नीमच। नकल
पर रोक लगाने व बच्चों की शैक्षणिक योग्यता का मूल्यांकन करने के साथ ही
मानसिक क्षमता का मूल्यांकन करने के उद्देश्य से इस बार कक्षा 3, 5 व 8 वीं
के बच्चों की परीक्षा नए पेटर्न पर होगी।इसमें बच्चे जिस कक्षा में
अध्यनरत है उसके साथ पुरानी कक्षाओं के प्रश्न और मानसिक क्षमता की जांच हो
सके ऐसे प्रश्न शामिल किए जाएंगे। इसी के साथ एक ही कक्षा के पेपर कई
प्रकार के होंगे। इस कारण कोई बच्चा समीप बैठे बच्चे की न तो नकल कर पाएगा
और न ही उसे कुछ बता सकेगा।
राज्य
शिक्षा केन्द्र भोपाल के निर्देशानुसार 18,19 एवं 20 जनवरी 2017 को सभी
शासकीय शालाओं में प्रतिभापर्व मनाया जाएगा। इसके तहत इस वर्ष प्रतिभा पर्व
नए पेटर्न में होगा। इसमें कक्षा 1, 2, 4, 6 व 7 के पेपर पूर्व अनुसार ही
होंगे। लेकिन कक्षा 3, 5 व 8 के पेपर बहुविकल्पीय होंगे। इसके प्रश्न नवंबर
माह तक पढ़ाए गए कोर्स के अनुसार होंगे। साथ ही पहले की कक्षाओं के प्रश्न
भी पूछे जाएंगे। साथ ही बच्चों की शैक्षणिक योग्यता के साथ मानसिक योग्यता
का भी परीक्षण होगा। ताकि पता चल सके की बच्चे में कक्षा और उम्र के
अनुसार कितनी समझ आई है।
प्रश्नपत्र 6 सेटों में
प्रश्नपत्र
6 सेटों में होंगे जिससे अलग अलग बच्चों के पास अलग प्रकार का पेपर होगा।
जिससे नकल की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी, पेपर का मूल्यांकन कक्षा शिक्षक को
छोड़कर अन्य शिक्षक करेंगे । 18 एवं 19 जनवरी को पेपर होंगे एवं 20 जनवरी
को आनंद उत्सव मनाया जाएगा। इसमें खेलकूद व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का
आयोजन किया जाएगा। 28 दिसंबर को डीडी एमपी के हेलो डीडी कार्यक्रम सायं
4.20 से 5 बजे के कार्यक्रम में प्रतिभा पर्व पर विशेष कार्यक्रम का
प्रसारण किया जाएगा आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा निर्देशित किया गया
है कि इस बार शिक्षकों पर परिणाम को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी,
लेकिन वे बच्चों की गुणवत्ता में सुधार के लिए ईमानदारी पूर्वक कार्य करें।
बच्चों की मानसिक कुशलता
इस
वर्ष नई पद्धति से होने वाली परीक्षा में बच्चों की मानसिक कुशलता जानी जा
सकेगी एवं अन्य प्रतियोगिता की परीक्षा देने में आसानी होगी। अभी तक बच्चे
रटी रटाई पद्धति से रटकर परीक्षा देते थे। अब उनकी मानसिक समझ की परीक्षा
होगी। जो कि बच्चों के लिए आवश्यक है।
-डॉ. पीएस गोयल, डीपीसी
नए पेटर्न से अवगत कराया
बीआरसी
एवं जनशिक्षकों को प्रतिभा पर्व के नए पेटर्न से अवगत कराया गया है। साथ
ही नमूना उपलब्ध कराए गए हैं जो शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण देकर बच्चों
की तैयारी कराएंगे। यह पद्धति निश्चित रूप से शासकीय शालाओं के बच्चों के
स्तर को बढ़ाएगी। अव बच्चे पाठ को रटेंगे नहीं उसको समझेंगे एवं समझ को
विकसित करेंगे।
-एसआर श्रीवास्तव, एपीसी