1 जनवरी 2018 से साक्षर भारत योजना में कार्यरत संविदा प्रेरकों को हटा
दिया गया है। इसे लेकर प्रेरक संघ ने प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह
चौहान के नाम कलेक्टर कर्मवीर शर्मा को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया
कि साक्षर भारत योजना के तहत वर्ष 2013 में जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत
में पंचायत लोक शिक्षा केंद्रों की स्थापना की गई थी। इसके संचालन के लिए
राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक प्रत्येक जनपद पंचायत में मुख्य कार्यपालन
अधिकारी को भर्ती प्रक्रिया अपनाकर प्रेरकों को नियुक्त कराई गई थी।इसके
बाद इन प्रेरकों को निरक्षरों की साक्षरता कक्षाएं लगाने और प्राथमिकी
शिक्षण अध्यापन का काम सौंपा गया था। नियमित केंद्र संचालन के साथ इनसे
चुनावी ड्यूटी, विद्यालय कार्यक्रमों में सहयोग लिया गया। वर्ष 2013 से
दिसंबर 2017 तक लगातार न्यूनतम मानदेय पर प्रेरकों से काम कराया गया।
अप्रैल 2017 से दिसंबर 2017तक के मानदेय का भुगतान कर दिया गया है। लेकिन
अप्रैल 2017 से दिसंबर 2017 तक 9 माह का मानदेय प्रेरकों को नहीं दिया गया
है। लेकिन राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल के आयुक्त ने 25 अक्टूबर 2017 को पत्र
जारी कर 1जनवरी 2018 से प्रेरकों की सेवा न बढ़ाई जाने के निर्देश दिए हैं।
इससे उनके सामने रोजगार की समस्या खड़ी हो गई है। प्रेरकों ने मांग की कि
उन्हें संविदा शिक्षक भर्ती में सीधा चयनित किया जाए और पंचायत स्तर की
नियुक्तियों हमें सीधे भर्ती की पात्रता दी जाए। ऐसा नहीं करने पर प्रेरकों
ने आंदोलन के करने के साथ ही कोर्ट में जाने की चेतावनी दी। ज्ञापन देने
वालों में प्रेरक संघ जिलाध्यक्ष सुल्तान सिंह राजावत, देवीसिंह वर्मा सहित
बड़ी संख्या में प्रेरक मौजूद रहे।
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