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रिलीविंग के पहले आया लोक शिक्षण आयुक्त का आदेश, 1 हजार से ज्यादा शिक्षकों के तबादले रुके

संभाग के एक हजार शिक्षकों को उनके गृह जिले के लिए कार्यमुक्त होने के चंद मिनट पहले आए एक आदेश ने वरिष्ठ अध्यापकों की खुशी को काफूर कर दिया। अब आगामी आदेश तक उन्हें उसी स्कूल में सेवाएं देना होगी, जहां वे वर्षों से दे रहे हैं। जिले में ऐसे शिक्षकों की संख्या 218 है। इनमें 113 शिक्षक ऐसे हैं जो सागर आने वाले थे तो 105 सागर से अपने गृह जिलों में जाना चाहते थे।
अचानक आए इस आदेश के बाद अध्यापक नेता खुलकर सरकार के विरोध में आ गए हैं। सरकार द्वारा पहली बार अध्यापक संवर्ग के शिक्षकों के लिए लाई गई ट्रांसफर पॉलिसी के तहत संभाग से एक हजार शिक्षकों ने ट्रांसफर के लिए आवेदन किए थे। करीब एक साल तक चली प्रक्रिया के बाद सोमवार से सभी शिक्षकों को अपने जिला शिक्षा कार्यालय पहुंचकर ट्रांसफर हुए जिले के लिए कार्यमुक्त होने की प्रक्रिया शुरू करनी था। मगर दोपहर में अचानक पहुंचे आयुक्त नीरज दुबे के आदेशों ने इस प्रक्रिया पर विराम लगा दिया। अध्यापक संवर्ग में भर्ती के बाद सरकार ने पहली बार अध्यापकों के ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू की थी। इसमें सरकार ने पुरुषों के लिए कम से कम पांच साल की सेवाएं जरूरी रखी है। इसके अलावा भी कई मापदंडों से गुजरने और एक साल तक प्रक्रिया पूरी करने के बाद अध्यापकों को यह मौका मिला था।

शिक्षकों की बताई कमी

आयुक्त लोक शिक्षण ने आदेश में कहा है कि अध्यापक संवर्ग के एक जिले से दूसरे जिले के लिए की गई ट्रांसफर प्रक्रिया के संबंध में आयुक्त जनजातीय कार्य विकास ने 12 अप्रैल को आदेश जारी कर शिक्षकों की कमी के कारण आदिवासी विकास विभाग द्वारा संचालित शालाओं के शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं करने के आदेश जारी किए हैं। इसी आदेश के कारण आयुक्त ने इन शालाओं से ट्रांसफर हुए शिक्षकों के अलावा अन्य के भी कार्यमुक्त होने के आदेश पर रोक लगा दी है।

अध्यापकों के ट्रांसफर भी होंगे प्रभावित

आदेश से सिर्फ सागर संभाग के जिलों में 1 हजार से अधिक शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। शिक्षकों के साथ उनके परिजनों पर भी इसका प्रभाव नजर आ रहा है। इसका असर वर्ग दो व तीन के अध्यापकों के ट्रांसफर पर भी पड़ेगा। मामले में अध्यापक संविदा शिक्षक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। अध्यापकों के संगठन के प्रदेश मीडिया प्रभारी शैलेंद्र ठाकुर गंभीरिया ने कहा कि आदिवासी विकास विभाग के तहत आने वाली शालाओं को छोड़कर शेष शालाओं के शिक्षकों को रिलीव करना चाहिए। अध्यापक वर्षों से परिवार से दूर हैं। ऐसे में अब उन्हें परिवार के साथ रहने का मौका देना चाहिए

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