भास्कर संवाददाता | मुरैना शिक्षा की गुणवत्ता स्थापित करने राज्य शिक्षा केन्द्र से लेकर जनशिक्षा केन्द्र तक हो-हल्ला मच रहा है लेकिन शिक्षकों की कमी पूरी करने पर किसी का ध्यान नहीं है। यही कारण है कि सरकारी स्कूलों में नवंबर बीतने तक आधा कोर्स भी नहीं पढ़ाया जा सका है।
वर्ष 2016-17 के शैक्षणिक सत्र में जिले के 1810 प्राइमरी व 550 मिडिल स्कूलों में सवा दो लाख छात्र-छात्राएं के नाम दर्ज हुए हैं । शिक्षा के अधिकार अधिनियम के मान इन बच्चों को पढ़ाने के लिए अभी 1820 शिक्षक व 134 हेडमास्टरों की कमी बनी हुई है।
इतनी बढ़ी संख्या में शिक्षकों की कमी के कारण स्कूलों में क्लास नहीं लग पा रही हैं। आलम यह है कि कहीं एक शिक्षक स्कूल के सभी बच्चों को घेरे हुए तो कहीं पांच क्लासों को दो शिक्षक। इस हाल में प्राइमरी व मिडिल स्कूल के बच्चों का माह सितंबर तक कोर्स नहीं पढ़ाया जा सका है। जबकि दिसंबर में छमाही परीक्षाएं शुरू होना है।
शैक्षणिक कैलेंडर पर अमल नहीं
प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में पाठ्यक्रम का अध्यापन कराने के लिए माह बार शैक्षणिक कैलेंडर तैयार किया जाता है। उसके अनुसार ही प्रश्न-पत्र तैयार किए जाते हैं। लेकिन इस बार शैक्षणिक कैलेंडर पर अमल नहीं हो सका है।
शासकीय प्राइमरी स्कूल छौंदा के कक्षा पांच के छात्र प्रकाश को हिंदी भाषा की किताब ठीक से पढ़ना नहीं आती है। इमला बोलने पर वह बिना गलती के नहीं लिख पाता है।
प्री-मेट्रिक आश्रम में रहकर कक्षा सात में पढ़ रहीं छात्रा पुष्पा जाटव को गणित में भाग करना नहीं आता है। कक्षा आठ की छात्रा सपना माहौर अपने परिवार के सदस्यों के नाम अंग्रेजी में नहीं लिख पाती है।
वर्ष 2016-17 के शैक्षणिक सत्र में जिले के 1810 प्राइमरी व 550 मिडिल स्कूलों में सवा दो लाख छात्र-छात्राएं के नाम दर्ज हुए हैं । शिक्षा के अधिकार अधिनियम के मान इन बच्चों को पढ़ाने के लिए अभी 1820 शिक्षक व 134 हेडमास्टरों की कमी बनी हुई है।
इतनी बढ़ी संख्या में शिक्षकों की कमी के कारण स्कूलों में क्लास नहीं लग पा रही हैं। आलम यह है कि कहीं एक शिक्षक स्कूल के सभी बच्चों को घेरे हुए तो कहीं पांच क्लासों को दो शिक्षक। इस हाल में प्राइमरी व मिडिल स्कूल के बच्चों का माह सितंबर तक कोर्स नहीं पढ़ाया जा सका है। जबकि दिसंबर में छमाही परीक्षाएं शुरू होना है।
शैक्षणिक कैलेंडर पर अमल नहीं
प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में पाठ्यक्रम का अध्यापन कराने के लिए माह बार शैक्षणिक कैलेंडर तैयार किया जाता है। उसके अनुसार ही प्रश्न-पत्र तैयार किए जाते हैं। लेकिन इस बार शैक्षणिक कैलेंडर पर अमल नहीं हो सका है।
शासकीय प्राइमरी स्कूल छौंदा के कक्षा पांच के छात्र प्रकाश को हिंदी भाषा की किताब ठीक से पढ़ना नहीं आती है। इमला बोलने पर वह बिना गलती के नहीं लिख पाता है।
प्री-मेट्रिक आश्रम में रहकर कक्षा सात में पढ़ रहीं छात्रा पुष्पा जाटव को गणित में भाग करना नहीं आता है। कक्षा आठ की छात्रा सपना माहौर अपने परिवार के सदस्यों के नाम अंग्रेजी में नहीं लिख पाती है।