भोपाल। स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने एक साल के
कार्यकाल में निजी और सरकारी स्कूल, शिक्षक और बच्चों से सीधे संबंध रखने
वाली आधा दर्जन घोषणाएं कीं, पर एक भी पूरी नहीं करवा पाए। वे सिर्फ
अलग-अलग मंच पर अपनी घोषणाएं ही दोहराते रहे। शाह 2 जुलाई 2016 को विभाग के
मंत्री बने थे।
रिजल्ट बिगड़ने से तनाव में आकर विद्यार्थियों को आत्महत्या करने से रोकने में भी मंत्री विफल रहे। प्रदेश में एक दर्जन विद्यार्थियों ने आत्महत्या की, जबकि महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस की अध्यक्षता में गठित 'छात्रों द्वारा मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या करने संबंधी सामाजिक समस्या के समाधान" समिति ने 24 मार्च 2017 को विधानसभा में रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी थी।
रिपोर्ट में आत्महत्या के 55 कारण और 70 समाधान बताए गए थे। 12 मई को हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल का रिजल्ट घोषित होने के बाद सरकार को रिपोर्ट की याद आई। मंत्री विजय शाह अब सवालों से बच रहे हैं।
पिछले एक हफ्ते में उनसे कई बार फोन पर और बंगले पर पहुंचकर संपर्क करने की कोशिश की गई। खंडवा में उनसे घर जाकर बात करनी चाही, लेकिन वे पूरी बात सुनकर सवाल टाल गए।
ये हैं मंत्री के ड्रीम
स्कूलों में झंडावंदन : खंडवा और फिर भोपाल में कहा कि नए शैक्षणिक सत्र से सभी सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों में प्रार्थना से पहले तिरंगा फहराया जाएगा। ये आदेश जारी हुए, लेकिन स्कूलों में नहीं पहुंचे और झंडावंदन भी शुरू नहीं हुआ।
फीस रेगुलेटरी कानून : जुलाई 2016 में विधानसभा में घोषणा की थी कि निजी स्कूल फीस रेगुलेटरी कानून शीतकालीन सत्र में पेश करेंगे। फिर बजट सत्र में पेश करने को कहा। अब तक कानून का मसौदा कैबिनेट में भी नहीं पहुंचा।
शिक्षकों को एप्रिन पहनाएंगे : मंत्री ने सरकारी शिक्षकों को एप्रिन पहनाने की घोषणा की। अब तक न एप्रिन का पता है और न ही उसकी डिजाइन का।
राष्ट्र निर्माता की नेमप्लेट : मंत्री ने घोषणा की थी कि प्रदेश के सभी सरकारी शिक्षक राष्ट्र निर्माता की नेमप्लेट लगाएंगे। ये आदेश भी अब तक स्कूलों में नहीं पहुंचे और न ही शिक्षकों ने नेमप्लेट लगाई।
बच्चों को रोटेशन में बैठाना : बैक बेंचर बच्चों को पढ़ाई के समान अवसर देने के लिए क्लास रूम में रोटेशन में बैठाने की घोषणा हुई, पर अब तक शुरू नहीं हुआ।
डीपीआई-आरएसके को मर्ज करेंगे : प्रशासनिक और अकादमिक कार्य एक जगह करने के उद्देश्य से राज्य शिक्षा केंद्र और लोक शिक्षण संचालनालय को मर्ज करने की घोषणा हुई। अब तक निर्णय नहीं हुआ।
विधवाओं से बनवाएंगे यूनिफॉर्म : सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को राशि देने के बजाय सीधे यूनिफार्म देने की घोषणा की गई। ये ड्रेस विधवा महिलाओं को रोजगार देने उनसे तैयार कराना थीं। अब तक न ड्रेस मिली न राशि।
मैं कई बार लिख चुका हूं...
मैं अपनी कोशिश करता रहता हूं, लेकिन नीतिगत निर्णय लेने में सक्षम नहीं हूं। इसलिए जवाब नहीं दे सकता हूं। मैंने इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए कई बार विभाग को लिखा भी है।
- दीपक जोशी, राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग
रिजल्ट बिगड़ने से तनाव में आकर विद्यार्थियों को आत्महत्या करने से रोकने में भी मंत्री विफल रहे। प्रदेश में एक दर्जन विद्यार्थियों ने आत्महत्या की, जबकि महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस की अध्यक्षता में गठित 'छात्रों द्वारा मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या करने संबंधी सामाजिक समस्या के समाधान" समिति ने 24 मार्च 2017 को विधानसभा में रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी थी।
रिपोर्ट में आत्महत्या के 55 कारण और 70 समाधान बताए गए थे। 12 मई को हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल का रिजल्ट घोषित होने के बाद सरकार को रिपोर्ट की याद आई। मंत्री विजय शाह अब सवालों से बच रहे हैं।
पिछले एक हफ्ते में उनसे कई बार फोन पर और बंगले पर पहुंचकर संपर्क करने की कोशिश की गई। खंडवा में उनसे घर जाकर बात करनी चाही, लेकिन वे पूरी बात सुनकर सवाल टाल गए।
ये हैं मंत्री के ड्रीम
स्कूलों में झंडावंदन : खंडवा और फिर भोपाल में कहा कि नए शैक्षणिक सत्र से सभी सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों में प्रार्थना से पहले तिरंगा फहराया जाएगा। ये आदेश जारी हुए, लेकिन स्कूलों में नहीं पहुंचे और झंडावंदन भी शुरू नहीं हुआ।
फीस रेगुलेटरी कानून : जुलाई 2016 में विधानसभा में घोषणा की थी कि निजी स्कूल फीस रेगुलेटरी कानून शीतकालीन सत्र में पेश करेंगे। फिर बजट सत्र में पेश करने को कहा। अब तक कानून का मसौदा कैबिनेट में भी नहीं पहुंचा।
शिक्षकों को एप्रिन पहनाएंगे : मंत्री ने सरकारी शिक्षकों को एप्रिन पहनाने की घोषणा की। अब तक न एप्रिन का पता है और न ही उसकी डिजाइन का।
राष्ट्र निर्माता की नेमप्लेट : मंत्री ने घोषणा की थी कि प्रदेश के सभी सरकारी शिक्षक राष्ट्र निर्माता की नेमप्लेट लगाएंगे। ये आदेश भी अब तक स्कूलों में नहीं पहुंचे और न ही शिक्षकों ने नेमप्लेट लगाई।
बच्चों को रोटेशन में बैठाना : बैक बेंचर बच्चों को पढ़ाई के समान अवसर देने के लिए क्लास रूम में रोटेशन में बैठाने की घोषणा हुई, पर अब तक शुरू नहीं हुआ।
डीपीआई-आरएसके को मर्ज करेंगे : प्रशासनिक और अकादमिक कार्य एक जगह करने के उद्देश्य से राज्य शिक्षा केंद्र और लोक शिक्षण संचालनालय को मर्ज करने की घोषणा हुई। अब तक निर्णय नहीं हुआ।
विधवाओं से बनवाएंगे यूनिफॉर्म : सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को राशि देने के बजाय सीधे यूनिफार्म देने की घोषणा की गई। ये ड्रेस विधवा महिलाओं को रोजगार देने उनसे तैयार कराना थीं। अब तक न ड्रेस मिली न राशि।
मैं कई बार लिख चुका हूं...
मैं अपनी कोशिश करता रहता हूं, लेकिन नीतिगत निर्णय लेने में सक्षम नहीं हूं। इसलिए जवाब नहीं दे सकता हूं। मैंने इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए कई बार विभाग को लिखा भी है।
- दीपक जोशी, राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग