गुना। जिले के 2 दो हजार सहायक शिक्षक ऐसे हैं,
जिन्हें 35 से 40 साल की नौकरी में एक भी प्रमोशन नहीं मिल सका है। जबकि
शिक्षक संवर्ग का स्थान लेने वाले अध्यापक संवर्ग 7 से 8 साल में ही
पदोन्नति ले चुका है। इस विसंगति का ठीकरा भी सहायक शिक्षकों ने शिक्षा
विभाग के अधिकारियों के साथ सरकार पर फोड़ा है।
एक ओर विभाग के अधिकारी नीति प्रस्तावित नहीं कर पाए, तो सरकार के संज्ञान में मामला आने के बाद भी सहायक शिक्षकों को पदोन्नति दे पाने में नाकाम और मौन रही है। इससे नाराज शिक्षक संवर्ग अब 5 सितंबर को शिक्षक दिवस का बहिष्कार करते हुए मिले सम्मानों को कलेक्टर के माध्यम से सरकार को लौटाएगा।
दरअसल, जिले में सहायक शिक्षक संवर्ग में लगभग 2 हजार शिक्षक हैं, जिनमें सहायक शिक्षक, उच्चश्रेणी शिक्षक और मिडिल हेडमास्टर शामिल हैं। लेकिन शिक्षा विभाग के अधीन होकर भी सहायक शिक्षक संवर्ग को पदोन्नति नहीं मिल सकी है। हालांकि, क्रमोन्नति मिलने से उनका वेतनमान बढ़ा है, लेकिन पदोन्नति न मिलने से पदनाम जो भर्ती के समय था, वही है। इधर, शिक्षक संवर्ग के स्थान पर सरकार अध्यापक संवर्ग की भर्ती करते हुए शिक्षक संवर्ग को भूल गई। यही वजह है कि अध्यापक संवर्ग ने 7 से 8 साल में पदोन्नति का लाभ लिया, वहीं सहायक शिक्षकों को 35 से 40 साल बाद भी प्रमोशन नहीं मिल सका है। इससे नाराज शिक्षक संवर्ग ने प्रथम क्रमोन्नति दिनांक से पदोन्नति और त्रिस्तरीय समयमान वेतन की मांग को लेकर शिक्षक दिवस का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। इस दौरान काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे और किसी भी सरकारी आयोजन में शामिल नहीं होंगे। इतना ही नहीं, शिक्षक संवर्ग शिक्षक दिवस पर मिले सम्मान भी कलेक्टर के माध्यम से सरकार को लौटाएंगे।
इनका कहना है-
शिक्षक संवर्ग शिक्षा विभाग के अधीनस्थ हैं, जबकि अध्यापक संवर्ग नगरीय निकाय एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधीन है। इसके बाद भी विभाग के अधिकारी सहायक शिक्षकों की पदोन्नति को लेकर नीति प्रस्तावित करने में अनदेखी करते रहे हैं, तो सरकार भी संज्ञान के बाद भी सौतेला व्यवहार कर रही है। इसी का हम विरोध कर रहे हैं।
- मुकेश शर्मा, प्रांताध्यक्ष, समग्र शिक्षक व्याख्याता एवं प्राचार्य कल्याण संघ
हमारी लड़ाई सिर्फ सरकार की विसंगतिपूर्ण नीति को लेकर है। एक ओर अध्यापक संवर्ग को 7 से 8 साल में पदोन्नति का लाभ दिया जा रहा है, तो सहायक शिक्षकों को 35 से 40 साल की नौकरी में एक भी प्रमोशन नहीं दिया जा सका है। शिक्षक दिवस का शांतिपूर्ण बहिष्कार का उद्देश्य भी सरकार के सौतेले व्यवहार की खिलाफत करना है।
- सुरेश दुबे, प्रांताध्यक्ष, सहायक शिक्षक, शिक्षक व प्रधानाध्यापक प्रकोष्ठ
हमारी सिर्फ दो सूत्रीय मांग हैं। प्रथम क्रमोन्नति दिनांक से पदोन्नति का लाभ दिया जाए, तो दूसरी त्रिस्तरीय समयमान वेतन मिले। इसी को लेकर हम शिक्षक दिवस का बहिष्कार कर रहे हैं। इस दिन काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और किसी भी सरकारी आयोजन का हिस्सा नहीं बनेंगे। इसके साथ ही शिक्षक दिवसों पर मिले सम्मान भी कलेक्टर के माध्यम से सरकार को लौटाएंगे।
- राजेंद्र रघुवंशी, जिला संयोजक, समग्र शिक्षक व्याख्याता एवं प्राचार्य कल्याण संघ
सरकारी कर्मचारी को 10, 20 और 30 साल में क्रमोन्नति दी जा रही है, जबकि सहायक शिक्षकों को 12 और 24 साल में। यह विसंगति क्यों, जबकि हम तो शिक्षा विभाग के अधीन हैं। इसके अलावा नियुक्ति दिनांक से सहायक शिक्षक का ठप्पा लगा है, अब तक वह नहीं हट सका है। इससे शिक्षा विभाग की ओर से मिलने वाले लाभ भी नहीं मिल पा रहे हैं।
