भास्कर संवाददाता | मुरैना मॉडल स्कूलों में अध्यापन की शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए मैरिट बेस पर
व्याख्याताओं की नियुक्ति का फैसला हाईकोर्ट से स्कूल शिक्षा विभाग के पक्ष
में हो चुका है। बावजूद इसके प्रदेश के स्कूलों में अक्टूबर बीतने तक
व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं की जा सकी है।
मुरैना सहित कैलारस, जौरा, पहाडग़ढ़ व सबलगढ़ में संचालित मॉडल स्कूलों में अध्यापन के लिए अतिथि विद्वानों को नियुक्त किया गया है। उनसे 120 रुपए रोज की पगार पर अध्यापन कराया जा रहा है। पगार कम होने की दशा में अतिथि विद्वान अध्यापन की औपचारिकताएं पूरी कर रहे हैं। इस हाल में अक्टूबर बीतने तक तिमाही का कोर्स पूरा नहीं हो सका है।
उल्लेखनीय है कि 15 करोड़ रुपए की लागत से बनवाए पांच मॉडल स्कूलों में अध्यापन के लिए सिर्फ 15 शिक्षक पदस्थ हैं। जबकि सेटअप में 70 शिक्षकों की जरूरत महसूस की गई है। इस हाल में 1200 छात्र-छात्राओं को कौन पढ़ाएगा, इस पर राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के आला अफसरों का ध्यान नहीं है। एक मॉडल स्कूल में कक्षा नौ से 12 तक छात्रों को पढ़ाने के लिए 14 व्याख्याताओं के पद स्वीकृत हैं लेकिन मॉडल स्कूलों की स्थापना के चार साल बाद भी छात्र संख्या के मान से व्याख्याताओं की पदस्थापना नहीं की गई है। व्याख्याताओं की पूर्ति के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश स्तर पर एक टेस्ट लेकर व्याख्याताओं की नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन पुराने व्याख्याता व यूटीटी इसके खिलाफ हाईकोर्ट में पहुंच गए। कोर्ट ने शासन के पक्ष में फैसला दे दिया है कि वह शैक्षणिक गुणवत्ता स्थापित करने के लिए टेस्ट की मेरिट सूची के आधार पर व्याख्याताओं की नियुक्ति करे। आदेश के बाद भी मॉडल स्कूलों को व्याख्याताओं की सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
मुरैना सहित कैलारस, जौरा, पहाडग़ढ़ व सबलगढ़ में संचालित मॉडल स्कूलों में अध्यापन के लिए अतिथि विद्वानों को नियुक्त किया गया है। उनसे 120 रुपए रोज की पगार पर अध्यापन कराया जा रहा है। पगार कम होने की दशा में अतिथि विद्वान अध्यापन की औपचारिकताएं पूरी कर रहे हैं। इस हाल में अक्टूबर बीतने तक तिमाही का कोर्स पूरा नहीं हो सका है।
उल्लेखनीय है कि 15 करोड़ रुपए की लागत से बनवाए पांच मॉडल स्कूलों में अध्यापन के लिए सिर्फ 15 शिक्षक पदस्थ हैं। जबकि सेटअप में 70 शिक्षकों की जरूरत महसूस की गई है। इस हाल में 1200 छात्र-छात्राओं को कौन पढ़ाएगा, इस पर राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के आला अफसरों का ध्यान नहीं है। एक मॉडल स्कूल में कक्षा नौ से 12 तक छात्रों को पढ़ाने के लिए 14 व्याख्याताओं के पद स्वीकृत हैं लेकिन मॉडल स्कूलों की स्थापना के चार साल बाद भी छात्र संख्या के मान से व्याख्याताओं की पदस्थापना नहीं की गई है। व्याख्याताओं की पूर्ति के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश स्तर पर एक टेस्ट लेकर व्याख्याताओं की नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन पुराने व्याख्याता व यूटीटी इसके खिलाफ हाईकोर्ट में पहुंच गए। कोर्ट ने शासन के पक्ष में फैसला दे दिया है कि वह शैक्षणिक गुणवत्ता स्थापित करने के लिए टेस्ट की मेरिट सूची के आधार पर व्याख्याताओं की नियुक्ति करे। आदेश के बाद भी मॉडल स्कूलों को व्याख्याताओं की सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।