पथरिया जिले में बीते तेरह वर्षों से जनशिक्षकों एवं बीएसी की काउंसिलिंग नहीं की गई है। जबकि राज्य शिक्षा केंद्र की गाइड लाइन अनुसार हर तीन साल में काउंसलिंग का प्रावधान है, लेकिन दमोह जिले में अधिकारियों की मनमर्जी से काउंसलिंग का कार्य नहीं कराया गया। इससे काउंसलिंग नहीं हो पाई।
दरअसल, जनशिक्षकों को अफसर बनने के बाद अब उनका मन फिर से स्कूलों में जाकर पढ़ाने में नहीं है। यही कारण है कि जनशिक्षकों द्वारा काउंसलिंग प्रक्रिया को राजनीतिक दबाव डालकर ठंडे बस्ते में डलवा दिया गया है। बीते वर्ष जैसे-तैसे इस प्रक्रिया को शुरू किया गया था, लेकिन आज भी जनशिक्षक सालों से अपने स्थान पर डटे हुए हैं। यही कारण है कि अधिकांश जनशिक्षक स्कूलों में जाकर अफसरी रौब दिखाते हैं
एक जनशिक्षक के भरोसे 45 स्कूल : पथरिया जनपद के जनशिक्षा केंद्र में किशुनगंज में जनशिक्षक कमलेश पटेल एक ऐसे जनशिक्षक हैं जो अकेले ही 45 स्कूल देख रहे हैं। जो कि पूर्व डीपीसी के करीबी माने जाते हैं। जो यहां पर कई सालों से पदस्थ हैं। पूर्व में इनकी कार्यप्रणाली की कई शिकायतें की गई, लेकिन राजनीतिक पकड़ होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई।
की जाएगी कार्रवाई
ग्राम सूखा में शिशु विद्यालय एवं मेलवारा में आर के सनराइज स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं, उन पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। - सुभाष जैन, बीईओ
मैं देखता हूं क्या गड़बड़ी है
मुझे दमोह में आए चार माह ही हुए हैं। आप तेरह साल पहले की बात कर रहे हैं। यदि जनशिक्षकों व बीएसी की नियुक्ति में गड़बड़ी की गई है तो इसकी जांच की जाएगी। - हेमंत खेरवाल, डीपीसी
बिना योग्यता रखे गए जनशिक्षक
शासन के निर्देशानुसार जनशिक्षकों की नियुक्ति के लिए उच्च श्रेणी शिक्षक होना चाहिए। लेकिन दमोह जिले में अधिकांश जनशिक्षकों को राजनीतिक पकड़ के चलते जनशिक्षक बनाया गया है। जो एक ही जगह सालों से पदस्थ हैं। कुछ जनशिक्षक तो अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की चापलूसी करने के कारण बिना परीक्षा दिए ही जनशिक्षक बने बैठै हैं। पथरिया जनपद शिक्षा केंद्र में 7 जनशिक्षा केंद्र हैं। इनमें बोतराई, किशुनगंज, सदगुंवा, कुमेरिया, नरसिंहगढ़, पथरिया, बासांकला शामिल है। जहां पर जगदीश पटेल, घनश्याम अहिरवार, अलीम खान, राकेश श्रीवास्तव सहित दर्जनों ऐसे जनशिक्षक हैं।
राजनीतिक दबाव के चलते ठंडे बस्ते में चली गई फाइल
डीपीसी ने कहा - मैं नया आया हूं दिखवाता हूं
कन्हैया लाल विश्वकर्मा| पथरिया
जिले में बीते तेरह वर्षों से जनशिक्षकों एवं बीएसी की काउंसिलिंग नहीं की गई है। जबकि राज्य शिक्षा केंद्र की गाइड लाइन अनुसार हर तीन साल में काउंसलिंग का प्रावधान है, लेकिन दमोह जिले में अधिकारियों की मनमर्जी से काउंसलिंग का कार्य नहीं कराया गया। इससे काउंसलिंग नहीं हो पाई।
दरअसल, जनशिक्षकों को अफसर बनने के बाद अब उनका मन फिर से स्कूलों में जाकर पढ़ाने में नहीं है। यही कारण है कि जनशिक्षकों द्वारा काउंसलिंग प्रक्रिया को राजनीतिक दबाव डालकर ठंडे बस्ते में डलवा दिया गया है। बीते वर्ष जैसे-तैसे इस प्रक्रिया को शुरू किया गया था, लेकिन आज भी जनशिक्षक सालों से अपने स्थान पर डटे हुए हैं। यही कारण है कि अधिकांश जनशिक्षक स्कूलों में जाकर अफसरी रौब दिखाते हैं
