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आकलन परीक्षा में गैरहाजिर शिक्षक होंगे सस्पेंड

शाला सिद्धी (हमारी शाला ऐसी हो) के तहत गुरुवार को हुई आकलन परीक्षा का विरोध व बहिष्कार करना शिक्षकों को महंगा पड़ गया है। कमिश्नर संजय दुबे ने सभी अनुपस्थित व बहिष्कार करने वाले शिक्षकों को निलंबित करने के आदेश दे दिए हैं।
शुक्रवार को शिक्षा विभाग के अफसर दिनभर इन शिक्षकों की सूची बनाने में जुटे रहे। 9 ब्लाॅक के 98 संकुलों में कुल 2900 शिक्षकों को परीक्षा में बैठना था। इसमें से अनुपस्थित व बहिष्कार करने वाले 320 शिक्षकों पर अब गाज गिरेगी। ये सूची कलेक्टर व आदिवासी विभाग कार्यालय को भेजी जाएगी। मामले में शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने आदेश को एकतरफा करार देते हुए आंदोलन करने व कोर्ट जाने की बात बोल रहे है। डीपीसी कमल मंडलोई ने बताया कुल 448 शिक्षकों ने परीक्षा नहीं दी, जिसमें से 128 शिक्षक अवकाश पर थे। छुट्‌टी स्वीकृति बाद अवकाश पर रहे शिक्षकोें के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।

आकलन परीक्षा का जिलेभर में कड़ा विरोध हुआ। कई शिक्षकों ने इसे खुद का अपमान मानते हुए परीक्षा नहीं दी। कुछ ने नाम, रोलनंबर लिख उत्तरपुस्तिकाएं कोरी छोड़ दी। कमिश्नर संजय दुबे ने कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में शाला सिद्धि योजना की समीक्षा की। जिसमें विरोध की बात सामने आई। उन्होंने संभाग के सभी कलेक्टरों को योजना का विरोध करने वाले शिक्षकों को निलंबित करने को कहा है। साथ ही कार्रवाई नहीं करने वाले ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई को कह दिया।

पहले भी शिक्षकों ने किया था बहिष्कार

शिक्षकों की इस तरह की परीक्षा दो साल पहले भी आयोजित की गई थी। आत्मावलोकन नाम से हुई इस परीक्षा का भी शिक्षकों ने बहिष्कार किया था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।

परीक्षा नहीं आकलन था, सूची तैयार : डीपीसी

जिला परियोजना समन्वयक कमल मंडलोई ने बताया ये परीक्षा नहीं महज आकलन था। इसका मकसद शिक्षकों की शैक्षणिक उपलब्धि जानना था ताकि उन्हें जहां कमी या परेशानी आ रही है, उसे ट्रेनिंग के माध्यम से दूर किया जाए। कमिश्नर के निर्देश के बाद इसमें शामिल नहीं होने या उत्तरपुस्तिका कोरी छोड़ने वाले शिक्षकों की सूची शुक्रवार शाम को तैयार की गई है। इसे कलेक्टर, एसी कार्यालय को सौंपेंगे।

निलंबित करेंगे तो पढ़ाएगा कौन : शिक्षक संघ

कमिश्नर के आदेश का शिक्षक संगठनों ने विरोध किया है। मप्र शिक्षक संघ के जिला सचिव रमेशचंद्र पाटीदार ने बताया शिक्षकों से पहली, दूसरी कक्षा के सवाल पूछना गलत है। परीक्षा में अनुपस्थित कोई नहीं था, लेकिन उत्तर किसी ने नहीं लिखे। वरिष्ठ अफसरों से परामर्श ले रहे है। संगठन स्तर से आंदोलन करेंगे। फिर भी शासन नहीं माना तो फिर कोर्ट जाएंगे। आकलन परीक्षा से हमारा अपमान किया जा रहा है। 

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