जबलपुर। निजी स्कूलों की मनमानियों का बोझ ढो रहे
अभिभावकों को अभी 6 माह और परेशान होना पड़ेगा, क्योंकि निजी स्कूलों पर
लगाम लगाने स्कूल शिक्षा विभाग नए नियम अप्रैल 2017 से लागू करेगा।
स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह का मानना है कि शिक्षण सत्र के बीच में नए नियम बना भी दिए तो अभिभावकों को फायदा नहीं मिलेगा। अप्रैल माह से हर हाल में नियम लागू कर दिए जाएंगे।
इन पर रोक का दावा
- मंत्री विजय शाह ने 'नईदुनिया' से चर्चा में बताया कि जो नए नियम बनाए जा रहे है उससे हर साल स्कूल वाले मनमानी फीस नहीं बढ़ा पाएंगे। महंगाई के हिसाब से फीस बढ़ाना है तो अभिभावकों की जेब का ध्यान रखना होगा।
- सिलेबस में महंगी किताबे चलाने का चलन भी खत्म होगा। एनसीईआरटी की किताबे सख्ती से लागू की जाएंगी।
- एक ही स्कूल से यूनिफार्म, जूते-मौजे खरीदने और हर साल उसमें बदलाव करने की मनमानियों पर भी रोक लगाई जाएगी।
बस किराया घटेगा इसकी उम्मीद कम
स्कूल बस सेवा के नाम पर हर साल किराया बढ़ा कर अभिभावकों की जेब काटने के मामले में मंत्री शाह ने फीस रेगुलेशन सिस्टम में किराया का मैटर जोड़ने के संकेत तो दिए हैं, लेकिन ये भी साफ किया है कि महंगाई को देखकर ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। यानी अभिभावकों को बस किराए में राहत मिलेगी इसकी उम्मीद कम ही है।
3 साल से बन रहे नियम
- निजी स्कूलों की मनमानियों के खिलाफ नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने 2012 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
- स्वंयसेवी संगठनों ने भी कोर्ट की शरण ली तब सरकार ने नियम तो नहीं बनाए, लेकिन 2014 में फीस निर्धारण, कापी, किताब, यूनिफार्म को लेकर एक गाइडलाइन जारी की। विरोध के बाद गाइडलाइन रद्द कर दी गई।
- कोर्ट ने जून 2016 में फिर सरकार से नियम बनाने कहा। इसके बाद सरकार ने 2 माह का समय मांगा, लेकिन 5 माह बीतने के बाद भी नियम नहीं बन पाए।
फीस रेगुलेशन सिस्टम बनाने शासन ने 2 माह का समय मांगा था, लेकिन 5 माह बाद भी रेगुलेशन सिस्टम नहीं बन पाया। माननीय कोर्ट से इस मामले में अर्जेन्ट सुनवाई की मांग करेंगे। -पीजी नाजपांडे, याचिकाकर्ता
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स्कूल शिक्षा मंत्री कुंवर विजय शाह का मानना है कि शिक्षण सत्र के बीच में नए नियम बना भी दिए तो अभिभावकों को फायदा नहीं मिलेगा। अप्रैल माह से हर हाल में नियम लागू कर दिए जाएंगे।
इन पर रोक का दावा
- मंत्री विजय शाह ने 'नईदुनिया' से चर्चा में बताया कि जो नए नियम बनाए जा रहे है उससे हर साल स्कूल वाले मनमानी फीस नहीं बढ़ा पाएंगे। महंगाई के हिसाब से फीस बढ़ाना है तो अभिभावकों की जेब का ध्यान रखना होगा।
- सिलेबस में महंगी किताबे चलाने का चलन भी खत्म होगा। एनसीईआरटी की किताबे सख्ती से लागू की जाएंगी।
- एक ही स्कूल से यूनिफार्म, जूते-मौजे खरीदने और हर साल उसमें बदलाव करने की मनमानियों पर भी रोक लगाई जाएगी।
बस किराया घटेगा इसकी उम्मीद कम
स्कूल बस सेवा के नाम पर हर साल किराया बढ़ा कर अभिभावकों की जेब काटने के मामले में मंत्री शाह ने फीस रेगुलेशन सिस्टम में किराया का मैटर जोड़ने के संकेत तो दिए हैं, लेकिन ये भी साफ किया है कि महंगाई को देखकर ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। यानी अभिभावकों को बस किराए में राहत मिलेगी इसकी उम्मीद कम ही है।
3 साल से बन रहे नियम
- निजी स्कूलों की मनमानियों के खिलाफ नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने 2012 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
- स्वंयसेवी संगठनों ने भी कोर्ट की शरण ली तब सरकार ने नियम तो नहीं बनाए, लेकिन 2014 में फीस निर्धारण, कापी, किताब, यूनिफार्म को लेकर एक गाइडलाइन जारी की। विरोध के बाद गाइडलाइन रद्द कर दी गई।
- कोर्ट ने जून 2016 में फिर सरकार से नियम बनाने कहा। इसके बाद सरकार ने 2 माह का समय मांगा, लेकिन 5 माह बीतने के बाद भी नियम नहीं बन पाए।
फीस रेगुलेशन सिस्टम बनाने शासन ने 2 माह का समय मांगा था, लेकिन 5 माह बाद भी रेगुलेशन सिस्टम नहीं बन पाया। माननीय कोर्ट से इस मामले में अर्जेन्ट सुनवाई की मांग करेंगे। -पीजी नाजपांडे, याचिकाकर्ता
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