बुरहानपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। संविदा शिक्षकों की नियुक्ति में करीब 13 साल पहले हुए फर्जीवाड़े की ढाई साल से चल रही जांच अंजाम तक नहीं पहुंच पाई है, हालांकि जांच के दौरान फर्जी तरीके से नियुक्ति पाने वाले 65
से ज्यादा शिक्षकों को बर्खास्त किया जा चुका है। इसके अलावा करीब दस लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर गिरफ्तारी भी की है, लेकिन इस फर्जीवाड़े में शामिल जनपद और शिक्षा विभाग के आधा दर्जन से ज्यादा अधिकारियों व शिक्षकों तक कार्रवाई की आंच नहीं पहुंच पाई है। इनके खिलाफ कार्रवाई तीन विभागों पुलिस, जिला शिक्षा कार्यालय और जिला पंचायत के बीच उलझ कर रह गई है। जिसके चलते जिला पंचायत द्वारा पत्र लिखे जाने के बाद भी करीब दो दर्जन से ज्यादा लोगों के खिलाफ अब तक एफआइआर दर्ज नहीं हो पाई है।कोरोना संक्रमण और तत्कालीन सीईओ जिला पंचायत के तबादले के कारण करीब एक साल से अटकी शेष शिक्षकों की जांच प्रक्रिया अब जाकर शुरू हो पाई है। जिला शिक्षा अधिकारी रवींद्र महाजन के नोटिस पर सोमवार को शेष बचे 22 शिक्षक मूल दस्तावेजों के साथ जिला पंचायत पहुंचे थे। वहां मौजूद सीइओ जनपद पंचायत केके खेड़े, डीईओ रवींद्र महाजन व जिला पंचायत के अधिकारी विजय पचौरी व अन्य अधिकारियों ने एक-एक शिक्षक के नियुक्ति पत्र, शैक्षणिक दस्तावेज, डीएड बीएड की अंकसूची आदि की बारीकी से जांच की है। देर शाम तक जांच की प्रक्रिया जारी थी। जांच अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल किसी के दस्तावेज संदिग्ध नहीं मिले हैं, लेकिन माध्यमिक शिक्षा मंडल और विश्वविद्यालय आदि से सत्यापन के बाद ही इन्हें हरी झंडी मिल सकेगी।
एक जनपद सीईओ और शिक्षा विभाग का लिपिक हो चुका गिरफ्तार
गौरतलब है कि शिक्षा विभाग में हुए इस बड़े घोटाले को लेकर नईदुनिया द्वारा साल 2018 के अंत में प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। जिसके बाद तत्कालीन जिला पंचायत सीइओ शीलेंद्र सिंह ने 2006-07 व उसके बाद नियुक्त हुए करीब 1450 शिक्षकों की जांच शुरू कराई तो 65 से ज्यादा शिक्षक फर्जी निकले थे। इस फर्जीवाड़े के लिए तत्कालीन सीईओ जनपद पंचायत अनिल पवार को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज करते हुए पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके बाद शिक्षा विभाग के लिपिक और घोटाले के मास्टर माइंड ज्योति प्रकाश खत्री व कुछ शिक्षकों के खिलाफ भी मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में जनपद के दो पूर्व सीईओ और दो पूर्व जिला शिक्षा अधिकारियों समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए जिला पंचायत द्वारा पुलिस को पत्र लिखा गया था, लेकिन अब तक केस दर्ज नहीं हो सका है।