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संविलियन भर्ती की की यह है अंतिम तिथि, नई सेवा शर्ते अभी तय नहीं

शहर सहित जिलेभर के अध्यापकों के राज्य सेवा में संविलियन की प्रक्रिया तीन दिनों तक चलेगी। अध्यापकों की यह प्रक्रिया 29, 30 और 31 अगस्त 2018 तक पूर्ण होगी।अध्यापकों की इस संविलियन की प्रक्रिया में फिलहाल अराजकता की स्थिति बनने लगी है।
बताया यह जा रहा है कि सरकार ने अभी तक अध्यापकों की नई सेवा शर्तें तय नहीं की है। वहीं इस मामले में अध्यापकों से सेवा शर्तों के शपथ पत्र भी भरवाए जा रहे हैं। इस संबंध में अध्यापक संघ के प्रदेश संभागीय उपाध्यक्ष सीताराम रैकवार, मप्र शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष उम्मेद सिंह ठाकुर, सुरेंद्र सिंह ओड़, बने सिंह वर्मा, ममता मिठास, राजकुमार खत्री, राकेश अहिरवार का आरोप है कि यदि सरकार ने प्रतिकूल सेवा शर्तें रख दीं तो उन्हें चुनौती देना भी संभव नहीें होगा।
जिले के 57 संकुल केंद्रों पर छह हजार अध्यापकों का संविलियन क्रिया पूर्ण करानी है। इतने कम समय में कैसे यह संभव होगा कहना नामुमकिन ही है। विभागीय अधिकारियों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि पचास फीसदी संविलियन प्रक्रिया का कार्य पूर्ण हो चुका है। पहले ही दिन विभाग इतनी प्रति बता रहा है वास्तव में यह रिपोर्ट फिलहाल लोगों के गले नहीं उतर रही है।
रायसेन संकुल केंद्र में 185 अध्याप की जांच प्रक्रिया
रायसेन के गल्रस स्कूल के संकुल केंद्र में 185 अध्याप का संविधान प्रक्रिया पूर्ण कराई जाना है। इस कार्य में शिक्षक सुरेंद्र आंग्रे, राजकुमार गुप्ता, कन्हैया मालवीय सौ सौपा गया है। यहां 29, 30 और 31 अगस्त शुक्रवार तक अध्याप की संविधान प्रक्रिया पूर्ण की जाने वाली तारीख बुधवार को पहले रोज 185 अध्याप में से 62 अध्याप को संविलिन प्रक्रिया में बुलाया गया. यह संविधान प्रक्रिया दो पारी में कराई गई सुबह 10 से दोपहर 1 बजे और दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक होना एजसंकुल केंद्र में ऑनलाइन प्रक्रिया पूर्ण कर के बाद जानकारी जिला शिक्षा विभाग ट्रांसफर कर दी हवाई अध्यापकां की राज्य सेवा में संविलियन को लेकर सुबह से शम तक संकुलकेंद्र गल्र्स स्कूल रायसेन में अध्यापकों की काफी चहलपहल नजर आई।
इन तीन मुद्दों को लेकर अध्यापकों को है शिकायत
१.सेवा शर्तें:-शिक्षक संगठनों के मुताबिक अध्यापकों के संविलियन की सेवा शर्तें तय नहीं है। वेतनमान के अलावा अन्य भत्ते उन्हें मिलेंगेया नहीं ,उनकी वरिष्ठता का अब क्या होगा, ट्रांसफर नीति लागू होगी अथवा नहीं। इसे लेकर मप्र सरकार ने अपना रूख फिलहाल तय नहीं किया है।
२.ई-सेवा-पुस्तिका:-ई-सर्विस सेवा पुस्तिका वे पहले ही अपडेट कर चुके थे ।लेकिन डीडीओ द्वारा उन्हें लॉक नहीं किया गया। इस कारण वे डिलीट हो गए हैं।
३. दस्तावेजों का सत्यापन:-अध्यापकों से जो दस्तावेज मंगाए जा रहे हैं। जो पहले से ही वेतन केंद्रों व विभाग के कार्यालयों में हैं। यह संविलियन प्रक्रिया की लंबी खींचने की कवायद बनाई जा रही है।
सर्वर डाउन की समस्या से फूली सांसें
