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12 वीं पास शिक्षक नहीं ले सके कॉलेज में दािखला

आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र की महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया था और उसके परिपालन में अब मैदानी अमला जुट गया। दरअसल इसके लिए भी मापदंड तय कर लिए गए थे। 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले शासकीय शिक्षकों को उच्च अध्ययन के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। उन्हें इसमें निर्णय लेने का मौका दिया जाएगा।
जबकि 45 वर्ष से कम उम्र होने पर शिक्षकों को पढ़ाई करना अनिवार्य था।

भरना होता है बॉड : सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस डिग्री को हासिल करने के लिए शासकीय शिक्षकों को बहुत ज्यादा राहत नहीं मिलती। इसकी वजह यह है कि स्नातक की डिग्री तीन साल में और स्नातकोत्तर की डिग्री दो साल में पूरी कर लेना होगी। इसके लिए बकायदा बान्ड भरना होता। इसमें इस बात का भी उल्लेख होगा कि शैक्षणिक उन्नयन के बाद कोई भी शासकीय शिक्षक नौकरी नहीं छोड़ सकेगा।

होता है तीन साल का अनुबंध

12वीं पास शिक्षकों को वन-स्टेप-अप योजना के तहत यूजी और उसके बाद पीजी की पढ़ाई करवाना था। इसके लिए शिक्षा विभाग इन शिक्षकों से तीन साल का अनुबंध भी करता। यहां पर तो जिला शिक्षा अधिकारी आदेश भी दबाए रहे अनुबंध होने की बात ही नहीं उठती है। अधिकारियों की मनमानी के चलते है। अब वह 12 वीं पास शिक्षक कॉलेज की पढ़ाई करने से वंचित रह गए। वहीं अब प्रमोशन को लेकर भी अटक गए हैं। इसमें शिक्षकों की नौकरी भी 15 साल से कम नहीं होनी चाहिए।

होनी थी अंग्रेजी, विज्ञान और गणित की पढ़ाई

शिक्षक भी पढ़े लिखे हों इसके लिए यह योजना शुरू की थी। इसमें शिक्षकों को सरकारी और अनुदान प्राप्त काॅलेजों में एडमिशन दिलाया जाना था। दाखिले का खर्च भी शासन उठाता। जिले के 1 हजार से ज्यादा शिक्षक 12 वीं पास है। कम पढ़े लिखे टीचरों को कॉलेजों में अंग्रेजी, गणित और विज्ञान की पढ़ाई कराना थी।

प्रचार-प्रसार के अभाव में नहीं आए अावेदन

जिले में कई शिक्षक ऐसे हैं, जो 12वीं है आैर स्कूल में पढ़ा रहे है। इसमें उच्च शिक्षा दिलाने के लिए आदेश मिला था। प्रचार-प्रसार के अभाव में इसमें आवेदन नहीं आ सके। वैसे डीईओ साहब छुट्‌टी पर है, ज्यादा जानकारी वही दे सकते है। -जेएन चतुर्वेदी, सहायक संचालक, स्कूल शिक्षा

अायुक्त ने बैठक में लिया था निर्णय

डीईओ ने नहीं दिलाया एडमिशन

दरअसल, इस नई व्यवस्था के तहत प्रदेशभर में हजारों शिक्षकों को शासन को नियमित रूप से प्रवेश दिलवाना था। इसके लिए शासन ने वैकल्पिक इंतजाम का भी प्रावधान किया था। इसके अंतर्गत कॉलेज जाने वाले शासकीय शिक्षकों के स्थान पर छात्रों को पढ़ाने और स्कूल की व्यवस्था संभालने के लिए अतिथि शिक्षकों को मानदेय पर रखा जाना था। इसमें अतिथि शिक्षक तो रखे गए, लेकिन डीईओ ने एक भी शिक्षक को कॉलेज में एडमिशन नहीं दिलाया।
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