सीधी। अतिथि शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रविकांत गुप्ता ने बताया कि
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला ने इस
बात पर हैरानी जताई है कि प्रदेश की सरकार अभी भी अतिथि शिक्षकों को
मजदूरों से कम वेतनमान दे रही है। कोर्ट ने पूछा कि सरकार इतना कम वेतनमान
कैसे दे सकती है। सरकार की तरफ से जवाब दिया गया कि यदि वेतन बढ़ाया तो
सरकारी खजाने पर भार बढ़ जाएगा।
दरअसल, जबलपुर हाईकोर्ट में अतिथि शिक्षकों की तरफ से 30 याचिकाएं लगाई गई
थीं। जिसमें सैकड़ों अतिथि शिक्षक शामिल थे। मध्यप्रदेश सरकार ने बीते
दिनों अतिथि शिक्षकों की भर्ती को लेकर प्रक्रिया में फेरबदल किया है और
अतिथि शिक्षकों की भर्ती को ऑनलाइन कर दिया है। ऑनलाइन भर्ती की वजह से जो
अतिथि शिक्षक लंबे समय से स्कूलों में काम कर रहे थे उनको स्थानांतरित कर
दिया गया और उनकी जगह नए लोगों को भर्ती किया जा रहा है।
अतिथि शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए सरकार की इस
प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चैलेंज किया था। इसी की सुनवाई के दौरान
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने सरकार से जवाब मांगा है कि पहले तो अतिथि
शिक्षकों को न्यूनतम वेतनमान दिया जाए क्योंकि 100 रुपये प्रतिदिन में किसी
शिक्षक का परिवार नहीं चल सकता।
सरकार की ओर से पैरवी कर रहे प्रदेश के महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने कहा
है कि यदि अतिथि शिक्षकों का मानदेय बढ़ाया जाता है तो प्रदेश सरकार पर
अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा। अब यह देखना होगा की लगभग 70 हजार अतिथि
शिक्षकों को सरकार मजदूरों से ज्यादा वेतन दे पाएगी या नहीं इस मामले में
सरकार के जवाब के साथ अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी। जिले के अतिथि
शिक्षको की पैरवी वृंदावन तिवारी ने की।