अध्यापकों के राज्य सेवा में संविलियन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वहीं संकुल केद्रों पर कम्प्यूटरों के सर्वर डाउन हो जाने से अध्यापकों की सांसें फूलने लगी है। बुधवार को पहले ही रोज घंटों सर्वर डाउन की समस्या बनीं रही। इस कारण अध्यापकों को दस्तावेज वैरिफिकेशन से लेकर उनके ऑनलाइन अपडेट काम प्रभावित हुआ। बताया जा रहा है कि ऑनलाइन अपलोडिंग कार्य के लिए जिलेभर के 57 संकुल केद्रों पर 20 हजार रूपए के मान से 3 लाख 11 हाजर 40 रूपए का बजट शासन से प्राप्त हुआ है। जबकि संकुल केंद्र प्रभारी इस काम को अध्यापकों को अपने निजी खर्चे पर बाजार के कम्प्यूटर साइबर सेंटरों से करवाकर लाने की बात कह रहे हैं। इस तरह शासन को बजट गोलमोल होने की चर्चा जोरों पर चल रही है।
इन अध्यापकों ने भी जताया विरोध...
अध्यापक सुरेंद्र ओड़, अरविंद विनय कटियार, बीएस मौर्य, छीतू सिंह मौर्य, चंदन सिंह गौर, कमलेश बहादुर सिंह आदि का कहना है कि अध्यापकों की संविलियन प्रक्रिया पूर्ण करने की कोई समयावधि भी निर्धारित नहीं की गई है। अलग-अलग संकुल केंद्र अपने हिसाब से आदेश जारी कर रहे हैं। अध्यापकों के लिए संविलियन कार्य के लिए प्रपत्र भरने और दस्तावेज पेश करने की प्रक्रिया में भी कोई एकरूपता नहीं है। यह संविलियन की पूरी प्रक्रिया इतनी लंबी व जटिल कर दी है कि उसके पूरे होने तक विधानसभा चुनाव नजदीक आ जाएंगे।
तब सरकार आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने का हवाला देकर अध्यापकों के इस संविलियन को रोक देगी। इन अध्यापकों का कहना है कि जबकि छत्तीसगढ़ की रमन सरकार ने यह काम पूरा कर दिया है। इसे सरल व आसान बनाया जाना बेहद जरूरी है।अध्यापक वीरेंद्र तिवारी, सतेंद्र गौर का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वास्तव में अध्यापकों के साथ वादा खिलाफी व छलावा किया है।इन परेशान अध्यापकों का कहना है कि ई-सर्विस सेवा पुस्तिका के 41 कॉलम जानकारी भरने की जिम्मेदारी अध्यापकों को सौंप दी गई है। इस बेगारी को लेकर अध्यापक परेशान हैं। इसमे अध्यापकों के अवकाश, 1990 के वेतनमान निर्धारण आदि की जानकारी बिन्दुवार भरना पड़ रही है। जबकि नियम अनुसार यह कार्य विभाग को ही करना चाहिए।
अध्यापकों की राज्य सेवा में संविलियन प्रक्रिया जिलेभर के सत्तावन संकुल कें द्रों में चलन रही है। तीन दिनों में यह प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी। फिलहाल इसमें ५५ फीसदी कार्य पूर्ण हो चुका है। अध्यापकों की संविलियन में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। इसमें अध्यापक बिल्कुल चिंता नहींकरें ।यगर कम्प्यूटर सर्वर डाउन ने परेशानी खड़ीकी तो शासन से इस तारीख को आगे बढ़ा भी सकता है।
आरपी सेन, डीईओ रायसेन

राज्य सरकार ने अध्यापकों की यह संविलियन प्रक्रिया में कम समय दिया गया है। जो कि सरासर गलत व अनुचित है।अध्यापकों की यूनिक आईडी कम्प्यूटर में नहीं खुल रही है।छत्तीसगढ़ राज्यकी तरह यहां भी अध्यापकों की संविलियन प्रक्रिया मैरिटपर आधार पर सरल बनाना चाहिए थी ।जबकि २० साल पुरानी इस संविलियन प्रक्रिया में अभी कई पेंच सामने आएंगे । इस माले में देरीकी वजह सेकई अध्यापकों का परिवार अनुकंपा नौकरी की प्रतीक्षा कर रहा है तो कुछ को तबादले का इंतजार है। सीताराम रैकवार, भोपाल संभाग उपाध्यक्ष आजाद अध्यापक संघ मप्र 

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