीय व्यावसायिक, तकनीकी प्रशिक्षण केंद्रों व एनसीसी के इंस्ट्रक्टर भी मप्र शासकीय सेवक (अधिवार्षिकी-आयु) द्वितीय संशोधन १९९८ के प्रावधानों, विषयवस्तु, भाषा व तथ्यों की विशद व्याख्या आवश्यक है। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस वीके शुक्ला व जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की
खंडपीठ ने अपने बहुपृष्ठीय निर्णय में कहा कि इसके तहत सरकारी तकनीकी, व्यवसायिक प्रशिक्षण संस्थानों व एनसीसी के इंस्ट्रक्टर भी शिक्षक की परिभाषा में आते हेैं। लिहाजा उन्हें भी ६२ साल में सेवानिवृत्त किया जाए।
राज्य सरकार की ओर से अपील दायर की गई है। इसमें कहा गया कि छह मार्च २००९ को सरकार ने एक आदेश जारी कर प्रदेश के तकनीकी व व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु ६० साल निर्धारित की। इसके खिलाफ रीवा जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत संचालित बुनाई प्रशिक्षण केंद्र में कार्यरत जूनियर इंस्ट्रक्टर युगल किशोर शर्मा ने सिंगल बेंच के समक्ष याचिका दायर की। इसका फैसला करते हुए कोर्ट ने सरकार के उक्त आदेश को उचित बताया। आदेश के खिलाफ कई अपीलें दायर हुईं। राज्य सरकार ने भी अपने पक्ष को सही बताते हुए अपील कर दी। मसले में निहित संवैधानिक प्रश्नों का निराकरण करने के लिए २५ सितम्बर २०१७ को डिवीजन बेंच ने मामला संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजा था। संवैधानिक प्रश्नों का निराकरण करने के बाद याचिका वापस मूल बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए वापस भेज दी गई।
सरकार का पक्ष महाधिवक्त पुरुषेंद्र कौरव, अतिरिक्त महाधिवक्त समदर्शी तिवारी व शासकीय अधिवक्ता अमित सेठ ने रखा। कोर्ट ने कहा कि सरकार के प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यरत प्रशिक्षक भी शिक्षकों के समान ६२ वर्ष में ही सेवानिवृत्ति के अधिकारी हैं। इस निर्णय के पूर्व जो एेसे प्रशिक्षक ६० साल में रिटायर किए जा चुके हैं, उन्हें दो साल के लिए रचनात्मक कार्यों के प्रशिक्षण में लगाया जा सकता है। लिहाजा उन्हें फिर से ६२ साल तक सेवा करने के लिए वापस बुलाया जाए। जो इस आदेश के पूर्व ६२ साल पूरा कर चुके हैं, उन्हें इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा।

संवैधानिक पीठ ने यह कहा-
- मप्र शासकीय सेवक (अधिवार्षिकी-आयु ) द्वितीय संशोधन १९९८ के प्रावधानों, परिभाषाओं, भाषा, विषयवस्तु आदि की विशद व्याख्या आवश्यक है।
- शिक्षक शब्द को सिर्फ सरकारी स्कूल, कॉलेज के शिक्षकों की सीमा में नहीं बांधा जा सकता।
-सरकारी तकनीकी, व्यवसायिक, मेडिक ल, नर्सिंग प्रशिक्षण केंद्रों के प्रशिक्षक भी शिक्षक की श्रेणी में आते हैं।
- एनसीसी में नेतृत्व, अनुशासन, चरित्र निर्माण व जनहित के गुणांे का प्रशिक्षण दिया जाता है, लिहाजा एेसी संस्थाओं के इंस्ट्रक्टर भी इस अधिनियम के तहत शिक्षक हैं।

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