रतलाम। नईदुनिया प्रतिनिधि रतलाम जिले के आलोट विकासखंड शिक्षा
अधिकारी (बीईओ) लक्ष्मण मईड़ा ने नियमों को ताक पर रख जिले के स्कूल भवनों
के उन्नायन के लिए जारी करीब 90 लाख रुपए के बिल कोषालय में लगा दिए। जिला
शिक्षा अधिकारी की जांच में खुलासा हुआ है कि उन्होंने सामान खरीदे बिना
बिल लगा दिए। इसकी भनक उन स्कूलों को भी नहीं लग सकी जिनके लिए सामग्री
खरीदी जाना थी।
फिलहाल भुगतान पर रोक लगा दी गई है। शुक्रवार को रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी। उधर बीईओ का कहना है कि यह भोपाल स्तर का मामला है, जल्द ही राशि शासकीय खाते में आ जाएगी। इस मामले में विभाग के अधिकारी और कुछ नेताओं के भी मिले होने की आशंका है।
लोक शिक्षण संचालनालय ने प्रदेश के हाई स्कूल से हायर सेकंडरी व माध्यमिक से हाई स्कूलों के उन्नायन को लेकर 15 मार्च को विभिन्ना मदों में राशि का आवंटन किया था। इस राशि से स्कूलों के लिए जरूरी संसाधन जुटाए जाने थे। प्रक्रिया अनुसार प्राचार्यों से संसाधनों की जानकारी लेना थी, जो नहीं ली गई। 90 लाख 31 हजार 514 रुपए के बिल 22 मार्च को कोषालय में लगा दिए गए। इसकी जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी अनिल वर्मा को लगी, तो उन्होंने 27 मार्च को सभी संबंधित प्राचार्यों को तलब किया। प्राचार्यों ने मामले से अनभिज्ञता जताई। इसके बाद जांच शुरू हुई, जिसकी रिपोर्ट कलेक्टर को एक-दो दिन में सौंपी जा सकती है।
इंदौर की संस्था के नाम से बिल
सूत्रों के अनुसार बीईओ ने सामग्री खरीदी के लिए इंदौर के केंद्रीय सहकारी उपभोक्ता भंडार के नाम से कोषालय में बिल लगाए हैं। कोषालय ने संस्था के खाते में राशि भी जारी कर दी है। विभाग को मामले की जानकारी लगने पर जिला शिक्षा अधिकारी ने उक्त संस्था के भुगतान पर रोक लगा दी है। बड़ी बात यह है कि लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा भी 15 मार्च को पूरे प्रदेश में करोड़ों रुपए आंवटित किए गए थे, लेकिन 10 दिन बाद ही 25 मार्च को वित्त विभाग ने कोषालयों के भुगतान पर रोक लगा दी। इससे पूर्व ही बीईओ ने 22 मार्च को ही बिल लगा दिए।
स्कूल जिनके नाम जारी हुई राशि
हाई स्कूल पिपलिया सिसोदिया, हाई स्कूल विक्रमगढ़ आलोट, हाई स्कूल दुधिया, हाई स्कूल गुलबाबोद, हाई स्कूल मोरिया, हाई स्कूल लुनी, हाई स्कूल भोजाखेड़ी, हाई स्कूल पाटन, हाई स्कूल भीम, हाई स्कूल कसारी, हाई स्कूल मुंडलकला, हाई स्कूल शेरपुर खुर्द, हाई स्कूल कोठड़ीताल, शासकीय उमावि आलोट, उमावि बरखेड़ाकला, उमावि कलश्या, उमावि मंडावल, उमावि खारवांकला और उमावि माधोपुर।
नेताओं की मिलीभगत!
