टीकमगढ़.वर्ष 2013 विधानसभा चुनाव से वर्ष 2018 तक शिक्षा विभाग में
1800 शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए है। छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो
उसके लिए शासन ने अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति का फार्मूला अपनाया था।
लेकिन यह फार्मूला सेट नहीं हो पाया। कुछ समय बाद प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में १७५९ अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई। इसके बाद भी छात्रों की पढ़ाई में कोई सुधार नहीं हो पाया है।
हर वर्ष शिक्षा पर शासन करोड़ों रुपए खर्च करता है। लेकिन उसके बाद भी छात्रों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहा है। हर वर्ष छात्रों की कक्षाएं आगें बढ़ती जा रही है। वहीं शिक्षकों की संख्या हर वर्ष सैकड़ों में घटती जा रही है। जहां छात्रों के भविष्य पर खतरा नजर आ रहा है। स्कूलों में बच्चों को पढाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं है। छात्रों के बिषय समय पर पूर्ण नहीं हो पाते है। शिक्षण व्यवस्था कमजोर होने के कारण यहां पढ़ाए जाने वाले सबक भी बच्चों को याद नहीं हो रहे है। ऐसे में जिन शिक्षकों की जिम्मेदारी रहती है उन्हें परीक्षा परिणाम प्रभावित होने पर कार्रवाई डर सताता रहता है।
शारीरिक शिक्षा भी बच्चों से दूर
बच्चों को स्वस्थ्य रहने के लिए व्यायाम की सीख तो दी जाती है। लेकिन स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों की कमी के कारण यह शिक्षा नहीं दे पाते है। लेकिन योग शिविर एकाध महीना में या फिर सूर्य नमस्कार के तहत योग कराया जाता है। जिसके कारण स्कूलों में बीमारियों से छात्र घिरते जा रहे है।
निगरानी का जिम्मा भी प्रभारियों के भरोंसे
शिक्षण व्यवस्था की निगरानी संकुल केंद्र बनाकर की जाती है। यहा पदस्थ प्राचार्यो के जिम्मे यह काम रहता है। उनके पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हुए है। पभारी भी यह दायित्व औपचारिकता रूप से निभा रहे है। जिले के हायर सेकेंडरी में प्रभारी प्राचार्यो की संख्या अधिक है।
जितने शिक्षक गए उतने आए नहीं
विभाग अधिकारियों का कहना है कि जितने शिक्षक विभाग से गए है। उतने अभी तक आए नहीं है। जिसके कारण पांच सालों में 1800 शिक्षकों की कमी हो गई है। हर वर्ष शिक्षा विभाग से 100 से 200 शिक्षकों की कमी हो जाती है। इसके साथ ही कई शिक्षकों पर कार्रवाई की जाती है।
समय पर नहीं होती अतिथि शिक्षकों की भर्ती
शिक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति तो की जाती है, लेकिन यह कार्य समय से नहीं होता है। शिक्षक सत्र शुरू होने के कई महीने बाद भी पद भरे नहीं जाते है। कई स्कूलों को अतिथि शिक्षकों के भरोसे ही छोड़ दिया जाता है। इससे अंदाजा लगाया जाता है कि स्कूल में बच्चों को किस तरीके से पढाया जाता है। जिसके कारण छात्रों की पढ़ाई सिर्फ कागजों में ही दिखाई दे रही है।
शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित
जिले में प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों की संख्या 2494 है। इन स्कूलों में वर्ग-1,वर्ग-2 और वर्ग -3 के शिक्षक 5500 है। इसके बाद भी 1800 के करीब वरिष्ठ और संविदा शिक्षकों की कमी पड़ी हुई है। हर वर्ष सैकड़ों सेवानृवित्त शिक्षक हो रहे तो कुछ पर कार्रवाई की जा रही है। जहां १७५९ अतिथियों की नियुक्ति की गई है। इसके बाद भी छात्रों की शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
फैक्ट फायल
जिले में कुल हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों की संख्या - १९२
जिले में कुल माध्यमिक स्कूलों की संख्या - १७०१
जिले में कुल प्राथमिक स्कूलों की संख्या - ६०१
जिले में कुल पदस्थ शिक्षक - ५५००
जिले में कुल शिक्षकों के खाली पद - १८००
जिले में कुल अतिथियों की नियुक्ति - १७५९
इनका कहना
जिले के शासन के निर्देश के तहत अतिथियों की नियुक्ति की गई है। स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विधानसभा चुनाव होते ही स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था का सुधार किया जाएगा।
