इंदौर। अब आप भी बन सकते हैं 'सुपर-30' का हिस्सा, आनंद कुमार के नोट्स से अब आप भी पढ़ सकते हैं। सुपर 30 के पैटर्न से पढ़ने के लिए अब आपको किसी इंस्टीट्यूट को जॉइन नहीं करना होगा। एक मेल के जरिए आनंद कुमार के नोट्स आपके पास होंगे।' आईआईटी में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले देशभर के स्टूडेंट्स को अब 'सुपर-30' के आनंद कुमार यह सुविधा दे रहे हैं।
आनंद कुमार के नोट्स पाने के लिए अब स्टूडेंट्स को महज ़इसचैनञजेॅी3ि0र्.यि पर ही मेल करना होगा और इसके बाद फ्री में पीडीएफ फॉर्मेट में मेल आप तक पहुंच जाएंगे। यह बात आनंद कुमार ने यह बात खुद शहर में स्टूडेंट्स को कही। सोमवार को वे नईदुनिया कार्यालय भी आए और स्टूडेंट्स से रूबरू हुए। इस मुलाकात में उन्होंने अपने अनुभव व गुरुमंत्र साझा किए। इस मौके पर पार्षद दीपक जैन भी उपस्थित थे।
असफलता को सफलता में बदलने की करें कोशिश
एक दिन एक लड़का अभिषेक मेरे पास आया और मुझसे पढ़ने की बात कहने लगा। उसका कहना था कि वह मेरे स्कूल में 500 रुपए फीस एक मुश्त नहीं दे सकता, लेकिन वह पढ़ना चाहता है। मैं और मेरे भाई ने जब उसकी आर्थिक स्थिति के बारे में जानने की कोशिश की तो जो हकीकत हमारे सामने आई। उसी से हमें 'सुपर-30' शुरू करने की प्रेरणा मिली। वह लड़का खुद कहीं नौकरी करता था और वक्त निकालकर पढ़ता था। वही लड़का आज विदेश में जॉब कर रहा है।
इस लड़के की ललक ने यह बात साबित कर दी कि हमें अपनी असफलता को ही सफलता में बदलने की कोशिश करना चाहिए, तभी वह सार्थक होती हैं। यह अनुभव नहीं बल्कि वह सच्चाई है, जिसने आनंद कुमार को 'सुपर-30 वाला आनंद कुमार' बना दिया। शहर आगमन पर उन्होंने छोटी सी मुलाकात में ही युवाओं और स्टूडेंट्स के हाथों में सफलता की कुंजी थमा दी। बेहद ही विषम परिस्थितियों में रहकर अपने सपनों की उड़ान को पहचान देने वाले आनंद कुमार के जीवन का फलसफा है कि 'कभी-कभी असुविधाएं ही हमारी बड़ी ताकत बन जाती हैं।'
किसी ने कहा धर्म बदलो, तो किसी ने कहा शादी करा दो
बचपन से ही मुझे गणित और विज्ञान में रुचि थी। मैं शिक्षक बनना चाहता था, लेकिन पढ़ने से ज्यादा रुचि आविष्कार करने में थी। इसका असर यह हुआ कि मैं पढ़ाई में कम रुचि लेने लगा। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद पिताजी हमेशा पढ़ने के लिए मुझे उत्साहित ही करते थे। वे कहते थे कि अच्छा शिक्षक बनने के लिए पढ़ना जरूरी है।
मैं पढ़ा और जब मेरा कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में सिलेक्शन हो गया, तो मैं केवल इसलिए वहां नहीं जा सका, क्योंकि मेरी आर्थिक स्थिति इसके पक्ष में नहीं थी। मदद के नाम पर किसी ने धर्म परिवर्तन पर जोर दिया तो किसी ने कहा कि किसी बाबू की बेटी से मेरी शादी करा दें और जो दहेज मिले उससे विदेश जाने का इंतजाम कर लें। आखिरकार इंतजाम नहीं हुआ। यही सदमा मेरे पिता की मौत की वजह भी बना।
...और शुरुआत हुई नए सफर की
पिता के मृत्यु के बाद घर की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई थी। मां पापड़ बनाती थी। मैं व मेरा छोटा भाई घर-घर जाकर पापड़ बेचते थे। एक दिन छोटे भाई ने मुझे सलाह दी कि मैं शिक्षक बनाने का सपना स्लम एरिया के बच्चों को पढ़ाकर क्यों पूरा नहीं करता। शुरुआत दो बच्चों से हुई और दो साल में ही 60 से 70 बच्चों को मैं पढ़ाने लगा और अब 500 बच्चे पढ़ रहे हैं।
गरीब बच्चा भी लिख सकता है इतिहास
सुपर-30 का कॉन्सेप्ट अब आर्थिक रूप से सक्षम वर्ग के स्टूडेंट्स के लिए भी आ रहा है, पर इसका रूप ऑनलाइन होगा। ऑनलाइन लैक्चर और एनिमेशन मूवी के द्वारा यह काम किया जा रहा है। इस एनिमेशन मूवी से स्टूडेंट्स में आत्मविश्वास भरने के लिए संदेश दिया जा रहा है कि 'गरीब बच्चा भी इतिहास लिख सकता है'।
ये दिए सफलता के मंत्र
* लक्ष्य के लिए प्रबल प्यास हो
* सकारात्मक सोच रखें
* लक्ष्य प्राप्ति के लिए अथक प्रयास हो
* मुश्किलों से घबराएं नहीं, क्योंकि अंधरे के बाद ही आता है उजाला
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