प्राइमरी स्कूलों में कक्षा पहली व दूसरी के बच्चों को पढ़ना व लिखना सिखाने से पहले शिक्षकों को उन्हें एक प्रेरणादायक कहानी सुनानी होगी। स्कूल शिक्षा विभाग इस प्रयोग को स्कूल की गतिविधियों का अनिवार्य हिस्सा बनाने जा रहा है।
इस नई परंपरा को शुरू करने के लिए हर हफ्ते स्कूलों में बाल सभा का आयोजन होगा। इसमें बच्चों के अभिभावकों के साथ ही वरिष्ठ नागरिकों को स्थानीय भाषा व बोली में कहानी सुनाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। इसके अलावा स्कूलों में कहानी सुनाने की एक प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी।
राज्य शिक्षा केंद्र ने शिक्षकों में कहानी सुनाने पर समझ बनाने के लिए बाकायदा एक दस्तावेज जारी किया है। आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र दीप्ति गौड़ मुखर्जी ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों व जिला परियोजना समन्वयकों को निर्देश जारी कर प्राथमिक स्कूलों की पहली और दूसरी कक्षाओं में कहानी सुनाना शिक्षण प्रक्रिया में शामिल करने को कहा है। आदेश में कहा गया है कि भाषा सिखाने के लिए बच्चों को पढ़ाते समय प्रेरणादायक कहानी जरूर सुनाई जाए।
बच्चों के साथ चर्चा भी करेंगे शिक्षक
आदेश में स्पष्ट है कि वर्तमान में शिक्षण प्रक्रिया नीरस हो रही है। शिक्षक बच्चों को न तो कहानी सुनाते हैं और न ही उस पर खुलकर चर्चा करते हैं। ऐसी कक्षा में शिक्षक और बच्चों के बीच मित्रों जैसे संबंध स्थापित नहीं हो पाता। इससे बच्चे खुलकर शिक्षक से अपनी जिज्ञासा को उजागर नहीं कर पाते और यह बच्चों के सीखने में बाधा उत्पन्न करती है।
कहानी रोचक हो तथा बच्चों के पठन-पाठन की प्रक्रिया में रोचकता पैदा हो।
बच्चे अपने क्षेत्र की लोक संस्कृति, लोक साहित्य, परपंराओं व सभ्यताओं से परिचित हो सकें।
बच्चों की भाषा पर पकड़ हो और वे धाराप्रवाह से पढ़ सकें।
बच्चों की झिझक दूर हो और वे शिक्षकों को अपना मित्र मानें।
बच्चों को पढ़ने की जिज्ञासा हो।
यह भी रखना होगा ध्यान
कहानी छोटी व सरल हो तथा कहानी बच्चों के स्तर के अनुरूप हो।
भाषा भी सरल व सरस हो, वाक्य छोटे हों और वाकयों को दोहराव भी हो।
कहानी छोटी व मनोरंजक हो, कहानी में पात्रों की संख्या अधिक न हो।
कहानी किसी प्रकार के पूर्वाग्रह से ग्रसित न हो। कहानी अधिक उपदेशात्मक न हो।
कहानी बच्चों के परिवेश से मिलती जुलती हो।
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इस नई परंपरा को शुरू करने के लिए हर हफ्ते स्कूलों में बाल सभा का आयोजन होगा। इसमें बच्चों के अभिभावकों के साथ ही वरिष्ठ नागरिकों को स्थानीय भाषा व बोली में कहानी सुनाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। इसके अलावा स्कूलों में कहानी सुनाने की एक प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी।
राज्य शिक्षा केंद्र ने शिक्षकों में कहानी सुनाने पर समझ बनाने के लिए बाकायदा एक दस्तावेज जारी किया है। आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र दीप्ति गौड़ मुखर्जी ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों व जिला परियोजना समन्वयकों को निर्देश जारी कर प्राथमिक स्कूलों की पहली और दूसरी कक्षाओं में कहानी सुनाना शिक्षण प्रक्रिया में शामिल करने को कहा है। आदेश में कहा गया है कि भाषा सिखाने के लिए बच्चों को पढ़ाते समय प्रेरणादायक कहानी जरूर सुनाई जाए।
बच्चों के साथ चर्चा भी करेंगे शिक्षक
आदेश में स्पष्ट है कि वर्तमान में शिक्षण प्रक्रिया नीरस हो रही है। शिक्षक बच्चों को न तो कहानी सुनाते हैं और न ही उस पर खुलकर चर्चा करते हैं। ऐसी कक्षा में शिक्षक और बच्चों के बीच मित्रों जैसे संबंध स्थापित नहीं हो पाता। इससे बच्चे खुलकर शिक्षक से अपनी जिज्ञासा को उजागर नहीं कर पाते और यह बच्चों के सीखने में बाधा उत्पन्न करती है।
कहानी रोचक हो तथा बच्चों के पठन-पाठन की प्रक्रिया में रोचकता पैदा हो।
बच्चे अपने क्षेत्र की लोक संस्कृति, लोक साहित्य, परपंराओं व सभ्यताओं से परिचित हो सकें।
बच्चों की भाषा पर पकड़ हो और वे धाराप्रवाह से पढ़ सकें।
बच्चों की झिझक दूर हो और वे शिक्षकों को अपना मित्र मानें।
बच्चों को पढ़ने की जिज्ञासा हो।
यह भी रखना होगा ध्यान
कहानी छोटी व सरल हो तथा कहानी बच्चों के स्तर के अनुरूप हो।
भाषा भी सरल व सरस हो, वाक्य छोटे हों और वाकयों को दोहराव भी हो।
कहानी छोटी व मनोरंजक हो, कहानी में पात्रों की संख्या अधिक न हो।
कहानी किसी प्रकार के पूर्वाग्रह से ग्रसित न हो। कहानी अधिक उपदेशात्मक न हो।
कहानी बच्चों के परिवेश से मिलती जुलती हो।
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