रतलाम। कहते हैं कड़आ और फिर ऊपर से नीम चढ़ा वाली
कहावत बिलकुल सही साबित होती है। पहले से शहर और जिलेभर के प्राथमिक
स्कूलों में शिक्षकों का टोटा है।
सैकड़ो प्राथमिक विद्यालयों में एक-एक, दो-दो शिक्षक या शिक्षिका पदस्थ है। इनमें से भी एक-एक या दोनों को ही प्रशिक्षण में बुला लिया गया। ऐसे में स्कूलों में पढ़ाई राम भरोसे हो गई है। विभागीय अधिकारियों ने बीच सत्र में प्रशिक्षण देने की योजना तैयार करके क्या संदेश दिया है यह तो वे ही जाने किंतु यह तय है कि उन्होंने ऐसा निर्णय करके बच्चों का नुकसान ही किया है।
200 शिक्षकों को प्रशिक्षण में लगाया
चार विकासखंड के सैकड़ों शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। छह दिन तक लगातार चलने वाला यह प्रशिक्षण पहली और दूसरी कक्षा में एनसीईआरटी की पुस्तकों को पढ़ाने के लिए दिया जा रहा है। अब शेष बचे दो विकासखंडों रतलाम और बाजना विकासखंड के बाजना और रावटी में यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। केवल रतलाम विकासखंड के ही २०० शिक्षक-शिक्षिकाओं को प्रशिक्षण में बुलाया गया है।
सवाल यह भी
सवाल यह है कि जब विभागीय अधिकारियों और भोपाल में बैठे कर्ताधर्ताओं को यह निश्चित रूप से पता था कि इस सत्र से कुछ कक्षाओं में एनसीईआरटी की पुस्तकें लगाई जा रही है और इसी से पढ़ाई कराई जाएगी। तब सवाल यह उठता है उन्होंने गर्मी की छुट्टियों में प्रशिक्षण की व्यवस्था क्यों नहीं की। इसे बीच सत्र में ही शुरू करके विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता का स्तर सुधारने की बात कहें या बिगाडऩे की।
डाइट के माध्यम से प्रशिक्षण
डाइट के माध्यम से प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बीच सत्र में है यह सही है लेकिन संभवत: उनके पास भोपाल से ही कार्यक्रम तय होकर आया था जिससे उन्हें प्रशिक्षण देना पड़ रहा होगा। वैसे बीच सत्र में प्रशिक्षण होने से तय है कि स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होती है।
- आरके त्रिपाठी, प्रभारी डीपीसी
पूरे जिले में प्रशिक्षण
पूरे जिले में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विकासखंडस्तर पर यह प्रशिक्षण शुरू हुआ है। इसमें प्राथमिक विद्यालय के उन सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को बुलाया गया है जो स्कूल में उस विषय को पढ़ाते हैं जिनमें इस साल से एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू की गई है।
- रामेश्वर चौहान, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी
सैकड़ो प्राथमिक विद्यालयों में एक-एक, दो-दो शिक्षक या शिक्षिका पदस्थ है। इनमें से भी एक-एक या दोनों को ही प्रशिक्षण में बुला लिया गया। ऐसे में स्कूलों में पढ़ाई राम भरोसे हो गई है। विभागीय अधिकारियों ने बीच सत्र में प्रशिक्षण देने की योजना तैयार करके क्या संदेश दिया है यह तो वे ही जाने किंतु यह तय है कि उन्होंने ऐसा निर्णय करके बच्चों का नुकसान ही किया है।
200 शिक्षकों को प्रशिक्षण में लगाया
चार विकासखंड के सैकड़ों शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। छह दिन तक लगातार चलने वाला यह प्रशिक्षण पहली और दूसरी कक्षा में एनसीईआरटी की पुस्तकों को पढ़ाने के लिए दिया जा रहा है। अब शेष बचे दो विकासखंडों रतलाम और बाजना विकासखंड के बाजना और रावटी में यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। केवल रतलाम विकासखंड के ही २०० शिक्षक-शिक्षिकाओं को प्रशिक्षण में बुलाया गया है।
सवाल यह भी
सवाल यह है कि जब विभागीय अधिकारियों और भोपाल में बैठे कर्ताधर्ताओं को यह निश्चित रूप से पता था कि इस सत्र से कुछ कक्षाओं में एनसीईआरटी की पुस्तकें लगाई जा रही है और इसी से पढ़ाई कराई जाएगी। तब सवाल यह उठता है उन्होंने गर्मी की छुट्टियों में प्रशिक्षण की व्यवस्था क्यों नहीं की। इसे बीच सत्र में ही शुरू करके विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता का स्तर सुधारने की बात कहें या बिगाडऩे की।
डाइट के माध्यम से प्रशिक्षण
डाइट के माध्यम से प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बीच सत्र में है यह सही है लेकिन संभवत: उनके पास भोपाल से ही कार्यक्रम तय होकर आया था जिससे उन्हें प्रशिक्षण देना पड़ रहा होगा। वैसे बीच सत्र में प्रशिक्षण होने से तय है कि स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित होती है।
- आरके त्रिपाठी, प्रभारी डीपीसी
पूरे जिले में प्रशिक्षण
पूरे जिले में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विकासखंडस्तर पर यह प्रशिक्षण शुरू हुआ है। इसमें प्राथमिक विद्यालय के उन सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को बुलाया गया है जो स्कूल में उस विषय को पढ़ाते हैं जिनमें इस साल से एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू की गई है।
- रामेश्वर चौहान, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी