सीधीै।
शिक्षा विभाग की मेहरबानी पर जिले में आधा सैकड़ा से ज्यादा निजी स्कूल
बिना मान्यता के संचालित हैं। संचालक ट्यूशन के नाम पर बच्चों से मोटी रकम
वसूलते हैं, लेकिन सुविधाएं नदारद हैं। उनका भविष्य भी अंधेरे में है। कई
बार शिकायत भी की गई, लेकिन शिक्षा विभाग इन पर कार्रवाई नहीं की है।
दरअसल, पिछले सत्र में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के मापदंडों का पालन न करने पर विभाग ने कई स्कूलों की मान्यता निरस्त कर दी थी, लेकिन इन्हें पूरी तरह से बंद कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। लिहाजा, यहां आज भी सैकड़ों बच्चों अंधेरे में रखकर हर माह हजारों रुपए वसूले जा रहे हैं।
ये हो सकती है सजा
इधर, जानकार बताते हैं कि बिना मान्यता के संचालित निजी स्कूलों द्वारा दी गई आनलाइन जानकारी असत्य पाए जाने पर एक लाख रुपए अर्थदंड का प्रावधान है एवं उसके उपरांत प्रतिदिन के हिसाब से 10 हजार रुपए जुर्माना तथा अभियोजन की कार्रवाई की जा सकती है। इतना ही नहीं इनके खिलाफ पुलिस प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा सकती है, लेकिन जिले में एक भी कार्रवाई नहीं की गई है।
शिकायत सुनकर भी शिक्षा विभाग मौन
जिले में बिना मान्यता के 50 से अधिक स्कूल संचालित होने की बात शिक्षा विभाग भी स्वीकार कर रहा है, लेकिन इन स्कूलों पर कार्रवाई का डंडा नहीं चल पाया है। कई स्कलों की तो क्षेत्र के लोगों ने शिकायत भी आ चुकी है। हाल ही में मझौली एवं चुरहट क्षेत्र में बगैर मान्यता स्कूल संचालित होने का मामला सामने आया है और इन स्कूल संचालकों के द्वारा बगैर मान्यता के ही स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।
ये भी पढ़ें: अस्पताल की चौखट पर 10 घंटे पड़ा रहा महिला का शव, दूसरे दिन पुलिस पहुंची पंचनामा करने
स्कूल संचालको के द्वारा मान्यता न मिलने पर अपने स्कूल के छात्रों को अपने परिचय के दूसरे स्कूलों के स्कालर पंजी में नाम दर्शा दिया जाता हैं, किंतु परीक्षा के समय उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है साथ ही लापरवाही से कई बच्चों परीक्षा से वंचित हो जाते है। चुरहट में बोर्ड परीक्षा में कई छात्रों का परीक्षा से वंंचित होने का मामला इसी मार्च मे सामने आने के बाद भी विभाग की चुप्पी नहीं टूट रही है।
ये है प्रावधान
स्कूलों में बैठक की व्यवस्था शिक्षा अधिकार अधिनियम के अनुसार होनी चाहिए।
अधिनियम अंतर्गत विद्यालय मे रैंप होना चाहिए।
बालक एवं बालिका पृथक शौंचालय होना चाहिए।
प्रशिक्षित स्टाफ की ब्यवस्था होनी चाहिए।
अग्निशामक यंत्र की व्यवस्था होनी चाहिए।
इन प्रमुख प्रावधानों की पूर्ति नहीं होने पर बिना मान्यता संचालित हो रहे स्कूल को बंद करके दर्ज छात्रों को नजदीकी शाला में प्रवेश दिलाना चाहिए।
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दरअसल, पिछले सत्र में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के मापदंडों का पालन न करने पर विभाग ने कई स्कूलों की मान्यता निरस्त कर दी थी, लेकिन इन्हें पूरी तरह से बंद कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। लिहाजा, यहां आज भी सैकड़ों बच्चों अंधेरे में रखकर हर माह हजारों रुपए वसूले जा रहे हैं।
ये हो सकती है सजा
इधर, जानकार बताते हैं कि बिना मान्यता के संचालित निजी स्कूलों द्वारा दी गई आनलाइन जानकारी असत्य पाए जाने पर एक लाख रुपए अर्थदंड का प्रावधान है एवं उसके उपरांत प्रतिदिन के हिसाब से 10 हजार रुपए जुर्माना तथा अभियोजन की कार्रवाई की जा सकती है। इतना ही नहीं इनके खिलाफ पुलिस प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा सकती है, लेकिन जिले में एक भी कार्रवाई नहीं की गई है।
शिकायत सुनकर भी शिक्षा विभाग मौन
जिले में बिना मान्यता के 50 से अधिक स्कूल संचालित होने की बात शिक्षा विभाग भी स्वीकार कर रहा है, लेकिन इन स्कूलों पर कार्रवाई का डंडा नहीं चल पाया है। कई स्कलों की तो क्षेत्र के लोगों ने शिकायत भी आ चुकी है। हाल ही में मझौली एवं चुरहट क्षेत्र में बगैर मान्यता स्कूल संचालित होने का मामला सामने आया है और इन स्कूल संचालकों के द्वारा बगैर मान्यता के ही स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।
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स्कूल संचालको के द्वारा मान्यता न मिलने पर अपने स्कूल के छात्रों को अपने परिचय के दूसरे स्कूलों के स्कालर पंजी में नाम दर्शा दिया जाता हैं, किंतु परीक्षा के समय उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है साथ ही लापरवाही से कई बच्चों परीक्षा से वंचित हो जाते है। चुरहट में बोर्ड परीक्षा में कई छात्रों का परीक्षा से वंंचित होने का मामला इसी मार्च मे सामने आने के बाद भी विभाग की चुप्पी नहीं टूट रही है।
ये है प्रावधान
स्कूलों में बैठक की व्यवस्था शिक्षा अधिकार अधिनियम के अनुसार होनी चाहिए।
अधिनियम अंतर्गत विद्यालय मे रैंप होना चाहिए।
बालक एवं बालिका पृथक शौंचालय होना चाहिए।
प्रशिक्षित स्टाफ की ब्यवस्था होनी चाहिए।
अग्निशामक यंत्र की व्यवस्था होनी चाहिए।
इन प्रमुख प्रावधानों की पूर्ति नहीं होने पर बिना मान्यता संचालित हो रहे स्कूल को बंद करके दर्ज छात्रों को नजदीकी शाला में प्रवेश दिलाना चाहिए।
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