- सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था सुधारने और योजनाओं पर निगरानी रखने के लिए बनाई थी योजना, 3286 एईओ का किया था चयन।
श्योपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा संचालित योजनाओं की ठीक से मॉनीटरिंग कराने के उद्देश्य से सरकार ने 2013 में 03 हजार 286 एरिया एजूकेशन ऑफिसर (एईओ) चयनित किए थे। चयन के छह साल बाद भी उनकी नियुक्ति नहीं हुई है। इससे स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था सुधारने की मंशा पूरी नहीं हो सकी है।
वर्ष 2013 में लिए गए निर्णय के तहत स्कूलों की मॉनीटरिंग के लिए 50 स्कूल पर एक एरिया एजूकेशन ऑफिसर नियुक्त करने का निर्णय लिया था। इसके लिए स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों से आवेदन आमंत्रित किए थे। पूरे प्रदेश में 50 हजार से अधिक शिक्षकों ने एईओ बनने के लिए आवेदन किए थे। 50 हजार आवेदनों में से योग्य एईओ तलाश करने के लिए शिक्षा विभाग ने 8 सितंबर 2013 को पूरे प्रदेश में परीक्षा आयोजित कराई थी। इस परीक्षा में 3286 शिक्षकों का एरिया एजूकेशन ऑफिसर के लिए चयन कर लिया गया था। चयन के बाद आज तक उक्त शिक्षकों को एरिया एजूकेशन ऑफिसर की जिम्मेदारी नहीं सौंपी है। हालांकि समय-समय पर राज्य शिक्षा केन्द्र से इस प्रणाली को शुरू करने की बात कहीं जाती रही है, लेकिन धरातल पर कोई काम इस संबंध में अभी तक नहीं हुआ है।
दोगुना होना था शिक्षक का वेतन
एरिया एजूकेशन ऑफिसर के लिए जिन शिक्षकों का चयन किया गया था उनका वेतन 44 हजार रुपए महीना तय किया गया था। तब वरिष्ठ शिक्षक का वेतन 23 से 25 हजार रुपए था। शिक्षक का वेतन तो उससे भी कम था। शिक्षकों ने तब एमपी ऑनलाइन के माध्यम से 400 रुपए फीस अदा कर आवेदन किए थे। दूसरी प्रक्रियाओं के लिए ऑनलाइन संचालक को 700 रुपए अलग से चार्ज देना पड़ा था।
50 स्कूलों की निगरानी करनी थी एईओ को
शिक्षा विभाग ने एईओ के लिए जो मॉनीटरिंग प्लान तैयार किया था उसके तहत एक एईओ को 50 स्कूलों की निगरानी करनी थी। पूरे प्रदेश में जहां 3286 एईओ चयनित किए थे, वहीं श्योपुर के करीब 1100 स्कूलों की निगरानी की जिम्मेदारी के लिए 22 शिक्षकों का चयन एरिया एजूकेशन ऑफिसर के लिए किया गया था। तब से लेकर आज तक उक्त चयनित शिक्षक सरकारी आदेश का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से कुछ तो सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं।
पहले हाईकोर्ट में, अब विभाग में उलझा मामला
एईओ की नियुक्ति का मामला कुछ समय हाईकोर्ट में उलझा रहा। दरअसल, सरकार ने 5 साल एक ही वर्ग में पूरे करने वाले शिक्षकों से आवेदन मांगे थे। इस दौरान कई निम्न श्रेणी शिक्षक ऐसे थे जो पदोन्नति पाकर यूडीटी बन गए थे, लेकिन इससे उनकी सीनियरटी समाप्त हो गई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में सिर्फ 5 साल पढ़ाने के अनुभव को मान्यता प्रदान की थी। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद वरिष्ठ शिक्षकों के साथ निम्न श्रेणी शिक्षक व अध्यापकों को भी एईओ बनने का मौका मिल गया था। इसके बाद भोपाल में बैठे अधिकारियों ने फाइल ऐसी दबाई की अभी भी नहीं उबर पाई है।
पावरफुल होंगे एईओ
पदस्थ होने वाले एईओ को अपने क्षेत्र में वो विशेष अधिकार दिए जाएंगे जो जिला एजूकेशन ऑफिसर (डीईओ) को होते हैं। बीईओ एवं बीआरसी के पद समाप्त कर उनके अधिकार भी एईओ को दिए जाएंगे। अपने पदों से पदमुक्त होने वाले बीईओ और बीआरसी को सहायक संचालक बनाकर डीईओ के समकक्ष अधिकार दिए जाएंगे। यह सब कवायद शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और मॉनीटरिंग को सतत बनाने के लिए किए जाने हैं।
- वर्ष 2013 में एरिया एजूकेशन के
लिए परीक्षा हुई। परीक्षा पास करने के बाद रोक लग गई फिर, हाईकोर्ट में जीत
के बाद भी आज तक हमें एईओ के पद पर नियुक्ति नहीं दी गई है।
