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गैर शिक्षण कार्य से पहले किया मुक्त, फिर बीएलओ मैसेज करके करा रहे काम

राजेश शर्मा । राजगढ़ स्कूल शिक्षा मंत्री का आदेश जारी होने के साथ ही यहां पर बड़ी संख्या में बीएलओ द्वारा काम रहे शिक्षक-शिक्षिकाओं को पहले तो आनन-फानन में मुक्त करवा दिया था, लेकिन बाद में एक फिर से गोपनीय तौर पर संबंधित बीएलओ का काम करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को मोबाइलों पर मैसेज करके उनसे बीएलओ का काम कराया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि ब्यावरा ब्लाक के सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाएं पूर्व से ही बीएलओ के काम में लगे हुए हैं। प्रशासन द्वारा निर्वाचन से संबंधित काम कराने के लिए अधिक से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं को तैनात कर रखा है। इसी के तहत पिछले दिनों जैसे ही स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह द्वारा आदेश जारी किया कि शिक्षक-शिक्षिकाओं से शैक्षणिक कार्य के अलावा अन्य कोई कार्य नहीं कराया जाए। जैसे ही उन्होंने शिक्षक-शिक्षिकाओं से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराने का आदेश जारी किया। उसी के साथ यहां पर भी ब्यावरा एसडीएम द्वारा भी यहां काम कर रहे सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाओं को मुक्त कर दिया गया था। मुक्त करने के कुछ ही दिनों बाद तहसील में निर्वाचन शाखा का काम देख रहे एक शिक्षक द्वारा फिर से संबंधित शिक्षक-शिक्षिकाओं को मैसेज के माध्यम से फिर से बीएलओ का काम करने का आदेश जारी किया गया।
मैसेज भेजकर कहा- बीएलओ का काम करो
पूर्व में एसडीएम द्वारा तो शिक्षकों को बीएलओ के काम से मुक्त कर दिया था, लेकिन इसके कुछ ही दिनों बाद तहसील में निर्वाचन शाखा में अटैच एक शिक्षक द्वारा उन बीएलओ को मोबाइल पर मैसेज किए गए, जिसमें लिखा कि समस्त बीएलओ को आदेशित किया जाता है कि जो आदेश दिनांक 17 मई को दिया गया था उसमें संशोधन कर आपको यथावत बीएलओ नियुक्त किया जाता है। यदि आपने आदेशानुसार पटवारी-सचिवों को सामग्री दे दी गई है तो वापस प्राप्त कर लेवें। मोबाइल नंबर 8959660002 से शिक्षकों को किए गए मैसेज में नीचे उक्त मैसेज को एसडीएम का आर्डर करार दिया गया है।
273 शिक्षकों का है मामला
ब्यावरा ब्लाक में बीएलओ के काम में एक-दो नहीं बल्कि 273 शिक्षकों को तैनात कर रखा है। इन शिक्षक-शिक्षिकाओं से समय-समय पर प्रशासन द्वारा बतौर बीएलओ के रूप में काम करवाया जाता है। ऐसे में जब भी बीएलओ की बैठकें होती हैं या फिर जब उनकी आवश्यकता लगती है तो संबंधितों को अपना शैक्षणिक काम छोड़कर प्रशासन के समक्ष पहुंचना पड़ता है। इतना ही नहीं, पढ़ाई से संबंधित काम को पूरा छोड़कर बीएलओ की भूमिका निभाई जाती है।
प्रभावित होती है पढ़ाई
अधिकांश स्कूल ऐसे हैं जहां से कोई न कोई शिक्षक-शिक्षिकाएं बतौर बीलएओ का काम देख रहे हैं। ऐसे में प्रशासन द्वारा उन्हें बीएलओ के रूप में काम पर लगाने के कारण स्कूलों का अध्यापन कार्य भी कहीं न कहीं प्रभावित होता है। बीएलओ के काम में लगे शिक्षकों को समय-समय पर निर्वाचन शाखाओं में पहुंचना पड़ता है और जिसके कारण पूरी की पूरी शैक्षणिक व्यवस्थाएं प्रभावित होती है।
बिना मन के काम कर रहे शिक्षक
जानकारी के मुताबिक अधिकांश शिक्षक ऐसे हैं जो बीलएओ का काम नहीं करना चाहते हैं, लेकिन प्रशासन के डंडे के चलते उन्हें वह काम करना पड़ रहा है। कई बीएलओ का काम करने वाले शिक्षक-शिक्षकाओं का मानना है कि हमसे एक ही जगह काम कराना चाहिए, लेकिन यहां पर दोहरा काम ले रहे हैं। जिसके कारण हम स्वयं भी पूरी तरह से किसी एक स्थान पर काम नहीं कर पा रहे हैं। अधिकांश शिक्षक ऐसे हैं जो बीएलओ के काम से हरहाल में मुक्त होना चाहते हैं, जबकि कुछ ऐसे भी है जो स्कूलों से बचने के लिए बीएलओ का काम ही उचित समझते हैं।
उन्हें वापस बुलाया गया है
हमने पहले मुक्त कर दिया था, लेकिन काम प्रभावित हो रहा था इसलीएि उन्हें वापस बुला लिया है। क्योंकि राजस्व का अमला प्याज खरीदी में भी लगा हुआ है और उनके भरोसे रहे तो निर्वाचन से संबंधित काम बाधित हो जाएगा। इसलिए उन्हें वापस बुलाया गया है।
अंजली शाह, एसडीएम ब्यावरा
फोटो 0707 आरजे 05 राजगढ़। मोबाइल के माध्यम से किए गए मैसेज। 

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