भास्कर संवाददाता| छतरपुर शिक्षकों की निगरानी करने के लिए शासन ने भले 25 सितंबर 15 से एम शिक्षा मित्र मोबाइल एप सिस्टम प्रभावी कर दिया हो, लेकिन जिले में इसकी स्थिति काफी दयनीय है।
यहां तक की डीईओ और डीपीसी कार्यालय में पदस्थ कर्मियों ने आज एक साल बीत जाने के बाद भी मोबाइल एप डाउनलोड नहीं किया, जो हमेशा ही अधिकारियों की नजर में रहते है। इसके अलावा जिले के कई बीआरसीसी भी ऐसे है, जिन्होंने अभी तक इस एप को डाउनलोड नहीं किया है। मजे की बात तो यह है कि सभी अधिकारियों को शासन की ओर से बकायदा लक्ष्य दिया गया है, लेकिन इसके बाद भी अधिकारियों ने उत्साह नहीं दिया। नतीजन छतरपुर की स्थिति पोर्टल में फिसड्डी साबित हो रही है।
दरअसल शासन द्वारा शिक्षा सत्र 2016-17- में स्कूल शिक्षा विभाग के अशासकीय स्कूलों और कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों व शिक्षकों को एम शिक्षा मित्र मोबाइल एप उपलब्ध कराया गया है। इसके माध्यम से कर्मचारियों क उपस्थिति के अलावा पेय स्लिप जैसे कई कार्य होते है। बता दे कि यह मोबाइल एप खासतौर पर शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को डाउनलोड करना शासन द्वारा सुनिश्चित किया गया है, जो 25 सितंबर 15 से प्रभावी शाली हो गया है, लेकिन जिले में हकीकत कुछ और ही है। जिले में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों ने ही इस आदेश को ठेंगा दिखा दिया, तो फिर स्कूलों में क्या हालात होंगे, यह अंदाजा आप लगा सकते हैं।
टारगेट अनुसार नहीं हुए मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड
मोबाइल एप उपयोग करने के पूर्व जरुरी होगा कर्मचारी का मोबाइल नंबर दर्ज होना, जो कार्य डीडीओ आहरण वितरण अधिकारी को सौंपा गया था। योजना लागू हुए एक साल हो गए है, लेकिन पोर्टल के अनुसार अभी तक कर्मचारियों के मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड नहीं कराए गए है। इसके अलावा भी पर्यवेक्षण अधिकारी द्वारा प्रतिदिन कम से कम 10 शिक्षकों या कर्मचरियों से उनके द्वारा पंजीकृत मोबाइल नंबर पर संपर्क कर यह जारी रखेंगे कि मोबाइल का उपयोग उसी शिक्षक द्वारा उपस्थिति या अवकाश के लिए उपयोग किया जा रहा है या नहीं। इस ओर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
अशासकीय स्कूल तो मान ही नहीं रहे आदेश: शासन के आदेश को अशासकीय स्कूल के कोई भी अधिकारी और कर्मचारी बिलकुल भी नहीं मान रहे है। और जिले के जिम्मेदार अधिकारियों भी इस ओर ध्यान नहीं है। अशासकीय स्कूलों के संचालक अपने मनमाफिक तरीके से स्कूलों का संचालन कर रहे है।
यह सुविधाएं दी गई मोबाइल एप में: शिक्षा, अधिकारी और कर्मचरी मोबाइल एप के माध्यम से पे स्लिप शिकायत निवारण, विभागीय निर्देश, शाला निरीक्षण रिपोर्ट, विद्यालयों को विभिन्न मदों से प्राप्त राशि की जानकारी, छात्रों की स्कॉलरशिप स्टेटस, अवकाश के लिए आवेदन, दैनिक उपस्थिति दर्ज कराना, स्कूलों से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी एजुकेशन पोर्टल पर दर्ज करना। इसके अलावा भी कई प्रकार की सेवाएं इसमें प्रदान की गई है।
कैसे होगी पारदर्शिता
