भास्कर संवाददाता | खनियांधाना खनियांधाना क्षेत्र के अंतर्गत चार सरकारी स्कूलों में 540 छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं। यह स्थिति शिक्षकों की सीएसी व बीएसी पद पर प्रतिनियुक्त के बाद है। ऐसे में अध्यापन कार्य कराने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
इससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पूरी तरह चौपट हो गई है। खास बात तो यह है कि विकासखंड के शासकीय ममरोनी स्कूल, माध्यमिक विद्यालय एरावनी, सुलारखुर्द, माध्यमिक विद्यालय खिसलोनी में शिक्षक नहीं होने की जानकारी शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को भी नहीं है।
10 वर्ष पूर्ण होने पर होती है प्रतिनियुक्ति: शिक्षक बनने के 10 वर्ष पूर्ण होने पर उनकी प्रतिनियुक्ति कलस्टर एकेडमिक कॉर्डिनेटर अथवा ब्लॉक एकेडमिक कॉर्डिनेटर होने का प्रावधान है। जिसका उद्देश्य सर्व शिक्षा अभियान के अंर्तगत शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा करना होता है। लेकिन इस प्रतिनियुक्ति के लिए कोई भी शिक्षक बाध्य नहीं होता है। इसकी विधिवत काउंसिलिंग होती हैं जो भी इसके इच्छुक होते है, वे प्रतिनियुक्त होते है। विकासखंड के ममरोनी, एरावनी, सुलारखुर्द, खिसलोनी सहित कई विद्यालय पूर्णतः ही शिक्षक विहीन हो गए है। इन संस्था का प्रभारी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक को बना दिया गया है। जिससे न तो वो प्राथमिक विद्यालय ही देख पा रहे हैं और न ही माध्यमिक।
सीएसी में चयन होने से विद्यालय हुए शिक्षक विहीन: विकासखंड के शासकीय विद्यालय में पदस्थ मात्र एक ही शिक्षक थे। उनका ही चयन सीएसी में होने से विद्यालय शिक्षक विहीन हो गए हैं। इन माध्यमिक विद्यालयों के छात्र-छात्राएं अब भगवान भरोसे ही शिक्षक विहीन होकर ही पढ़ रहे है। क्योंकि इस सत्र में अतिथि शिक्षकों की ऑनलाइन भर्ती होने से आज दिनांक तक किसी भी विद्यालय में अतिथि शिक्षकों के पद नहीं भरे जा सके हैं। वहीं वरिष्ठ अधिकारी के पक्षपात से अनिल पाराशर को सीएसी के पद से हटाकर मूल पद अध्यापक माध्यमिक विद्यालय पीपलखेड़ा भेज दिया गया। क्योंकि यह विद्यालय भी शिक्षक विहीन हो गया है। इस संबंध में जब शिक्षा विभाग के विकासखंड अधिकारी से बात की तो उन्होंने इस संबंध में कुछ भी कहने से मनाकर दिया है।
अिधकारी नहीं करते स्कूलों का निरीक्षण
खनियांधाना क्षेत्र के ग्रामीणों की मानें तो गांव में संचालित हो रहे अिधकांश सरकारी स्कूल में शिक्षक नहीं आते हैं। कई बार तो स्कूल खुलता ही नहीं है। इससे बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई है। इस समस्या को लेकर अिधकारियों से शिकायत भी की जाती है, लेकिन अिधकारी निरीक्षण करने तक नहीं आते।
हमारे स्कूल में शिक्षक नहीं हैं
हमारे स्कूल में हमें पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है अब हम कैसे पढ़ाई करें। इसलिए कई बच्चों ने तो स्कूल ही जाना बंद कर दिया है। शिक्षक के बिना हमारी पढ़ाई नहीं हो पा रही है। देवो पाल, छात्रा शासकीय विद्यालय मामरोनी
एक स्कूल का मामला आया था
मेरे पास सिर्फ एक ही स्कूल का मामला आया था। जहां पर शिक्षका को मैंने संस्था पर वापस करवा दिया है। अब मेरे ख्याल शिक्षक विहीन कोई भी विद्यालय नहीं होगा। फिर भी मैं दिखवा लेता हूं। शिरोमणी दुबे, डीपीसी शिवपुरी
