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शिक्षकों की 12 कैटेगरी, फिर भी डेढ़ लाख कम

छिंदवाड़ा. सहायक शिक्षक, शिक्षक, व्याख्याता, शिक्षाकर्मी, अध्यापक संवर्ग, अतिथि शिक्षक..। संभवत: यह मप्र में ही है, जहां एक काम को करने वाले के नाम और दाम यानी वेतन में जमीन आसमान का अंतर है। पढ़ाने वालों को 12 अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
मप्र के बाद छत्तीसगढ़ में ही अध्यापक संवर्ग है, लेकिन 12 वर्ग तो वहां भी नहीं है। उप्र जैसे राज्य में शिक्षामित्र हैं, लेकिन इतनी लंबी फेहरिस्त नहीं है। यहां तो स्थिति यह हैं कि अध्यापन में लगे कर्मचारियों को तीन मुख्य और सात से ज्यादा सब कैटेगरी में बांट रखा है। हैरत यह कि इतनी कैटेगरी के बावजूद स्कूलों में अब भी डेढ़ लाख से अधिक पढ़ाने वालों की कमी है। करीब 1.71 लाख स्कूलों में 5.20 लाख पढ़ाने वालों की जरूरत है।

आंकड़े खंगाले गए तो पता चला सभी कैटेगरी मिलाकर भी 3.70 लाख ही अध्यापन के लिए उपलब्ध हो पा रहे हैं। अब स्थिति यह कि हर साल दैनिक वेतनभोगी की तरह अतिथियों की मदद ली जाती है। स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह का कहना है कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कर रही है।सुधार के जरूरी उपाय किए जाएंगे, इसमें शिक्षकों की कमी को दूर करना भी है।

ये हैं 12 संवर्ग
नियमित शिक्षक : इसमें तीन वर्ग सहायक शिक्षक, शिक्षक, व्याख्याता। इनका वेतनमान 9300 से 34800 रुपए है। ये डाइंग कैडर में हैं।

संविदा : वर्ग एक, वर्ग दो और वर्ग तीन। चार साल से नई भर्ती नहीं हुई। 1999 में शिक्षाकर्मी के नाम से भर्ती शुरू। 3500, 5500 और 7500 रुपए वेतन मिलता है।

अध्यापक संवर्ग : इसमें सहायक अध्यापक, अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक का पद दिया गया। इसमें 800 रुपए से 4800 रुपए का वेतनमान तय है। संविदा को तीन साल का प्रोबेशन पीरियड के बाद नियुक्ति।

गुरुजी : छोटे टोले-कस्बों में।
ईजीएस कार्यकर्ता : ये भी टोलों में काम करते हैं।

अतिथि शिक्षक : दैनिक वेतनभोगी की तरह प्रति पीरियड भुगतान होता है। इनकी भी वरिष्ठ, अध्यापक और सहायक अध्यापक के पद विरुद्ध। अधिकतम 3200 रुपए से 5500 रुपए तक मासिक वेतन बनता है।
नियमित - 70000
वर्ग तीन - 2.5 लाख
वर्ग दो - 80 हजार
वर्ग एक- 20 हजार

एक्सपर्ट कमेंट
आरटीई के नियमानुसार तीन शिक्षकों का होना अनिवार्य है। वहीं कैटेगरी के हिसाब से शिक्षकों की जरुरत भी बढ़ गई है। लेकिन शासन द्वारा व्यापमं की परीक्षा निकालने के साथ-साथ बीएड, डीएड भी अनिवार्य कर दिया गया। इसके कारण कई योग्य शिक्षित युवक भी शिक्षक बनने से वंचित हो जाते है। महिला शिक्षकों को दूरस्थ किसी ग्राम में पदस्थ करने से भी विभिन्न समस्याएं उत्पन्न होती है। शिक्षण क्षेत्र में विभिन्न कैटेगरी ने भी दुविधा बढ़ाई है।

विनोद तिवारी, शिक्षाविद्
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