कॉलेजो में पढ़ाई दुरूस्त करने की कवायद, विधानसभा में आएगा बिल
उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया लंबे समय से कानूनी दांवपेंच में उलझने से परेशान सरकार अब अतिथि विद्वानों पर ही दांव खेलने की तैयारी कर रही है। सरकार अब अतिथि विद्वानों के सहारे ही अपने कालेज में पढ़ाई करवाएगी। इसके लिए उन्हें फिक्स वेतन देने पर भी विचार किया जा रहा है।
इसके लिए विधानसभा में जल्द ही विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है। अगले शिक्षण सत्र से फिक्स वेतन का फार्मूला लागू भी कर दिया जाएगा।
प्रशासनिक संवाददाता, भोपाल
प्रदेश के सरकारी कालेज लंबे समय से प्रोफेसर्स की कमी से जूझ रहे हैं। चार सौ से अधिक सरकारी कालेजों के विषयवार शिक्षक ही नहीं हैं। कई कालेज तो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। कालेजों में पढ़ाई की व्यवस्था पूरी तरह अतिथि शिक्षकों के हवाले है। इस समय करीब 15 सौ से अधिक अतिथि विद्वान कालेजों में पढ़ा रहे हैं। उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने अब इनकी चिंता की है। अतिथि शिक्षकों को अभी 200 रूपए प्रति पीरियड के हिसाब से मानदेय मिलता है और नियम के मुताबिक वे अधिक से अधिक चार पीरियड ही पढ़ा पाते हैं। ऐसे में उन्हें महज नौ से दस हजार रुपए ही मिल पाते हैं। यहीं नहीं कई अतिथि शिक्षक कालेजों में पढ़ाते हुए ओवरएज भी हो चुके हैं। उन्हें भी इन नियुक्तियों में अनुभव के हिसाब से एडजस्ट किया जाएगा, ताकि वे बेरोजगार न हों।
अब यह होगा फार्मूला
प्रदेश के पांच सौ से अधिक अतिथि शिक्षक ऐसे हैं जो पिछले दस सालों से अधिक समय से कालेजों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सूत्रों की माने तो राज्य सरकार ने अब तय किया है कि वह इन शिक्षकों को 20 से 24 हजार तक फिक्स वेतन देगी। इसके लिए अन्य राज्यों में लागू व्यवस्था का अध्ययन किया जा रहा है। उसके बाद वेतन संबंधी अंतिम निर्णय लिया जा जाएगा। इसके लिए यूजीसी के नियमों का भी अध्ययन किया जा रहा है। यूजीसी का नियम है कि पीएचडी और यूजीसी की परीक्षा नेट और क्लेट को पास न करने वाले उम्मीदवारों को 25 हजार से अधिक वेतन नहीं दिया जा सकता। यही वजह है कि वेतन 24 हजार के आसपास रखने की तैयारी की जा रही है।
विधायकों का है दबाव
कालेजों में शिक्षकों को लेकर सबसे ज्यादा दबाव एमएलए का है। पिछले विधानसभा में करीब 50 से अधिक विधायकों ने अपने क्षेत्र में कालेजों में शिक्षकों की कमी को लेकर सवाल उठाए थे। कई विधायक सीएम से मिलकर भी इस समस्या को उठा चुके हैं। विधायकों का कहना है कि कालेजों में टीचर न होने के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। विधायकों का कहना है कि इससे असंतोष बढ़ रहा है और इसका असर चुनावों पर भी पड़ सकता है।
उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया लंबे समय से कानूनी दांवपेंच में उलझने से परेशान सरकार अब अतिथि विद्वानों पर ही दांव खेलने की तैयारी कर रही है। सरकार अब अतिथि विद्वानों के सहारे ही अपने कालेज में पढ़ाई करवाएगी। इसके लिए उन्हें फिक्स वेतन देने पर भी विचार किया जा रहा है।
इसके लिए विधानसभा में जल्द ही विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है। अगले शिक्षण सत्र से फिक्स वेतन का फार्मूला लागू भी कर दिया जाएगा।
प्रशासनिक संवाददाता, भोपाल
प्रदेश के सरकारी कालेज लंबे समय से प्रोफेसर्स की कमी से जूझ रहे हैं। चार सौ से अधिक सरकारी कालेजों के विषयवार शिक्षक ही नहीं हैं। कई कालेज तो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। कालेजों में पढ़ाई की व्यवस्था पूरी तरह अतिथि शिक्षकों के हवाले है। इस समय करीब 15 सौ से अधिक अतिथि विद्वान कालेजों में पढ़ा रहे हैं। उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने अब इनकी चिंता की है। अतिथि शिक्षकों को अभी 200 रूपए प्रति पीरियड के हिसाब से मानदेय मिलता है और नियम के मुताबिक वे अधिक से अधिक चार पीरियड ही पढ़ा पाते हैं। ऐसे में उन्हें महज नौ से दस हजार रुपए ही मिल पाते हैं। यहीं नहीं कई अतिथि शिक्षक कालेजों में पढ़ाते हुए ओवरएज भी हो चुके हैं। उन्हें भी इन नियुक्तियों में अनुभव के हिसाब से एडजस्ट किया जाएगा, ताकि वे बेरोजगार न हों।
अब यह होगा फार्मूला
प्रदेश के पांच सौ से अधिक अतिथि शिक्षक ऐसे हैं जो पिछले दस सालों से अधिक समय से कालेजों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सूत्रों की माने तो राज्य सरकार ने अब तय किया है कि वह इन शिक्षकों को 20 से 24 हजार तक फिक्स वेतन देगी। इसके लिए अन्य राज्यों में लागू व्यवस्था का अध्ययन किया जा रहा है। उसके बाद वेतन संबंधी अंतिम निर्णय लिया जा जाएगा। इसके लिए यूजीसी के नियमों का भी अध्ययन किया जा रहा है। यूजीसी का नियम है कि पीएचडी और यूजीसी की परीक्षा नेट और क्लेट को पास न करने वाले उम्मीदवारों को 25 हजार से अधिक वेतन नहीं दिया जा सकता। यही वजह है कि वेतन 24 हजार के आसपास रखने की तैयारी की जा रही है।
विधायकों का है दबाव
कालेजों में शिक्षकों को लेकर सबसे ज्यादा दबाव एमएलए का है। पिछले विधानसभा में करीब 50 से अधिक विधायकों ने अपने क्षेत्र में कालेजों में शिक्षकों की कमी को लेकर सवाल उठाए थे। कई विधायक सीएम से मिलकर भी इस समस्या को उठा चुके हैं। विधायकों का कहना है कि कालेजों में टीचर न होने के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। विधायकों का कहना है कि इससे असंतोष बढ़ रहा है और इसका असर चुनावों पर भी पड़ सकता है।