शासन के आदेश को जिले में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी ठेंगा दिखा रहे है और अपने नियमानुसार ही कार्य कर रहे है। शासन ने खासतौर पर उपस्थिति में पारदर्शिता के उद्देश्य से यह मोबाइल एप चलाया है। अधिकांश स्कूलों में शिक्षक और कर्मचारी लेटलतीफी से आ जा रहे है और लेटलतीफी की सच्चाई सामने न आए इसके कारण वे यह मोबाइल एप डाउनलोड करने से बच रहे है। इस प्रकार की लापरवाही से कैसे पारदर्शिता आएगी और शिक्षा का स्तर भी कैसे सुधरेगा। जिले में डीईओ कार्यालय में 29 कर्मचारी सहित अधिकारी है, जिनमें से महज 5 ने ही इस एप को डाउनलोड किया है। वहीं डीपीसी कार्यालय में 18 में से 3 ने ही डाउनलोड किया है।
निर्देश करेंगे जारी
एप डाउनलोड करने के लिए सभी बीईओ सहित बीआरसीसी को निर्देश दिए गए थे। हम अपने कार्यालय में भी इसके लिए निर्देश देंगे। इसके बाद भी यदि एप को डाउनलोड नहीं किया गया है और उपयोग नहीं हो रहा है, तो द्वारा निर्देश जारी कर नियमों का पालन करने को कहा जाएगा। यदि फिर भी नहीं किसी प्रकार की लापरवाही बरती जाती है, तो संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। जेएस बरकड़े, डीईओ छतरपुर
दूसरों को पाठ सिखाने वाले वरिष्ठ कार्यालयों की स्थिति
कार्यालय टारगेट डाउनलोड
डीईओ 29 5
डीपीसी 18 3
बीआरसी 36 19
डीएईओ 3 0
सीटीई 31 3
बीईओ 7 0
डिस्ट्रिक ऑर्गेनाइजर 107 0
जिले की यह है दयनीय स्थिति
विकासखंड टारगेट डाउनलोड
बकस्वाहा 532 231
लवकुशनगर 1094 235
नौगांव 1366 337
बारीगढ़/गौरि.960 78
राजनगर 1340 374
बिजावर 1027 94
बड़ामलहरा 1178 367
छतरपुर 2046 529
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यहां तक की डीईओ और डीपीसी कार्यालय में पदस्थ कर्मियों ने आज एक साल बीत जाने के बाद भी मोबाइल एप डाउनलोड नहीं किया, जो हमेशा ही अधिकारियों की नजर में रहते है। इसके अलावा जिले के कई बीआरसीसी भी ऐसे है, जिन्होंने अभी तक इस एप को डाउनलोड नहीं किया है। मजे की बात तो यह है कि सभी अधिकारियों को शासन की ओर से बकायदा लक्ष्य दिया गया है, लेकिन इसके बाद भी अधिकारियों ने उत्साह नहीं दिया। नतीजन छतरपुर की स्थिति पोर्टल में फिसड्डी साबित हो रही है।
दरअसल शासन द्वारा शिक्षा सत्र 2016-17- में स्कूल शिक्षा विभाग के अशासकीय स्कूलों और कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों व शिक्षकों को एम शिक्षा मित्र मोबाइल एप उपलब्ध कराया गया है। इसके माध्यम से कर्मचारियों क उपस्थिति के अलावा पेय स्लिप जैसे कई कार्य होते है। बता दे कि यह मोबाइल एप खासतौर पर शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को डाउनलोड करना शासन द्वारा सुनिश्चित किया गया है, जो 25 सितंबर 15 से प्रभावी शाली हो गया है, लेकिन जिले में हकीकत कुछ और ही है। जिले में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों ने ही इस आदेश को ठेंगा दिखा दिया, तो फिर स्कूलों में क्या हालात होंगे, यह अंदाजा आप लगा सकते हैं।
टारगेट अनुसार नहीं हुए मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड
