अध्यापक संवर्ग को छठा वेतनमान का लाभ 2013 से दिया जाना था। मुलभूत
नियमानुसार जिस दिनांक से अंतरिम राहत दी जाती है, उसी दिनांक से वेतनमान
स्वीकृत किया जाता है। लेकिन एक संघ के आंदोलन के कारण यह लाभ 2013 की बजाय
जनवरी 2016 से दिया जा रहा है।
इस प्रकार सहायक अध्यापक, अध्यापकों एवं वरिष्ठ अध्यापकों को 2013 से 2016 तक 3 वर्ष का लगभग 3-3 लाख रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है। जो उन्हें एरियर के रूप में मिलना था।
राज्य अध्यापक संघ के जिला प्रवक्ता इरफान मंसूरी ने बताया तत्कालीन अध्यापक संयुक्त मोर्चा के प्रांताध्यक्ष मुरलीधर पाटीदार के नेतृत्व में 2013 में प्रांतव्यापी बड़ा आंदोलन किया था। आंदोलन के चलते प्रदेश शासन ने 4 सितंबर 2013 को आदेश क्रं.एफ-4/113/2013/18-1 जारी किया था। जिसमें राज्य शासन ने निर्णय लिया था कि जनपद एवं नगरीय निकायों में नियुक्त अध्यापक संवर्ग एवं राज्य शासन के शिक्षक संवर्ग के वेतन के अंतर को आगामी 4 वर्षों में 4 अंतरिम राहत की किश्तों के लाभ के साथ 1 सितंबर 2017 से विधिवत सेवा अवधि की गणना 1 अप्रैल 2007 से की जाकर करनी थी। लेकिन एक संघ द्वारा किए आंदोलन में प्रदेश के अध्यापकों के दबाव के चलते शासन ने एक वर्ष पूर्व अध्यापकों को छठे वेतनमान का लाभ देने का निर्णय लिया। इसी के चलते शासन ने 15 अक्टूबर 2016 को छठे वेतनमान का लाभ देने के आदेश दिए है। जिसमें कई प्रकार की विसंगतियां हैं। इन विसंगतियों के चलते ही सहायक अध्यापक, अध्यापक एवं वरिष्ठ अध्यापकों को 3-3 लाख से अधिक का आर्थिक नुकसान हो रहा है। जो इन्हें एरियर के रूप में मिलनी थी।
2007 से पूर्व के अध्यापकों को काफी नुकसान हैं-मंसूरी ने बताया इस गणना पत्रक के अनुसार अध्यापकों को मिलने वाले छठे वेतनमान में 1995 से 2007 तक के अध्यापकों को वही लाभ मिलेगा जो 2009 या बाद में नियुक्त हुए है। इस प्रकार 2007 से पूर्व में नियुक्त अध्यापकों को वर्तमान में जारी गणना पत्रक के आधार पर काफी आर्थिक नुकसान हो रहा हैं।
इस प्रकार सहायक अध्यापक, अध्यापकों एवं वरिष्ठ अध्यापकों को 2013 से 2016 तक 3 वर्ष का लगभग 3-3 लाख रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है। जो उन्हें एरियर के रूप में मिलना था।
राज्य अध्यापक संघ के जिला प्रवक्ता इरफान मंसूरी ने बताया तत्कालीन अध्यापक संयुक्त मोर्चा के प्रांताध्यक्ष मुरलीधर पाटीदार के नेतृत्व में 2013 में प्रांतव्यापी बड़ा आंदोलन किया था। आंदोलन के चलते प्रदेश शासन ने 4 सितंबर 2013 को आदेश क्रं.एफ-4/113/2013/18-1 जारी किया था। जिसमें राज्य शासन ने निर्णय लिया था कि जनपद एवं नगरीय निकायों में नियुक्त अध्यापक संवर्ग एवं राज्य शासन के शिक्षक संवर्ग के वेतन के अंतर को आगामी 4 वर्षों में 4 अंतरिम राहत की किश्तों के लाभ के साथ 1 सितंबर 2017 से विधिवत सेवा अवधि की गणना 1 अप्रैल 2007 से की जाकर करनी थी। लेकिन एक संघ द्वारा किए आंदोलन में प्रदेश के अध्यापकों के दबाव के चलते शासन ने एक वर्ष पूर्व अध्यापकों को छठे वेतनमान का लाभ देने का निर्णय लिया। इसी के चलते शासन ने 15 अक्टूबर 2016 को छठे वेतनमान का लाभ देने के आदेश दिए है। जिसमें कई प्रकार की विसंगतियां हैं। इन विसंगतियों के चलते ही सहायक अध्यापक, अध्यापक एवं वरिष्ठ अध्यापकों को 3-3 लाख से अधिक का आर्थिक नुकसान हो रहा है। जो इन्हें एरियर के रूप में मिलनी थी।
2007 से पूर्व के अध्यापकों को काफी नुकसान हैं-मंसूरी ने बताया इस गणना पत्रक के अनुसार अध्यापकों को मिलने वाले छठे वेतनमान में 1995 से 2007 तक के अध्यापकों को वही लाभ मिलेगा जो 2009 या बाद में नियुक्त हुए है। इस प्रकार 2007 से पूर्व में नियुक्त अध्यापकों को वर्तमान में जारी गणना पत्रक के आधार पर काफी आर्थिक नुकसान हो रहा हैं।