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शिव के राज में गौरी बेहाल, आप भी जानें क्या है रहस्य

कटनीएक ओर प्रदेश सरकार गांव-गांव को सड़क से जोड़कर समृद्धि बढ़ाने की बात कर रही है तो दूसरी ओर जिले की ढीमरखेड़ा तहसील का गौरी गांव आज भी सड़क के लिए मोहताज है। हालत यह है कि तीन किमी. का मार्ग पगडंडी व जंगल का रास्ता है और ऐसे में वाहनों के न पहुंचने से लोग आज भी बीमार होने पर मरीज को कपड़े की डोली बनाकर मेन रोड तक लेकर पहुंचते हैं।
स्थानीय जनों की मांग पर अधिकारियों ने क्षेत्र में आरईएस विभाग के माध्यम से सड़क बनाने का कार्य प्रारंभ कराया था लेकिन निविदा बुलाने पर भी दुर्गम पहाड़ी होने से कोई ठेकेदार निर्माण के लिए सामने नहीं आया है। तहसील मुख्यालय से 30 किमी. दूर गौरा ग्राम पंचायत का पोषित ग्राम गौरी जंगल में पहाड़ी के बीच बसा है। गांव तक सड़क न होने से जहां यहां के स्थानीय निवासी परेशान हैं और स्कूल के शिक्षक भी गांव में पदस्थापना से डरते हैं।
लोगों ने बताया कि सड़क से गांव तक के बीच में वन भूमि होने से वन विभाग की अनुमति न मिलने से पूर्व में लोग परेशान थे। विभाग की अनुमति मिलने के बाद एक वर्ष पूर्व ही गांव में बिजली पहुंची है लेकिन सड़क आज तक नहीं बन सकी है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि सड़क के अभाव में लोग दुर्गम रास्ते से घायल होते पैदल मुख्य मार्ग तक आते हैं और सबसे अधिक परेशानी बुजुर्गों, दिव्यांगों को होती है। जिन्हें तीन किमी. तक जंगल के रास्ते से घायल होते हुए निकलना पड़ता है।
ठेेकेदार नहीं बना रहे सड़क
लोगों ने बताया कि पूर्व कलेक्टर अशोक सिंह व विधायक मोती कश्यप के दौरे के बाद वन विभाग की जमीन होने का मामला सामने आया था। जिसके बाद उन्होंने विभागों को निर्देश दिए गए थे और वन विभाग से अनुमति प्रदान की गई थी और बिजली गांव तक पहुंच सकी थी। उसके बाद ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा विभाग के माध्यम से तीन किमी. तक सड़क निर्माण के लिए टेंडर भी आमंत्रित किए गए थे लेकिन लागत अधिक लगने व जंगल का रास्ता होने से कोई भी ठेकेदार निर्माण के लिए सामने नहीं आया।
हर साल होती है मौतें
लोगोंं ने बताया कि सड़क के अभाव में गांव तक न तो जननी वाहन पहुंच पाते हैं और न ही संजीवनी 108 की सेवाएं ही गांव वालों को मिल पा रही हैं। गौरी गांव निवासी सुर्जन सिंह, मलईराम, भान सिंह, चरण सिंह, रामरती बाई, मुन्नी बाई ने बताया कि गांव में किसी के भी गंभीर रूप से बीमार हो जाने पर लोग एक-दूसरे की मदद करते हुए कपड़े की डोली बनाते हैं और उसमें मरीज को रखकर मेन रोड तक लेकर जाते हैं। लोगों ने बताया कि हर वर्ष समय पर इलाज न मिल पाने के कारण कई लोगों की मौत होती है।
नहीं आते शादी के रिश्ते

स्थानीय निवासियों का कहना है कि गांव की स्थिति को देखकर अधिकांश युवाओं के शादी तक के रिश्ते लेकर लोग नहीं आते हैं। जनपद सदस्य संतोष बर्मन ने बताया कि गौरी गांव में आज तक सड़क नही हैं, जिसके चलते ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन से कई बार आग्रह किया गया है लेकिन अभी तक हल नहीं निकाला गया है। आरईएस के कार्यपालन यंत्री अनूप मिश्रा ने बताया कि गौरी गांव में सड़क निर्माण के लिए निविदा बुलाई गई थी लेकिन किसी ने भी टेंडर नहीं डाला था। एक बार फिर से प्रयास किए जा रहे हैं कि गांव तक सड़क का निर्माण हो सके। कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने बताया कि गौरी गांव में सड़क न होने की जानकारी मुझे नहीं है। यदि ऐसा है तो अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी और सड़क निर्माण सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।
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