मामले के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। सूत्रों के अनुसार इसमें कुछ नेता भी जुड़े हो सकते हैं। हालांकि विभागीय अधिकारी खुलकर कुछ भी नहीं बोल रहे।
इन के लिए आई राशि
सामग्री हाई स्कूल हायर सेकंडरी
फर्नीचर का क्रय 90000 90000
पुस्तके एवं पत्र पत्रिकाएं 3500 50000
लेखन सामग्री 35000 98000
उपकरणों का क्रय 80000 95000
सफाई व्यवस्था 36000 96000
सामग्री एवं पूर्तियां 98000 98000
(सामग्री की राशि प्रत्येक स्कूल के अनुसार है)
भोपाल स्तर पर हुई प्रक्रिया
सारी प्रक्रिया भोपाल स्तर पर हुई है। रहा सवाल स्कूल वालों का तो समय कम था। भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं हो पाया। 31 मार्च तक पूरी राशि सरेंडर करवा दूंगा। शासन के पास पूरी राशि जमा हो जाएगी। पूरी प्रोसेस भोपाल स्तर पर हुई है। जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित में जवाब दिया जाएगा।
- लक्ष्मण मईड़ा, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, आलोट
कलेक्टर को देंगे रिपोर्ट
आलोट बीईओ ने भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं किया है। स्कूलों में सामग्री खरीदने की जानकारी प्राचार्य देता है। प्रथमदृष्टया जांच में बीईओ ने प्राचार्यों को बिना बताए स्कूलों में सामग्री खरीदने को लेकर विभिन्ना मदों के करीब 90 लाख रुपए से अधिक के बिल लगाए हैं। कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
- अनिल वर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी
फिलहाल भुगतान पर रोक लगा दी गई है। शुक्रवार को रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी। उधर बीईओ का कहना है कि यह भोपाल स्तर का मामला है, जल्द ही राशि शासकीय खाते में आ जाएगी। इस मामले में विभाग के अधिकारी और कुछ नेताओं के भी मिले होने की आशंका है।
लोक शिक्षण संचालनालय ने प्रदेश के हाई स्कूल से हायर सेकंडरी व माध्यमिक से हाई स्कूलों के उन्नायन को लेकर 15 मार्च को विभिन्ना मदों में राशि का आवंटन किया था। इस राशि से स्कूलों के लिए जरूरी संसाधन जुटाए जाने थे। प्रक्रिया अनुसार प्राचार्यों से संसाधनों की जानकारी लेना थी, जो नहीं ली गई। 90 लाख 31 हजार 514 रुपए के बिल 22 मार्च को कोषालय में लगा दिए गए। इसकी जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी अनिल वर्मा को लगी, तो उन्होंने 27 मार्च को सभी संबंधित प्राचार्यों को तलब किया। प्राचार्यों ने मामले से अनभिज्ञता जताई। इसके बाद जांच शुरू हुई, जिसकी रिपोर्ट कलेक्टर को एक-दो दिन में सौंपी जा सकती है।
इंदौर की संस्था के नाम से बिल
सूत्रों के अनुसार बीईओ ने सामग्री खरीदी के लिए इंदौर के केंद्रीय सहकारी उपभोक्ता भंडार के नाम से कोषालय में बिल लगाए हैं। कोषालय ने संस्था के खाते में राशि भी जारी कर दी है। विभाग को मामले की जानकारी लगने पर जिला शिक्षा अधिकारी ने उक्त संस्था के भुगतान पर रोक लगा दी है। बड़ी बात यह है कि लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा भी 15 मार्च को पूरे प्रदेश में करोड़ों रुपए आंवटित किए गए थे, लेकिन 10 दिन बाद ही 25 मार्च को वित्त विभाग ने कोषालयों के भुगतान पर रोक लगा दी। इससे पूर्व ही बीईओ ने 22 मार्च को ही बिल लगा दिए।
स्कूल जिनके नाम जारी हुई राशि
हाई स्कूल पिपलिया सिसोदिया, हाई स्कूल विक्रमगढ़ आलोट, हाई स्कूल दुधिया, हाई स्कूल गुलबाबोद, हाई स्कूल मोरिया, हाई स्कूल लुनी, हाई स्कूल भोजाखेड़ी, हाई स्कूल पाटन, हाई स्कूल भीम, हाई स्कूल कसारी, हाई स्कूल मुंडलकला, हाई स्कूल शेरपुर खुर्द, हाई स्कूल कोठड़ीताल, शासकीय उमावि आलोट, उमावि बरखेड़ाकला, उमावि कलश्या, उमावि मंडावल, उमावि खारवांकला और उमावि माधोपुर।
नेताओं की मिलीभगत!
मामले के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। सूत्रों के अनुसार इसमें कुछ नेता भी जुड़े हो सकते हैं। हालांकि विभागीय अधिकारी खुलकर कुछ भी नहीं बोल रहे।
इन के लिए आई राशि
सामग्री हाई स्कूल हायर सेकंडरी
फर्नीचर का क्रय 90000 90000
पुस्तके एवं पत्र पत्रिकाएं 3500 50000
लेखन सामग्री 35000 98000
उपकरणों का क्रय 80000 95000
सफाई व्यवस्था 36000 96000
सामग्री एवं पूर्तियां 98000 98000
(सामग्री की राशि प्रत्येक स्कूल के अनुसार है)
भोपाल स्तर पर हुई प्रक्रिया
सारी प्रक्रिया भोपाल स्तर पर हुई है। रहा सवाल स्कूल वालों का तो समय कम था। भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं हो पाया। 31 मार्च तक पूरी राशि सरेंडर करवा दूंगा। शासन के पास पूरी राशि जमा हो जाएगी। पूरी प्रोसेस भोपाल स्तर पर हुई है। जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित में जवाब दिया जाएगा।
- लक्ष्मण मईड़ा, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, आलोट
कलेक्टर को देंगे रिपोर्ट
आलोट बीईओ ने भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं किया है। स्कूलों में सामग्री खरीदने की जानकारी प्राचार्य देता है। प्रथमदृष्टया जांच में बीईओ ने प्राचार्यों को बिना बताए स्कूलों में सामग्री खरीदने को लेकर विभिन्ना मदों के करीब 90 लाख रुपए से अधिक के बिल लगाए हैं। कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
- अनिल वर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी