जिले में कुल 17 सौ 30 स्कूलों में से 16 सौ 67 में नहीं है बिजली कनेक्शन
नरसिंहपुर। इसे सजा कहें या सरकारी स्कूलों की अव्यवस्थाएं कि बिना बिजली, पंखों के 40 से 42 डिग्री तापमान के बीच बच्चे परीक्षा देने को मजबूर हैं और शिक्षक रिजल्ट बनाने को। शैक्षणिक गुणवत्ता को परखने के लिए प्रतिभा पर्व जैसे कार्यक्रम चलाने वाला शिक्षा विभाग विद्यार्थियों को भीषण गर्मी में पंखे की हवा तक मुहैया नहीं करा पा रहा है। सुविधाओं की गुणवत्ता के नाम पर स्कूल शिक्षा विभाग उदासीन व लाचार नजर आ रहा है।
जानकारी के अनुसार जिले में 1730 शासकीय स्कूल हैं, जिनमें से 498 मिडल और 1232 प्राइमरी स्कूल शामिल हैं। इनमें से 1667 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं हैं। जिसकी वजह से न तो पंखे चल पाते हैं और न ही बिजली से चलने वाले अन्य उपकरण। यहां तक कि दूर दराज के स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों के मोबाइल की बैटरी डिस्चार्ज हो जाने पर वे शिक्षा विभाग के एप और विभागीय वाट्साप ग्रुप पर सूचना का आदान प्रदान तक नहीं कर पाते। क्योंकि बिजली न होने की वजह से मोबाइल चार्ज करने तक की सुविधा नहीं रहती।
शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार 30 अप्रैल तक कक्षाएं संचालित की जानी हैं। दोपहर 12 बजे तक स्कूल खोलने के निर्देश हैं। इन दिनों जबकि सुबह 9 बजे से तेज धूप होने लगती है और घरों में बिना पंखे के नहीं रहा जा सकता। वहीं स्कूलों में शिक्षक बिना पंखे की हवा के पसीना बहाते हुए 9वीं और 11वीं के बच्चों की परीक्षा कराने और प्राइमरी, मिडल के रिजल्ट बनाने को मजबूर हैं। हालात यह हैं कि परीक्षाओं के समय शिक्षक और बच्चे पसीना में तर हो जाते हैं तो रिजल्ट बनाते समय रिजल्ट सीट पर पसीना टपकने लगता है।
जिले के अधिकांश स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। शासन ने कुछ समय पूर्व इस संबंध में जानकारी व प्रस्ताव मांगे थे जो भेज दिए गए हैं। यह सच है कि बिजली कनेक्शन न होने के कारण शिक्षकों और बच्चों को अध्यापन-अध्ययन में परेशानी होती है। शिक्षकों को परेशानी के बीच रिजल्ट भी बनाना होता है।
एसके कोष्टी, डीपीसी, नरसिंहपुर
नरसिंहपुर। इसे सजा कहें या सरकारी स्कूलों की अव्यवस्थाएं कि बिना बिजली, पंखों के 40 से 42 डिग्री तापमान के बीच बच्चे परीक्षा देने को मजबूर हैं और शिक्षक रिजल्ट बनाने को। शैक्षणिक गुणवत्ता को परखने के लिए प्रतिभा पर्व जैसे कार्यक्रम चलाने वाला शिक्षा विभाग विद्यार्थियों को भीषण गर्मी में पंखे की हवा तक मुहैया नहीं करा पा रहा है। सुविधाओं की गुणवत्ता के नाम पर स्कूल शिक्षा विभाग उदासीन व लाचार नजर आ रहा है।
जानकारी के अनुसार जिले में 1730 शासकीय स्कूल हैं, जिनमें से 498 मिडल और 1232 प्राइमरी स्कूल शामिल हैं। इनमें से 1667 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं हैं। जिसकी वजह से न तो पंखे चल पाते हैं और न ही बिजली से चलने वाले अन्य उपकरण। यहां तक कि दूर दराज के स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों के मोबाइल की बैटरी डिस्चार्ज हो जाने पर वे शिक्षा विभाग के एप और विभागीय वाट्साप ग्रुप पर सूचना का आदान प्रदान तक नहीं कर पाते। क्योंकि बिजली न होने की वजह से मोबाइल चार्ज करने तक की सुविधा नहीं रहती।
शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार 30 अप्रैल तक कक्षाएं संचालित की जानी हैं। दोपहर 12 बजे तक स्कूल खोलने के निर्देश हैं। इन दिनों जबकि सुबह 9 बजे से तेज धूप होने लगती है और घरों में बिना पंखे के नहीं रहा जा सकता। वहीं स्कूलों में शिक्षक बिना पंखे की हवा के पसीना बहाते हुए 9वीं और 11वीं के बच्चों की परीक्षा कराने और प्राइमरी, मिडल के रिजल्ट बनाने को मजबूर हैं। हालात यह हैं कि परीक्षाओं के समय शिक्षक और बच्चे पसीना में तर हो जाते हैं तो रिजल्ट बनाते समय रिजल्ट सीट पर पसीना टपकने लगता है।
जिले के अधिकांश स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। शासन ने कुछ समय पूर्व इस संबंध में जानकारी व प्रस्ताव मांगे थे जो भेज दिए गए हैं। यह सच है कि बिजली कनेक्शन न होने के कारण शिक्षकों और बच्चों को अध्यापन-अध्ययन में परेशानी होती है। शिक्षकों को परेशानी के बीच रिजल्ट भी बनाना होता है।
एसके कोष्टी, डीपीसी, नरसिंहपुर