खनियांधाना विकास खंड शिक्षा अिधकारी कार्यालय।
इससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पूरी तरह चौपट हो गई है। खास बात तो यह है कि विकासखंड के शासकीय ममरोनी स्कूल, माध्यमिक विद्यालय एरावनी, सुलारखुर्द, माध्यमिक विद्यालय खिसलोनी में शिक्षक नहीं होने की जानकारी शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को भी नहीं है।
10 वर्ष पूर्ण होने पर होती है प्रतिनियुक्ति: शिक्षक बनने के 10 वर्ष पूर्ण होने पर उनकी प्रतिनियुक्ति कलस्टर एकेडमिक कॉर्डिनेटर अथवा ब्लॉक एकेडमिक कॉर्डिनेटर होने का प्रावधान है। जिसका उद्देश्य सर्व शिक्षा अभियान के अंर्तगत शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा करना होता है। लेकिन इस प्रतिनियुक्ति के लिए कोई भी शिक्षक बाध्य नहीं होता है। इसकी विधिवत काउंसिलिंग होती हैं जो भी इसके इच्छुक होते है, वे प्रतिनियुक्त होते है। विकासखंड के ममरोनी, एरावनी, सुलारखुर्द, खिसलोनी सहित कई विद्यालय पूर्णतः ही शिक्षक विहीन हो गए है। इन संस्था का प्रभारी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक को बना दिया गया है। जिससे न तो वो प्राथमिक विद्यालय ही देख पा रहे हैं और न ही माध्यमिक।
सीएसी में चयन होने से विद्यालय हुए शिक्षक विहीन: विकासखंड के शासकीय विद्यालय में पदस्थ मात्र एक ही शिक्षक थे। उनका ही चयन सीएसी में होने से विद्यालय शिक्षक विहीन हो गए हैं। इन माध्यमिक विद्यालयों के छात्र-छात्राएं अब भगवान भरोसे ही शिक्षक विहीन होकर ही पढ़ रहे है। क्योंकि इस सत्र में अतिथि शिक्षकों की ऑनलाइन भर्ती होने से आज दिनांक तक किसी भी विद्यालय में अतिथि शिक्षकों के पद नहीं भरे जा सके हैं। वहीं वरिष्ठ अधिकारी के पक्षपात से अनिल पाराशर को सीएसी के पद से हटाकर मूल पद अध्यापक माध्यमिक विद्यालय पीपलखेड़ा भेज दिया गया। क्योंकि यह विद्यालय भी शिक्षक विहीन हो गया है। इस संबंध में जब शिक्षा विभाग के विकासखंड अधिकारी से बात की तो उन्होंने इस संबंध में कुछ भी कहने से मनाकर दिया है।
अिधकारी नहीं करते स्कूलों का निरीक्षण
खनियांधाना क्षेत्र के ग्रामीणों की मानें तो गांव में संचालित हो रहे अिधकांश सरकारी स्कूल में शिक्षक नहीं आते हैं। कई बार तो स्कूल खुलता ही नहीं है। इससे बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई है। इस समस्या को लेकर अिधकारियों से शिकायत भी की जाती है, लेकिन अिधकारी निरीक्षण करने तक नहीं आते।
हमारे स्कूल में शिक्षक नहीं हैं
हमारे स्कूल में हमें पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है अब हम कैसे पढ़ाई करें। इसलिए कई बच्चों ने तो स्कूल ही जाना बंद कर दिया है। शिक्षक के बिना हमारी पढ़ाई नहीं हो पा रही है। देवो पाल, छात्रा शासकीय विद्यालय मामरोनी
एक स्कूल का मामला आया था
मेरे पास सिर्फ एक ही स्कूल का मामला आया था। जहां पर शिक्षका को मैंने संस्था पर वापस करवा दिया है। अब मेरे ख्याल शिक्षक विहीन कोई भी विद्यालय नहीं होगा। फिर भी मैं दिखवा लेता हूं। शिरोमणी दुबे, डीपीसी शिवपुरी
खनियांधाना विकास खंड शिक्षा अिधकारी कार्यालय।