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शिकायतकर्ता ने प्रमाण सहित सीएमएचओ से की जांच की मांग

भास्करसंवाददाता | भिंड संविदाशाला शिक्षक भर्ती में हुए फर्जीवाड़े की जांच अभी पूरी भी नहीं हो पाई है कि जिले के स्वास्थ्य महकमे में भी फर्जी दस्तावेजों से नौकरी करने वाले कर्मचारियों का मामला सामने गया है।
कूटरचित दस्तावेजों की दम पर ये कर्मचारी सालों से नौकरी कर रहे हैं, जबकि कुछ कर्मचारियों के दस्तावेज जांच में गड़बड़ पाए गए हैं। कुछ कर्मचारियों ने विभाग के अफसर और बाबूओं से सांठगांठ कर अपनी जन्मतिथि में फेरबदल कर नौकरी की समयसीमा बढ़वा ली।

बाद में शिकायत होने पर हुई जांच में जन्मतिथि का फर्जीवाड़ा पकड़ा भी गया लेकिन विभाग के अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की। अब एक बार फिर शुक्रवार को मानपुरा निवासी प्रयाग सिंह चौहान ने इस संबंध में प्रमाण सहित एक शिकायत सीएमएचओ डॉ जेपीएस कुशवाह से की गई है, जिसमें उन्होंने ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की है। वहीं सीएमएचओ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच कराने की बात कही है।

सीएमएचओ दफ्तर के बाबू और अफसर दे रहे ऐसे कर्मचारियों को संरक्षण

वरिष्ठ बताकर लिया प्रमोशन

शिकायतकर्ताने बताया कूटरचित दस्तावेजों से नौकरी करने वाले कर्मचारियों को संरक्षण देने वाले बाबू संत कुमार जैन वर्तमान में सिविल सर्जन कार्यालय में स्थापना शाखा संभाल रहे हैं। वर्ष 2006 में शासन ने प्रशासकीय आधार पर उनका स्थानातंरण भिंड सीएमएचओ दफ्तर से दमोह कर दिया था। लेकिन उन्होंने वहां ज्वाइन किया और ही स्थानातंरण आदेश निरस्त कराया। साथ ही स्वयं को वरिष्ठता में अंकित कर सहायक ग्रेड-2 पर प्रमोशन ले लिया।

चिकित्सा अधिकारियों पर लग चुके हैं संरक्षण देने के आरोप

इनकर्मचारियों को सरंक्षण देने के आरोप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के तत्कालीन स्थापना शाखा के बाबू संत कुमार जैन सहित तत्कालीन अधिकारियों पर लगे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि यदि पूरे मामले की जांच कराई जाए तो जिले में फर्जी तरीके से नौकरी करने वाले कर्मचारियों की संख्या एक सैकड़ा से ऊपर निकलेगी। उनका आरोप है कि अफसर जानबूझकर पूरे मामले में पर्दा डाले हुए हैं। यह हाल तब है, जब कई कर्मचारी जांच में दोषी पाए जा चुके हैं। उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, ऐसे में संरक्षण की बात से नकारा नहीं जा सकता।

कार्रवाई की जाएगी

^प्रयागसिंह चौहान ने जो शिकायत की है, उसके बिंदु काफी गंभीर है। पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। तभी कुछ कहा जा सकेगा। यदि कोई दोषी पाया जाता है तो संबंधित के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। -डॉ जेपीएस कुशवाह, सीएमएचओ, भिंड

सीएमएचओ कार्यालय में काम करते कर्मचारी।

फर्जी तरीके से जन्मतिथि में फेरबदल, 5 साल पहले हो जाते रिटायर, अब भी कर रहे नौकरी

स्वास्थ्य विभाग में फर्जीवाड़ा | अफसर-बाबुओं की सांठगाठ से फर्जी कर्मचारी कर रहे नौकरी

केस-3

केस-2

केस-1

तीसरा मामला सीएमएचओ कार्यालय में वाहन चालक के पद पर पदस्थ रणवीर सिंह यादव का है। ये वर्तमान में कलेक्टोरेट में अटैच हैं। शिकायतकर्ता प्रयाग सिंह चौहान के मुताबिक वे जिस पद पर कार्य कर रहे हैं, उसकी उन्हें योग्यता नहीं है। वाहन चालक पद पर नौकरी के लिए आठवीं उर्त्तीण की अंकसूची और वाहन चलाने का लाइसेंस जरूरी है। लेकिन रणवीर सिंह सिर्फ पांचवीं उर्त्तीण हैं। बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अफसर और कर्मचारी पूरे मामले को दबाए हुए हैं।

स्वास्थ्य विभाग में ड्रेसर पद पर पदस्थ राजेंद्र सिंह नरवरिया मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी खंडवा के आदेश पर 19 जून 1985 में अस्थायी कंटेनजेंसी में कलेक्टर रेट पर भर्ती हुए थे। सांठगांठ से नियमित कर्मचारी बन गए। बाद में भिंड जिले में स्थानातंरण कराकर गए। भिंड सीएमएचओ कार्यालय से 23 सितंबर 2010 को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोरमी से उनकी जन्म दिनांक का सत्यापन कराया गया तो वह एक जनवरी 1953 बताई गई। जबकि सेवा पुस्तिका में उनकी जन्म दिनांक एक जनवरी 1958 दर्ज हैं। यह मामला खुलने के बाद सीएमएचओ दफ्तर के तत्कालीन स्थापना बाबू संतकुमार जैन ने मामला दबा दिया और शासन को लाखों रुपए का नुकसान कराया। वहीं राजेंद्र नरवरिया कल यानि 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं।

सीएमएचओ कार्यालय में वाहन चालक के पद पर पदस्थ राममोहन सिंह यादव के खिलाफ तीन साल पहले शिकायत हुई थी कि इनकी भर्ती में भी फर्जी दस्तावेजों का उपयोग हुआ है। इसकी जांच के लिए राममोहन यादव की अंकसूची की शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-एक से वेरीफिकेशन कराई गई, जिसमें वे उस वर्ष में स्कूल के छात्र नहीं पाए गए। ऐसे में सीएमएचओ दफ्तर के तत्कालीन बाबू संत कुमार जैन और अफसरों ने शासन को गुमराह करने के लिए संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ग्वालियर संभाग को पत्र लिखा कि राममोहन यादव द्वारा वाहन चलाने और आदेशों की अवहेलना की जा रही है, इसलिए उन्हें सेवा से पृथक किया जाए। इसकी एक प्रति आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं को भेज दी। जबकि उनकी अंकसूची में गड़बड़ी होने की बात नहीं बताई। राममोहन सिंह आज भी स्वास्थ्य विभाग में नौकरी कर रहे हैं।

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