- नरेंद्र माथुर, जिला संयोजक, मप्र सहायक शिक्षक संघर्ष मोर्चा गुना
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एक ओर विभाग के अधिकारी नीति प्रस्तावित नहीं कर पाए, तो सरकार के संज्ञान में मामला आने के बाद भी सहायक शिक्षकों को पदोन्नति दे पाने में नाकाम और मौन रही है। इससे नाराज शिक्षक संवर्ग अब 5 सितंबर को शिक्षक दिवस का बहिष्कार करते हुए मिले सम्मानों को कलेक्टर के माध्यम से सरकार को लौटाएगा।
दरअसल, जिले में सहायक शिक्षक संवर्ग में लगभग 2 हजार शिक्षक हैं, जिनमें सहायक शिक्षक, उच्चश्रेणी शिक्षक और मिडिल हेडमास्टर शामिल हैं। लेकिन शिक्षा विभाग के अधीन होकर भी सहायक शिक्षक संवर्ग को पदोन्नति नहीं मिल सकी है। हालांकि, क्रमोन्नति मिलने से उनका वेतनमान बढ़ा है, लेकिन पदोन्नति न मिलने से पदनाम जो भर्ती के समय था, वही है। इधर, शिक्षक संवर्ग के स्थान पर सरकार अध्यापक संवर्ग की भर्ती करते हुए शिक्षक संवर्ग को भूल गई। यही वजह है कि अध्यापक संवर्ग ने 7 से 8 साल में पदोन्नति का लाभ लिया, वहीं सहायक शिक्षकों को 35 से 40 साल बाद भी प्रमोशन नहीं मिल सका है। इससे नाराज शिक्षक संवर्ग ने प्रथम क्रमोन्नति दिनांक से पदोन्नति और त्रिस्तरीय समयमान वेतन की मांग को लेकर शिक्षक दिवस का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। इस दौरान काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे और किसी भी सरकारी आयोजन में शामिल नहीं होंगे। इतना ही नहीं, शिक्षक संवर्ग शिक्षक दिवस पर मिले सम्मान भी कलेक्टर के माध्यम से सरकार को लौटाएंगे।
इनका कहना है-
शिक्षक संवर्ग शिक्षा विभाग के अधीनस्थ हैं, जबकि अध्यापक संवर्ग नगरीय निकाय एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधीन है। इसके बाद भी विभाग के अधिकारी सहायक शिक्षकों की पदोन्नति को लेकर नीति प्रस्तावित करने में अनदेखी करते रहे हैं, तो सरकार भी संज्ञान के बाद भी सौतेला व्यवहार कर रही है। इसी का हम विरोध कर रहे हैं।
- मुकेश शर्मा, प्रांताध्यक्ष, समग्र शिक्षक व्याख्याता एवं प्राचार्य कल्याण संघ
हमारी लड़ाई सिर्फ सरकार की विसंगतिपूर्ण नीति को लेकर है। एक ओर अध्यापक संवर्ग को 7 से 8 साल में पदोन्नति का लाभ दिया जा रहा है, तो सहायक शिक्षकों को 35 से 40 साल की नौकरी में एक भी प्रमोशन नहीं दिया जा सका है। शिक्षक दिवस का शांतिपूर्ण बहिष्कार का उद्देश्य भी सरकार के सौतेले व्यवहार की खिलाफत करना है।
- सुरेश दुबे, प्रांताध्यक्ष, सहायक शिक्षक, शिक्षक व प्रधानाध्यापक प्रकोष्ठ
हमारी सिर्फ दो सूत्रीय मांग हैं। प्रथम क्रमोन्नति दिनांक से पदोन्नति का लाभ दिया जाए, तो दूसरी त्रिस्तरीय समयमान वेतन मिले। इसी को लेकर हम शिक्षक दिवस का बहिष्कार कर रहे हैं। इस दिन काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और किसी भी सरकारी आयोजन का हिस्सा नहीं बनेंगे। इसके साथ ही शिक्षक दिवसों पर मिले सम्मान भी कलेक्टर के माध्यम से सरकार को लौटाएंगे।
- राजेंद्र रघुवंशी, जिला संयोजक, समग्र शिक्षक व्याख्याता एवं प्राचार्य कल्याण संघ
सरकारी कर्मचारी को 10, 20 और 30 साल में क्रमोन्नति दी जा रही है, जबकि सहायक शिक्षकों को 12 और 24 साल में। यह विसंगति क्यों, जबकि हम तो शिक्षा विभाग के अधीन हैं। इसके अलावा नियुक्ति दिनांक से सहायक शिक्षक का ठप्पा लगा है, अब तक वह नहीं हट सका है। इससे शिक्षा विभाग की ओर से मिलने वाले लाभ भी नहीं मिल पा रहे हैं।
- नरेंद्र माथुर, जिला संयोजक, मप्र सहायक शिक्षक संघर्ष मोर्चा गुना
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