रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में अतिथि विद्वानों के बढ़े मानदेय पर विवाद खड़ा हो गया है। मानदेय बढ़ोत्तरी से संबंधित कार्यपरिषद के निर्णय को अधिकारों पर अतिक्रमण करार देते हुए गलत ठहराया गया है। शासन ने आपत्ति जताते हुए राजभवन को पत्र लिखा है।
इसकी जानकारी विश्वविद्यालय भेजी गई प्रतिलिपि से हुई है। जिससे हड़कंप मचा है। विश्वविद्यालय प्रशासन के मानदेय में बढ़ोत्तरी से संबंधित प्रस्ताव को कार्यपरिषद ने मंजूरी दी है। इसके साथ ही बढ़े मानदेय का दो माह से भुगतान भी शुरू कर दिया गया है। सूत्रों की माने तो शासन स्तर के अधिकारियों ने आपत्ति जताई है कि मानदेय निर्धारण अधिकार विश्वविद्यालय समन्वय समिति का है न कि कार्यपरिषद का। आपत्ति विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों के अतिथि विद्वानों को मिलने वाले मानदेय में भारी अंतर के मद्देनजर माना जा रहा है। दरअसल विवि के निर्णय के मुताबिक अतिथि विद्वानों (संविदा प्राध्यापकों) को प्रति पीरियड 400 व अधिकतम 24 हजार रुपए प्रति माह दिया जाना है। जबकि महाविद्यालयों के अतिथि विद्वानों को 25 रु. की बढ़ोत्तरी के साथ 275 रु. प्रति पीरियड का मानदेय दिया जाएगा। यह अंतर उच्च शिक्षा विभाग को रास नहीं आ रहा।
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