जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल की रिट
अपील पर अंतरिम आदेश के जरिए सिंगल बेंच के पूर्व आदेश पर रोक लगा दी। यह
कदम बीयू की ओर से प्रस्तुत उस जवाब पर गौर करने के बाद उठाया गया, जिसमें
साफ किया गया कि तकनीकी सहायक को शिक्षक नहीं माना जा सकता।
सोमवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस श्रीमती अंजुली पालो की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान बीयू की ओर से दलील दी गई कि तकनीकी सहायक डॉ.एचएन परमार शिक्षक नहीं हैं। लिहाजा, उन्हें 62 नहीं 60 वर्ष में सेवानिवृत्त करने का आदेश उचित है। इसके बावजूद वे हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने अपने हक में राहतकारी निर्देश हासिल कर चुके हैं। जिसके खिलाफ बीयू को रिट अपील के जरिए हाईकोर्ट आना पड़ा। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद अवमानना याचिका का पटाक्षेप कर दिया। साथ ही रिट अपील पर व्यवस्था दे दी कि जो भी अंतिम निर्णय होगा डॉ.परमार उसे मानने बाध्य होंगे।
सोमवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस श्रीमती अंजुली पालो की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान बीयू की ओर से दलील दी गई कि तकनीकी सहायक डॉ.एचएन परमार शिक्षक नहीं हैं। लिहाजा, उन्हें 62 नहीं 60 वर्ष में सेवानिवृत्त करने का आदेश उचित है। इसके बावजूद वे हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने अपने हक में राहतकारी निर्देश हासिल कर चुके हैं। जिसके खिलाफ बीयू को रिट अपील के जरिए हाईकोर्ट आना पड़ा। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद अवमानना याचिका का पटाक्षेप कर दिया। साथ ही रिट अपील पर व्यवस्था दे दी कि जो भी अंतिम निर्णय होगा डॉ.परमार उसे मानने बाध्य होंगे।