शाजापुर.
शासकीय स्कूलों की स्थिति वर्तमान में दयनीय है, लेकिन जिले के आला
अधिकारियों को देखा जाए तो ज्यादातर ने अपनी स्कूली शिक्षा शासकीय स्कूलों
से ही ली है। अधिकारियों का मानना है कि सरकारी स्कूल में विद्वान शिक्षक
रहते हैं जो बच्चों को हर परिस्थिति से बाहर निकालकर ऊंचे मुकाम तक
पहुंचाते हैं। आज भी सरकारी स्कूलों में ज्ञान का भंडार बिखरा पड़ा है,
लेकिन ज्यादातर पालक प्रायवेट स्कूलों की चकाचौंध देखकर अपने बच्चों को
सरकारी स्कूल में अध्ययन के लिए नहीं डालते हैं, लेकिन जिले के अधिकारियों
को देख आपको सोच बदल लेना चाहिए।
प्राइवेट की चकाचौंध से बेहतर...
मैं
कन्या हायर सेकंडरी स्कूल टीकमगढ़ में अध्ययन करती थी। उस दौर में सरकारी
स्कूलों का महत्व सबसे ज्यादा था। नाममात्र के प्राइवेट स्कूल हुआ करते थे।
जो ऊंचे पदों पर पहुंचे, उनमें से ज्यादातर सरकारी स्कूल से पढ़कर ही
निकले हैं। पहले स्कूलों में मॉनिटरिंग अच्छी होती थी। परिजन भी सरकारी
स्कूल के शिक्षकों पर विश्वास करते थे। इससे बच्चों का भविष्य सुनहरा दिखाई
देता था। वर्तमान में प्राइवेट स्कूल की संख्या और चकाचौंध इतनी ज्यादा
बढ़ गई है कि अधिकतर पैरेंट्स अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए
सरकारी की बजाय प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं। सरकारी स्कूल आज भी बच्चों
को बेहतर से बेहतर शिक्षा देते हैं। उत्कृष्ट विद्यालय, सेंट्रल स्कूल,
नवोदय विद्यालय के बच्चे आज भी टॉप टेन की मेरिट में आते हैं।
अलका श्रीवास्तव, कलेक्टर-शाजापुर
विद्वान शिक्षक पढ़ातें हैं...
मैंने
अपनी स्कूली शिक्षा शासकीय स्कूल से ली है। मैं कमला नेहरू कन्या हायर
सेकंडरी स्कूल भोपाल में अध्ययन करती थी। सरकारी स्कूल में विद्वान शिक्षक
अध्यापन कराते हैं। मुझे अपने परिवार का पूरा सहयोग तो मिला, स्कूल में भी
बेहतर पढ़ाने वाले शिक्षक मिले। उन्हीं के सहयोग और सीख से आज इस मुकाम तक
पहुंच पाई हूं। आज के दौर में लोग अपने बच्चों को सरकारी की बजाय प्राइवेट
स्कूल में पढ़ाना ज्यादा पसंद करते हैं, उन्हें लगता है कि सरकारी स्कूलों
की अपेक्षा प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई बेहतर होती है। जबकि सरकारी स्कूल
में उच्च कोटी के शिक्षक अध्यापन कार्य कराते हैं। जिससे बच्चों का भविष्य
सुदृढ़ दिखता है। शासकीय स्कूलों के विद्यार्थी हर क्षेत्र में अव्वल रहते
हैं।
मोनिका शुक्ला, एसपी-शाजापुर