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पांचवीं के बच्चे नहीं लिख पा रहे नाम, स्कूल भेजकर क्या करें

बीना। मालखेड़ी गांव के लोगों ने अपने बच्चों को स्कूल जाने पर पाबंदी लगा दी है। इसका कारण यह नहीं ग्रामीण बच्चों की पढ़ाई का विरोध कर रहे हैं, बल्कि स्कूल में पढ़ाई न होने से यह स्थिति बनी हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि शिक्षक मनमर्जी से स्कूल आते हैं और जब मन करता है चले जाते हैं।
शिक्षकों का पढ़ाई पर भी ध्यान नहीं है। पांचवीं के बच्चे अपना नाम नहीं लिख पाते। इसके चलते शनिवार से ग्रामीणों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है।
अभिभावक सुरेंद्र लोधी ने बताया कि गांव के 47 बच्चे स्कूल पढ़ाई करने जाते हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में हेडमास्टर सहित तीन शिक्षक पदस्थ हैं। शिक्षक अपनी मर्जी से स्कूल आते हैं और चले जाते हैं। पढ़ाई न होने से बच्चों को भविष्य खराब हो रहा है।
ग्रामीणों ने कई बार इसकी शिकायत अधिकारियों से की है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। कुछ दिन पहले ही ग्रामीणों ने सीएम हेल्प लाइन में शिकायत की थी कि शिक्षक स्कूल समय पर नहीं आते और न ही स्कूल में पढ़ाई होती है। बच्चों का शिक्षा का स्तर बहुत बुरा है।
इसकी जांच करने बीएसी शुक्रवार को गांव पहुंचे थे। ग्रामीणों के बयान लेते समय हेडमास्टर सरदार सिंह ठाकुर ने ग्रामीणों से गाली गलौज कर दी। इससे ग्रामीणों ने कहा कि शिकायत करने पर शिक्षक गालीगलौज कर रहे हैं। बच्चों की भविष्य भी बर्बाद हो रहा है। इसके चलते ग्रामीणों सोच लिया कि बच्चों को स्कूल भेजने से अच्छा है कि वह घर पर रहकर खेती किसानी का काम सीखें। इसके चलते उन्होंने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया।
एसडीएम ने कहा मत भेजो स्कूल
ग्रामीण नीरज लोधी ने बताया कि गांव के कुछ लोगों ने एसडीएम रजनी सिंह से जाकर कहा था कि मालखेड़ी स्कूल में पदस्थ शिक्षक बच्चों को पढ़ाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि शिकायत करने शिक्षक गालीगलौज करने लगे हैं। ग्रामीणों ने मांग की कि पूरे स्टाफ का स्थानांतरण किया जाए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इस पर एसडीएम ने कह दिया कि गांव वालों के कहने पर किसी का स्थानांतरण नहीं होगा। जिससे बच्चे स्कूल नहीं भेजना है, वह न भेजे। प्राइवेट स्कूल में पढ़ाए वहां अच्छी पढ़ाई होती है।
बच्चों को नहीं भेजेंगे स्कूल
शनिवार को गांव के लोग एकजुट होकर बैठे थे। उन्होंने कहा कि वह बच्चों को तब तक स्कूल नहीं भेजेंगे जब तक कि स्कूल में पदस्थ तीनों शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं हो जाता। दूसरे शिक्षक आने के बाद ही वह बच्चों को स्कूल भेजना शुरू करेंगे। बच्चे गांव में थे और शिक्षक स्कूल में बच्चों के आने का इंतजार कर रहे थे। दोपहर 12.30 बजे तक एक भी बच्चा स्कूल नहीं पहुंचा।
सारे आरोप झूठे
ग्रामीण की शिकायत के संबंध में हेडमास्टर सरदार सिंह का कहना है कि गांव के कुछ लोग उनसे रंजिश रखते हैं। इसके चलते उन पर स्कूल न आने और बच्चों को न पढ़ाने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका स्थानांतरण पहले ही हो चुका है। आदेश मिलते ही वह दूसरी स्कूल ज्वाइन कर लेंगे।
डीईओ को बताई स्थिति
हेडमास्टर का स्थानांतर हो चुका है। अब गांव वाले पूरे स्टाफ के तबादले की मांग कर रहे हैं। यह बात जिला शिक्षा अधिकारी तक पहुंचा दी गई है। इसके अलावा इस महिने शिक्षकों ने जितने दिन अध्यापन कार्य में लापरवाही बरती है उतने दिन का वेतन काटने की कार्रवाई की जा चुकी है।
पंचम सिंह राय, बीआरसीसी, बीना

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