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50%स्कूलों में अंग्रेजी, 25%में गणित के शिक्षक नहीं, जहां हैं वे दूसरे कामों में लगे

10 वीं कक्षा के परिणामों में मंदसौर जिले ने प्रदेश में 70 प्रतिशत के साथ पहला स्थान हासिल किया है। जबकि सागर 29 वें स्थान पर रहा। दोनों जिलों में शासन योजनाएं और व्यवस्थाएं समान होने के बाद भी इतने बड़े अंतर क्यों? इसके कारणों का पता लगाने के लिए जब हमने मंदसौर के डीईओ बीएस पटेल से बात की तो सामने आया कि उन्होंने जिले में योजनाओं की मॉनीटरिंग के अलावा पहले से ही टारगेट सेट कर प्राचार्यों और शिक्षकों पर विशेष नजर रखी।
उनकी टीम ने स्कूलों में जाकर बच्चों की समस्या समझी और उन्हें अच्छे रिजल्ट के लिए प्रोत्साहित किया। यही वजह है कि मंदसौर सरकारी स्कूलों का रिजल्ट प्राइवेट से भी बेहतर रहा है। यहां 9 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनका रिजल्ट 100 फीसदी है।
संभाग में सागर का स्थान तीसरा

सागर जिले में 10 वीं के रिजल्ट की अंतरकथा

दमोह टॉप, टीकमगढ़ आखिरी पायदान पर

अफसर ने बताया संतोषजनक, एक्सपर्ट्स ने जताई चिंता

43

स्कूलों में नहीं हैं अन्य विषयों के शिक्षक

70

स्कूलों में नहीं हैं गणित के शिक्षक

5 साल से 10वीं बोर्ड के नतीजे फर्स्ट डिवीजन नहीं

ये प्रयास किए फिर भी असफल

सभी शिक्षकों का प्रशिक्षण शिविर लगाया

स्मार्ट क्लास आयोजित की।

अतिरिक्त कक्षाएं लगाई।

विशेषज्ञों की टीम बनाकर स्कूलों में भेजा गया।

असफलता के ये हैं कारण

स्कूलों में शिक्षकों की कमी

5 वीं और 8 वीं बोर्ड न होना

संविदा शिक्षकों की हड़ताल

योजनाओं की मॉनीटरिंग में कमी

125

स्कूलों में नहीं हैं अंग्रेजी के शिक्षक

238

कुल शासकीय हाईस्कूल हैं जिले में

मंदसौर इसलिए रहा अव्वल

Ãजिले में पहले से शिक्षकों की कमी है। वहीं जो है उन्हें शासकीय स्कूलों के शिक्षकों को पढ़ाई के अलावा विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की भी जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। ऐसे में नुकसान बच्चों की पढ़ाई का होता है। जब तक शिक्षक बच्चों पर ध्यान नहीं देगा तब तक रिजल्ट नहीं सुधर सकता। -भगवती असाटी, रिटायर्ड प्रधानाध्यापक



2016 में पास

Ãजिले का रिजल्ट संभाग और प्रदेश के आंकड़ों से बेहतर है। हालांकि शिक्षकों की कमी के कारण हम और बेहतर रिजल्ट नहीं दे सके। फिर भी रिजल्ट संतोषजनक है। -आरएन शुक्ला, डीईओ

Ã5वीं और 8वीं बोर्ड खत्म होने से शिक्षा का स्तर गिरा है। बच्चे सीधे 10 वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा का सामना करते हैं। यही वजह है कि 50 फीसदी बच्चे हर साल फेल हो रहे हैं।-रामलली त्रिपाठी, रिटायर्ड प्रधानाध्यापक 

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