इस खुलासे के बाद अब फर्जी तरीके से नौकरी पाने वाले अधिकारियों ओर कर्मचारियों की नौकरी पर सकंट के बादल छा गए है। साथ ही जीडीए ने अपने सभी कर्मचारियों ओर अधिकारियों को एक नोटिस भी जारी किया है। जिसमें उनकी नियुक्ति के कागज तलब किए है। साथ ही उनसे पूछा गया है कि आखिर आपकी नौकरी जीडीए में किन नियमों के तहत लगी है।
वही कांग्रेस ने प्राधिकरण के इस नोटिस पर बवाल खड़ा कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि पहले वर्तमान चेयरमेन बीजेपी के शासन के पूर्व चैयरमेन के द्वारा की गई नियुक्तियों की जांच करवाएं।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में साल 1989 में विभिन्न प्राधिकरणों ओर मंडलों में चेयरमैनों के द्वारा की जाने वाली नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी, लेकिन ग्वालियर विकास प्राधिकरण में कांग्रेस के शासन में बने तत्कालीन चेयरमैनों ने शासन के आदेश को ताक पर रखते हुए अपने घरों में काम करने वाले, साथ ही पार्टी में उनके नार पर नारे लगाने वाले लोगों को चपरासी से लेकर इंजीनियर तक के पदों पर पदस्थ कर दिया था। जिसमें अभी तक जीडीए के 32 लोगों के नाम समाने आ चुके है।