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छात्रों को कराना था एजुकेशनल टूर, सरकारी पैसे से शिक्षिकों ने मना ली पिकनिक

जबलपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
शिक्षा विभाग ने 178 सरकारी हाई-हायर सेकंडरी स्कूलों के 2 हजार छात्रों को एजुकेशनल टूर कराने के निर्देश दिए। मकसद था छात्रों को इंजीनियरिंग कॉलेज, वैज्ञानिक केन्द्र, रिसर्च सेंटर, ऐतिहासिक धरोहरों और पर्यटन क्षेत्रों की सैर कराकर ज्ञानवर्धक जानकारी दी जाए। लेकिन छात्रों का एजुकेशनल टूर शिक्षकों की पिकनिक में बदल गया। स्कूलों के ज्यादातर छात्र तो टूर का लुत्फ नहीं उठा पाए, लेकिन सरकारी पैसे से शिक्षिकों ने परिजनों के साथ पिकनिक जरूर मना ली।

500 में से 90 छात्र ही कर सके टूर
टूर के नाम पर सरकारी पैसे का दुरुपयोग जबलपुर ब्लॉक में ज्यादा बताया जा रहा है। यहां 53 स्कूलों से 10-10 छात्र जो कुल 500 होते हैं को शैक्षणिक भ्रमण पर ले जाना था। लेकिन 90 छात्रों को ले जाकर ही इतिश्री कर ली गई। बाकी ब्लॉक के स्कूलों ने भी औपचारिकता निभा ली। बता दें कि एजुकेशनल टूर के लिए जिले को बकायदा 4 लाख रुपए का बजट दिया गया था। इसमें जबलपुर ब्लॉक को 1 लाख और बाकी 7 ब्लॉकों को 50-50 हजार रुपए जारी किए गए थे।
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बहोरीबंद में मनाई पिकनिक, सेल्फी भी ली
जबलपुर ब्लॉक के चुनिंदा स्कूलों ने जबलपुर के आस-पास के शैक्षणिक संस्थानों, ऐतिहासिक स्थलों की सैर कराने की बजाए छात्रों को शहर से तकरीबन 70 किमी दूर कटनी जिले के बहोरीबंद ले गए। जहां शैक्षणिक ज्ञान के नाम पर कुछ भी नहीं था। यहां छात्रों को ज्ञानवर्धन तो नहीं हुआ, लेकिन शिक्षक की खूब मौज रही। शिक्षकों ने पूरे मूड में पिकनिक मनाई और जमकर सेल्फी ली।
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छात्र कम शिक्षक ज्यादा
- एक स्कूल से 10-10 बच्चों को ले जाना था, लेकिन छात्र कम शिक्षकों की संख्या ज्यादा रही।
- जबलपुर ब्लॉक के 53 में से 10 स्कूलों के 90 बच्चों को टूर पर ले जाया गया।
- एक स्कूल से 3 से 4 शिक्षक और उनके परिजन भी छात्रों के शैक्षणिक भ्रमण में शामिल रहे।
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शिक्षा विभाग का ये था उद्देश्य
- जबलपुर से 500 और बाकी ब्लॉक से 250-250 छात्रों को भ्रमण पर ले जाने की योजना है।
- हर स्कूल से 9वीं से 12वीं के 2 से 3 छात्रों का चयन कर भ्रमण कराने की थी योजना।
- जिले के 2 हजार छात्रों को इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेज, वैज्ञानिक केन्द्र, रिसर्च सेंटर, पर्यटन, दर्शनीय स्थल, चिड़ियाघर का भ्रमण कराकर ज्ञानवर्धक जानकारी देना था।
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ये सही है कि शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम 60 से 70 प्रतिशत ही पूरा हो पाया है। जो स्कूल छूट गए हैं उन्हें जनवरी में ही भ्रमण कार्यक्रम कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
-अजय दुबे, सहायक जिला परियोजना अधिकारी, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन
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बच्चों के शैक्षणिक भ्रमण के लिए समय नहीं मिल पाया। शिक्षकों को ही भ्रमण कराने को कहा गया था। वे ही छात्रों को ले गए थे। जानकारी ली जाएगी।
-वीणा बाजपेयी, प्राचार्य, मॉडल स्कूल व नोडल अधिकारी

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