डॉ. अशफाक खान एईओ चयनित शिक्षक
-
शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए एरिया एजूकेशन ऑफिसर नियुक्त करने का
जो निर्णय लिया गया था, फिलहाल इस संबंध में कोई नए आदेश नहीं मिले हैं।
एमएल गर्ग बीईओ, श्योपुर
फोटो :06
कैप्शन : जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, श्योपुर।
श्योपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा संचालित योजनाओं की ठीक से मॉनीटरिंग कराने के उद्देश्य से सरकार ने 2013 में 03 हजार 286 एरिया एजूकेशन ऑफिसर (एईओ) चयनित किए थे। चयन के छह साल बाद भी उनकी नियुक्ति नहीं हुई है। इससे स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था सुधारने की मंशा पूरी नहीं हो सकी है।
वर्ष 2013 में लिए गए निर्णय के तहत स्कूलों की मॉनीटरिंग के लिए 50 स्कूल पर एक एरिया एजूकेशन ऑफिसर नियुक्त करने का निर्णय लिया था। इसके लिए स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों से आवेदन आमंत्रित किए थे। पूरे प्रदेश में 50 हजार से अधिक शिक्षकों ने एईओ बनने के लिए आवेदन किए थे। 50 हजार आवेदनों में से योग्य एईओ तलाश करने के लिए शिक्षा विभाग ने 8 सितंबर 2013 को पूरे प्रदेश में परीक्षा आयोजित कराई थी। इस परीक्षा में 3286 शिक्षकों का एरिया एजूकेशन ऑफिसर के लिए चयन कर लिया गया था। चयन के बाद आज तक उक्त शिक्षकों को एरिया एजूकेशन ऑफिसर की जिम्मेदारी नहीं सौंपी है। हालांकि समय-समय पर राज्य शिक्षा केन्द्र से इस प्रणाली को शुरू करने की बात कहीं जाती रही है, लेकिन धरातल पर कोई काम इस संबंध में अभी तक नहीं हुआ है।
एरिया एजूकेशन ऑफिसर के लिए जिन शिक्षकों का चयन किया गया था उनका वेतन 44 हजार रुपए महीना तय किया गया था। तब वरिष्ठ शिक्षक का वेतन 23 से 25 हजार रुपए था। शिक्षक का वेतन तो उससे भी कम था। शिक्षकों ने तब एमपी ऑनलाइन के माध्यम से 400 रुपए फीस अदा कर आवेदन किए थे। दूसरी प्रक्रियाओं के लिए ऑनलाइन संचालक को 700 रुपए अलग से चार्ज देना पड़ा था।
शिक्षा विभाग ने एईओ के लिए जो मॉनीटरिंग प्लान तैयार किया था उसके तहत एक एईओ को 50 स्कूलों की निगरानी करनी थी। पूरे प्रदेश में जहां 3286 एईओ चयनित किए थे, वहीं श्योपुर के करीब 1100 स्कूलों की निगरानी की जिम्मेदारी के लिए 22 शिक्षकों का चयन एरिया एजूकेशन ऑफिसर के लिए किया गया था। तब से लेकर आज तक उक्त चयनित शिक्षक सरकारी आदेश का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से कुछ तो सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं।
एईओ की नियुक्ति का मामला कुछ समय हाईकोर्ट में उलझा रहा। दरअसल, सरकार ने 5 साल एक ही वर्ग में पूरे करने वाले शिक्षकों से आवेदन मांगे थे। इस दौरान कई निम्न श्रेणी शिक्षक ऐसे थे जो पदोन्नति पाकर यूडीटी बन गए थे, लेकिन इससे उनकी सीनियरटी समाप्त हो गई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में सिर्फ 5 साल पढ़ाने के अनुभव को मान्यता प्रदान की थी। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद वरिष्ठ शिक्षकों के साथ निम्न श्रेणी शिक्षक व अध्यापकों को भी एईओ बनने का मौका मिल गया था। इसके बाद भोपाल में बैठे अधिकारियों ने फाइल ऐसी दबाई की अभी भी नहीं उबर पाई है।
पदस्थ होने वाले एईओ को अपने क्षेत्र में वो विशेष अधिकार दिए जाएंगे जो जिला एजूकेशन ऑफिसर (डीईओ) को होते हैं। बीईओ एवं बीआरसी के पद समाप्त कर उनके अधिकार भी एईओ को दिए जाएंगे। अपने पदों से पदमुक्त होने वाले बीईओ और बीआरसी को सहायक संचालक बनाकर डीईओ के समकक्ष अधिकार दिए जाएंगे। यह सब कवायद शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और मॉनीटरिंग को सतत बनाने के लिए किए जाने हैं।
डॉ. अशफाक खान एईओ चयनित शिक्षक
एमएल गर्ग बीईओ, श्योपुर
कैप्शन : जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, श्योपुर।