मप्र लोकसेवा आयोग ने सहायक प्राध्यापकों के 2371 पदों पर भर्ती के लिए ऑनलाइन परीक्षा की तारीख घोषित कर दी है, लेकिन इसका विरोध शुरू हो गया है। विरोध करने वाले वे लोग हैं जिन्होंने पीएचडी वर्ष 2009 या उससे पहले की है, लेकिन आयोग ने उन्हें इस पद के लिए योग्य नहीं माना है। ऐसे लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार ने गजट नोटिफिकेशन कर उन्हें इस पद के लिए पात्र बताया, फिर आयोग क्यों मना कर रहा है?
सबसे ज्यादा परेशान अतिथि विद्वान हैं। उनका कहना है कि सहायक प्राध्यापकों के लिए 22 साल बाद भर्ती हो रही है, लेकिन आयोग का कहना है कि जिन्होंने 2009 के पहले पीएचडी डिग्री प्राप्त की है, वे सहायक प्राध्यापक बनने के योग्य नहीं हैं। इनके लिए नेट/स्लेट अनिवार्य है। अतिथि विद्वानों का कहना है कि इस संबंध में केंद्र सरकार का नोटिफिकेशन आ गया है, जिसमें 2009 से पहले पीएचडी करने वालों को भी पात्र बताया गया है। एेसे में आयोग को परीक्षा नियमों में बदलाव कर ऑनलाइन आवेदन का पोर्टल वापस खोलना चाहिए। हालांकि अब तक ऐसा नहीं हुआ। इस वजह से हजारों उम्मीदवार पात्र होने के बावजूद यह परीक्षा नहीं दे सकेंगे।
प्रदेश में 2012 से लागू हुआ था नियम
यूजीसी ने 2009 में पीएचडी के जो नियम बताए थे, वे उच्च शिक्षा विभाग और सरकार ने प्रदेश की यूनिवर्सिटी में 2012 से लागू किए। फिर भी अतिथि विद्वान के लिए पीएचडी डिग्री स्वीकार की गई। वहीं, सहायक प्राध्यापक की भर्ती के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने जो नियम हमें बतलाए थे, वही हमने लागू किए। अब परीक्षा की तारीख भी घोषित कर दी है। - मनोहर दुबे, सचिव मप्र लोकसेवा आयोग
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सबसे ज्यादा परेशान अतिथि विद्वान हैं। उनका कहना है कि सहायक प्राध्यापकों के लिए 22 साल बाद भर्ती हो रही है, लेकिन आयोग का कहना है कि जिन्होंने 2009 के पहले पीएचडी डिग्री प्राप्त की है, वे सहायक प्राध्यापक बनने के योग्य नहीं हैं। इनके लिए नेट/स्लेट अनिवार्य है। अतिथि विद्वानों का कहना है कि इस संबंध में केंद्र सरकार का नोटिफिकेशन आ गया है, जिसमें 2009 से पहले पीएचडी करने वालों को भी पात्र बताया गया है। एेसे में आयोग को परीक्षा नियमों में बदलाव कर ऑनलाइन आवेदन का पोर्टल वापस खोलना चाहिए। हालांकि अब तक ऐसा नहीं हुआ। इस वजह से हजारों उम्मीदवार पात्र होने के बावजूद यह परीक्षा नहीं दे सकेंगे।
प्रदेश में 2012 से लागू हुआ था नियम
यूजीसी ने 2009 में पीएचडी के जो नियम बताए थे, वे उच्च शिक्षा विभाग और सरकार ने प्रदेश की यूनिवर्सिटी में 2012 से लागू किए। फिर भी अतिथि विद्वान के लिए पीएचडी डिग्री स्वीकार की गई। वहीं, सहायक प्राध्यापक की भर्ती के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने जो नियम हमें बतलाए थे, वही हमने लागू किए। अब परीक्षा की तारीख भी घोषित कर दी है। - मनोहर दुबे, सचिव मप्र लोकसेवा आयोग
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