चालू वर्ष में शासन द्वारा स्थानांतरण नीति का प्रकाशन नहीं हुआ है। बावजूद इसके समस्त विभागों में स्थानांतरण को लेकर कर्मचारियों की कसरत शुरू हो गई है। कर्मचारी कुछ विभागीय अफसरों के सहयोग से मनचाही पोस्टिंग पाने की जुगत में भिड़े हुए हैं। कुछ भाजपा के पीछे सक्रिय आरएसएस की शाखा में सुबह जाकर सूर्य नमस्कार करते देखे जा रहे हैं।
लोगों का मानना है कि अगर भैय्या जी ने आड़ा-तिरछा भी स्थानांतरण के संबंध में भाजपा नेताओं को इशारा कर दिया तो पोस्टिंग तय मानिए। यही कारण है कि बेतहाशा गर्मी के बीच भी भाजपा नेताओं सहित प्रचारकों के दरवाजों में भीड़ देखने को मिल रही है।
म्यूचुअल पर भी दांव
जिनके आगे-पीछे न तो अफसरों का आर्शिवाद है न ही नेताओं की सरपरस्ती वे कर्मचारी आपस में म्यूचुअल कराने की गणित में जुट गए हैं। जिन विभागों में सबसे अधिक स्थानांतरण की जोर आजमाइश शुरू है उनेमें शिक्षा विभाग, जिला पंचायत, राजस्व विभाग शामिल हैं। जबकि शेष विभाग में कसरत तो शुरू है, लेकिन कौन कर रहा है इसका पता नहीं लग पा रहा है।
रविवार को भी रीवा की दाड
दूर-दराज ग्रामीण अंचलों में पदस्थ कर्मचारियों द्वारा मनचाही पोस्टिंग पाने के लिए अवकाश के दिन यानी रविवार को अपने जिला मुख्यालय की दौड़ लगाई जा रही है। दौड़ सरकारी दफ्तरों के बजाय कुछ कद्दावर नेताओं सहित संगठन में लगाई जा रही है। हद तो तब हो गई जब एक कर्मचारी ने अपने स्थानांतरण कराने के पीछे इस कारण का उल्लेख कर दिया कि सब मुझे यहां से हटा दें नहीं तो यहां के लोग मुझे लोकायुक्त के हाथों ट्रेप करा देंगे। नाम न छापने के तर्ज पर उक्त कर्मचारी ने बताया कि उसने ऐसा उल्लेख इसलिए किया है कि ताकि उसका स्थानांतरण विभाग की बदनामी बचाने के लिए संबंधित अधिकारी मनचाहे स्थान पर कर दें। साथ ही लोकायुक्त का भय इस कदर अफसरों में व्याप्त है कि वह नाम आने के साथ ही काम करने पर ज्यादा विश्वास रखते हैं बजाय प्रश्न पूछने के।
प्रभारी मंत्री की बैठक का इंतजार
कुछ कर्मचारी तो प्रभारी मंत्री द्वारा हर महीने लिए जाने वाली जिला योजना समिति की बैठक का इंतजार कर रहे हैं। कारण यह है कि बैठक में हिस्सा लेने जिले के प्रभारी मंत्री डा. गौरीशंकर शेजवार आएंगे। जिन्हें आवेदन देकर स्थानांतरण की मांग की जाएगी।
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अभी स्थानांतरण नीति आई नहीं है। जिले के तकरीबन 200 शिक्षकों ने आवेदन देकर स्थानांतरण की मांग की है। सभी की अपनी समस्याएं हैं। नीति आने के बाद उन आवेदन पत्रों पर विचार किया जाएगा।
-रवि सिंह बघेल, डीईओ, रीवा।
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