शिवपुरी। जिले सहित प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षक, अध्यापक, संविदा शिक्षक एवं अन्य शिक्षा विभागीय कर्मचारियों की वेतन आहरण व्यवस्था में 18 साल बाद परिवर्तन होने जा रहा है। अब तक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान संकुल केंद्रों द्वारा किया जाता है, लेकिन वित्त विभाग ने 15 जून से डीडीओ (आहरण संवितरण अधिकारी) की संख्या घटाने का निर्णय लेते हुए संकुल प्रभारियों के वित्तीय अधिकार छीनने के आदेश जारी कर दिए हैं।
जून माह की पगार का भुगतान विकासखंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। इस नई व्यवस्था के बाद जिले में ही 30 संकुल केंद्रों के स्थान पर 8 विकासखंड के बीईओ द्वारा 20 हजार शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान किया जाने लगेगा। नई व्यवस्था को लेकर जहां वित्त विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं तो वहीं शिक्षा विभाग इन निर्देशों के पालन की तैयारी में जुट गया है।
यह है वित्त विभाग का आदेश
वित्त विभाग के संचालनालय कोष एवं लेखा के आयुक्त द्वारा जो आदेश जारी किया गया है, उसके मुताबिक वित्त विभाग ने सैद्घांतिक निर्णय लेते हुए समस्त संकुल केंद्रों के आहरण अधिकार से असहमत होते हुए उन्हें दिनांक 15 जून 2016 से निष्क्रिय करने का निर्णय लिया है। आदेश में निर्देश दिया गया है कि मई माह का वेतन समय पर निकालकर संकुल केंद्रों के समस्त पद संबंधित बीईओ के आहरण अधिकारी के डीडीओ कोड में स्थानांतरित किए जाएं, ताकि जून माह के वेतन का आहरण बीईओ द्वारा किया जाए।
18 साल पहले थी यही व्यवस्था
वित्त विभाग ने 15 जून से वेतन भुगतान की जिस नई प्रक्रिया को शिक्षा विभाग के लिए लागू करने का निर्णय लिया है। दरअसल कुछ इसी तरह की व्यवस्था करीब 18 साल पहले भी हुआ करती थी, तत्समय भी विकासखंड के अंतर्गत आने वाले सभी शिक्षकों व विभागीय कर्मचारियों के वेतन व अन्य देयकों का भुगतान बीईओ ही किया करते थे, लेकिन काम की अधिकता के चलते बाद में प्रत्येक विकासखंड में चार से 5 संकुल केंद्र बना दिए गए और यहां के प्राचार्यों को डीडीओ पावर वेतन भुगतान के लिए दे दिए गए।
2200 से घटकर 550 रह जाएंगे डीडीओ
जिले में यहां वर्तमान 30 संकुल केंद्र डीडीओ की संख्या घटकर आठ विकासखंड शिक्षा अधिकारियों के रूप में सिमट जाएगी, वहीं प्रदेश में भी इस व्यवस्था से डीडीओ की संख्या में व्यापक कमी होगी। वर्तमान में प्रदेश के 51 जिलों में करीब 2200 संकुल केंद्र हैं। नई व्यवस्था के बाद डीडीओ की संख्या घटकर बीईओ के रूप में महज 550 रह जाएगी। विभागीय सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में ई-वेतन प्रक्रिया को भी लागू किया जा सकता है, ऐसे में डीडीओ की यह घटी हुई संख्या कारगर साबित होगी और पूरे जिले में डीईओ के रूप में सिर्फ एक डीडीओ रह जाएगा व ऑनलाइन वेतन बिल जनरेट व भुगतान की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
पगार के रूप में बटते हैं हर माह 40 करोड़
शिवपुरी जिले की बात करें तो जिले के करीब 3500 सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों व विभागीय कार्यालयों में पदस्थ कर्मचारियों के वेतन पर करीब 40 करोड़ रुपए हर माह खर्च होते हैं और इनके वेतन भुगतान के लिए बिल प्रस्तुत करने से लेकर कोषालय के जरिए भुगतान कराने की जिम्मेदारी फिलहाल संकुल केंद्र प्रभारियों की है।
बीईओ कार्यालय में संसाधन नहीं, कैसे होगा अमल
वित्त विभाग ने जिन बीईओ कार्यालयों को डीडीओ पावर सौंपने के निर्देश दिए हैं। वहां के वर्तमान हालातों की बात करें तो पिछले कई वर्षों से ये कार्यालय संसाधन शून्य बने हुए हैं। यहां न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही कंप्यूटर, इंटरनेट व स्वान कनेक्टिविटी की सुविधा है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि संसाधन विहिन बीईओ कार्यालयों द्वारा यह नई व्यवस्था कैसे लागू हो पाएगी।
फैक्ट फाइल
जिले में कार्यरत शिक्षक संवर्ग : 9 हजार
जिले में कार्यरत अध्यापक संवर्ग : 9800
जिले में कार्यरत अन्य विभागीय कर्मचारी : 1200
वर्तमान में संकुल केंद्र : 30
बीईओ कार्यालय : 08
ये बोले अधिकारी
आयुक्त कोष एवं लेखा विभाग द्वारा 15 जून से संकुल केंद्रों के स्थान पर बीईओ को डीडीओ बनाए जाने के निर्देश मिले हैं, इसके लिए तैयारी कर रहे हैं। जून के वेतन भुगतान में नई व्यवस्था के चलते परेशानी न आए, इसलिए कार्य पूरी तरह बीईओ कार्यालय में स्थानांतरित होने तक संकुलों के माध्यम से ही बिल तैयार करवाकर बीईओ के हस्ताक्षर से सम्मिट कराए जाएंगे।
परमजीतसिंह गिल, डीईओ शिवपुरी।
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