मोबाइल एप उपयोग करने के पूर्व जरुरी होगा कर्मचारी का मोबाइल नंबर दर्ज होना, जो कार्य डीडीओ आहरण वितरण अधिकारी को सौंपा गया था। योजना लागू हुए एक साल हो गए है, लेकिन पोर्टल के अनुसार अभी तक कर्मचारियों के मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड नहीं कराए गए है। इसके अलावा भी पर्यवेक्षण अधिकारी द्वारा प्रतिदिन कम से कम 10 शिक्षकों या कर्मचरियों से उनके द्वारा पंजीकृत मोबाइल नंबर पर संपर्क कर यह जारी रखेंगे कि मोबाइल का उपयोग उसी शिक्षक द्वारा उपस्थिति या अवकाश के लिए उपयोग किया जा रहा है या नहीं। इस ओर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
अशासकीय स्कूल तो मान ही नहीं रहे आदेश: शासन के आदेश को अशासकीय स्कूल के कोई भी अधिकारी और कर्मचारी बिलकुल भी नहीं मान रहे है। और जिले के जिम्मेदार अधिकारियों भी इस ओर ध्यान नहीं है। अशासकीय स्कूलों के संचालक अपने मनमाफिक तरीके से स्कूलों का संचालन कर रहे है।
यह सुविधाएं दी गई मोबाइल एप में: शिक्षा, अधिकारी और कर्मचरी मोबाइल एप के माध्यम से पे स्लिप शिकायत निवारण, विभागीय निर्देश, शाला निरीक्षण रिपोर्ट, विद्यालयों को विभिन्न मदों से प्राप्त राशि की जानकारी, छात्रों की स्कॉलरशिप स्टेटस, अवकाश के लिए आवेदन, दैनिक उपस्थिति दर्ज कराना, स्कूलों से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी एजुकेशन पोर्टल पर दर्ज करना। इसके अलावा भी कई प्रकार की सेवाएं इसमें प्रदान की गई है।
कैसे होगी पारदर्शिता
शासन के आदेश को जिले में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी ठेंगा दिखा रहे है और अपने नियमानुसार ही कार्य कर रहे है। शासन ने खासतौर पर उपस्थिति में पारदर्शिता के उद्देश्य से यह मोबाइल एप चलाया है। अधिकांश स्कूलों में शिक्षक और कर्मचारी लेटलतीफी से आ जा रहे है और लेटलतीफी की सच्चाई सामने न आए इसके कारण वे यह मोबाइल एप डाउनलोड करने से बच रहे है। इस प्रकार की लापरवाही से कैसे पारदर्शिता आएगी और शिक्षा का स्तर भी कैसे सुधरेगा। जिले में डीईओ कार्यालय में 29 कर्मचारी सहित अधिकारी है, जिनमें से महज 5 ने ही इस एप को डाउनलोड किया है। वहीं डीपीसी कार्यालय में 18 में से 3 ने ही डाउनलोड किया है।
निर्देश करेंगे जारी
एप डाउनलोड करने के लिए सभी बीईओ सहित बीआरसीसी को निर्देश दिए गए थे। हम अपने कार्यालय में भी इसके लिए निर्देश देंगे। इसके बाद भी यदि एप को डाउनलोड नहीं किया गया है और उपयोग नहीं हो रहा है, तो द्वारा निर्देश जारी कर नियमों का पालन करने को कहा जाएगा। यदि फिर भी नहीं किसी प्रकार की लापरवाही बरती जाती है, तो संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। जेएस बरकड़े, डीईओ छतरपुर
दूसरों को पाठ सिखाने वाले वरिष्ठ कार्यालयों की स्थिति
कार्यालय टारगेट डाउनलोड
डीईओ 29 5
डीपीसी 18 3
बीआरसी 36 19
डीएईओ 3 0
सीटीई 31 3
बीईओ 7 0
डिस्ट्रिक ऑर्गेनाइजर 107 0
जिले की यह है दयनीय स्थिति
विकासखंड टारगेट डाउनलोड
बकस्वाहा 532 231
लवकुशनगर 1094 235
नौगांव 1366 337
बारीगढ़/गौरि.960 78
राजनगर 1340 374
बिजावर 1027 94
बड़ामलहरा 1178 367
छतरपुर 2046 529
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