हरीशचंद्र दुबे डीपीसी सर्व शिक्षा अभियान टीकमगढ़।
लेकिन यह फार्मूला सेट नहीं हो पाया। कुछ समय बाद प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में १७५९ अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई। इसके बाद भी छात्रों की पढ़ाई में कोई सुधार नहीं हो पाया है।
हर वर्ष शिक्षा पर शासन करोड़ों रुपए खर्च करता है। लेकिन उसके बाद भी छात्रों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहा है। हर वर्ष छात्रों की कक्षाएं आगें बढ़ती जा रही है। वहीं शिक्षकों की संख्या हर वर्ष सैकड़ों में घटती जा रही है। जहां छात्रों के भविष्य पर खतरा नजर आ रहा है। स्कूलों में बच्चों को पढाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं है। छात्रों के बिषय समय पर पूर्ण नहीं हो पाते है। शिक्षण व्यवस्था कमजोर होने के कारण यहां पढ़ाए जाने वाले सबक भी बच्चों को याद नहीं हो रहे है। ऐसे में जिन शिक्षकों की जिम्मेदारी रहती है उन्हें परीक्षा परिणाम प्रभावित होने पर कार्रवाई डर सताता रहता है।
शारीरिक शिक्षा भी बच्चों से दूर
बच्चों को स्वस्थ्य रहने के लिए व्यायाम की सीख तो दी जाती है। लेकिन स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों की कमी के कारण यह शिक्षा नहीं दे पाते है। लेकिन योग शिविर एकाध महीना में या फिर सूर्य नमस्कार के तहत योग कराया जाता है। जिसके कारण स्कूलों में बीमारियों से छात्र घिरते जा रहे है।
निगरानी का जिम्मा भी प्रभारियों के भरोंसे
शिक्षण व्यवस्था की निगरानी संकुल केंद्र बनाकर की जाती है। यहा पदस्थ प्राचार्यो के जिम्मे यह काम रहता है। उनके पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हुए है। पभारी भी यह दायित्व औपचारिकता रूप से निभा रहे है। जिले के हायर सेकेंडरी में प्रभारी प्राचार्यो की संख्या अधिक है।
जितने शिक्षक गए उतने आए नहीं
विभाग अधिकारियों का कहना है कि जितने शिक्षक विभाग से गए है। उतने अभी तक आए नहीं है। जिसके कारण पांच सालों में 1800 शिक्षकों की कमी हो गई है। हर वर्ष शिक्षा विभाग से 100 से 200 शिक्षकों की कमी हो जाती है। इसके साथ ही कई शिक्षकों पर कार्रवाई की जाती है।
समय पर नहीं होती अतिथि शिक्षकों की भर्ती
शिक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति तो की जाती है, लेकिन यह कार्य समय से नहीं होता है। शिक्षक सत्र शुरू होने के कई महीने बाद भी पद भरे नहीं जाते है। कई स्कूलों को अतिथि शिक्षकों के भरोसे ही छोड़ दिया जाता है। इससे अंदाजा लगाया जाता है कि स्कूल में बच्चों को किस तरीके से पढाया जाता है। जिसके कारण छात्रों की पढ़ाई सिर्फ कागजों में ही दिखाई दे रही है।
शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित
जिले में प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों की संख्या 2494 है। इन स्कूलों में वर्ग-1,वर्ग-2 और वर्ग -3 के शिक्षक 5500 है। इसके बाद भी 1800 के करीब वरिष्ठ और संविदा शिक्षकों की कमी पड़ी हुई है। हर वर्ष सैकड़ों सेवानृवित्त शिक्षक हो रहे तो कुछ पर कार्रवाई की जा रही है। जहां १७५९ अतिथियों की नियुक्ति की गई है। इसके बाद भी छात्रों की शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
फैक्ट फायल
जिले में कुल हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों की संख्या - १९२
जिले में कुल माध्यमिक स्कूलों की संख्या - १७०१
जिले में कुल प्राथमिक स्कूलों की संख्या - ६०१
जिले में कुल पदस्थ शिक्षक - ५५००
जिले में कुल शिक्षकों के खाली पद - १८००
जिले में कुल अतिथियों की नियुक्ति - १७५९
इनका कहना
जिले के शासन के निर्देश के तहत अतिथियों की नियुक्ति की गई है। स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विधानसभा चुनाव होते ही स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था का सुधार किया जाएगा।
हरीशचंद्र दुबे डीपीसी सर्व शिक्षा अभियान टीकमगढ़।