एक जनशिक्षक के भरोसे 45 स्कूल : पथरिया जनपद के जनशिक्षा केंद्र में किशुनगंज में जनशिक्षक कमलेश पटेल एक ऐसे जनशिक्षक हैं जो अकेले ही 45 स्कूल देख रहे हैं। जो कि पूर्व डीपीसी के करीबी माने जाते हैं। जो यहां पर कई सालों से पदस्थ हैं। पूर्व में इनकी कार्यप्रणाली की कई शिकायतें की गई, लेकिन राजनीतिक पकड़ होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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दरअसल, जनशिक्षकों को अफसर बनने के बाद अब उनका मन फिर से स्कूलों में जाकर पढ़ाने में नहीं है। यही कारण है कि जनशिक्षकों द्वारा काउंसलिंग प्रक्रिया को राजनीतिक दबाव डालकर ठंडे बस्ते में डलवा दिया गया है। बीते वर्ष जैसे-तैसे इस प्रक्रिया को शुरू किया गया था, लेकिन आज भी जनशिक्षक सालों से अपने स्थान पर डटे हुए हैं। यही कारण है कि अधिकांश जनशिक्षक स्कूलों में जाकर अफसरी रौब दिखाते हैं
एक जनशिक्षक के भरोसे 45 स्कूल : पथरिया जनपद के जनशिक्षा केंद्र में किशुनगंज में जनशिक्षक कमलेश पटेल एक ऐसे जनशिक्षक हैं जो अकेले ही 45 स्कूल देख रहे हैं। जो कि पूर्व डीपीसी के करीबी माने जाते हैं। जो यहां पर कई सालों से पदस्थ हैं। पूर्व में इनकी कार्यप्रणाली की कई शिकायतें की गई, लेकिन राजनीतिक पकड़ होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई।
की जाएगी कार्रवाई
ग्राम सूखा में शिशु विद्यालय एवं मेलवारा में आर के सनराइज स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं, उन पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। - सुभाष जैन, बीईओ
मैं देखता हूं क्या गड़बड़ी है
मुझे दमोह में आए चार माह ही हुए हैं। आप तेरह साल पहले की बात कर रहे हैं। यदि जनशिक्षकों व बीएसी की नियुक्ति में गड़बड़ी की गई है तो इसकी जांच की जाएगी। - हेमंत खेरवाल, डीपीसी
बिना योग्यता रखे गए जनशिक्षक
शासन के निर्देशानुसार जनशिक्षकों की नियुक्ति के लिए उच्च श्रेणी शिक्षक होना चाहिए। लेकिन दमोह जिले में अधिकांश जनशिक्षकों को राजनीतिक पकड़ के चलते जनशिक्षक बनाया गया है। जो एक ही जगह सालों से पदस्थ हैं। कुछ जनशिक्षक तो अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की चापलूसी करने के कारण बिना परीक्षा दिए ही जनशिक्षक बने बैठै हैं। पथरिया जनपद शिक्षा केंद्र में 7 जनशिक्षा केंद्र हैं। इनमें बोतराई, किशुनगंज, सदगुंवा, कुमेरिया, नरसिंहगढ़, पथरिया, बासांकला शामिल है। जहां पर जगदीश पटेल, घनश्याम अहिरवार, अलीम खान, राकेश श्रीवास्तव सहित दर्जनों ऐसे जनशिक्षक हैं।
राजनीतिक दबाव के चलते ठंडे बस्ते में चली गई फाइल
डीपीसी ने कहा - मैं नया आया हूं दिखवाता हूं
कन्हैया लाल विश्वकर्मा| पथरिया
जिले में बीते तेरह वर्षों से जनशिक्षकों एवं बीएसी की काउंसिलिंग नहीं की गई है। जबकि राज्य शिक्षा केंद्र की गाइड लाइन अनुसार हर तीन साल में काउंसलिंग का प्रावधान है, लेकिन दमोह जिले में अधिकारियों की मनमर्जी से काउंसलिंग का कार्य नहीं कराया गया। इससे काउंसलिंग नहीं हो पाई।
दरअसल, जनशिक्षकों को अफसर बनने के बाद अब उनका मन फिर से स्कूलों में जाकर पढ़ाने में नहीं है। यही कारण है कि जनशिक्षकों द्वारा काउंसलिंग प्रक्रिया को राजनीतिक दबाव डालकर ठंडे बस्ते में डलवा दिया गया है। बीते वर्ष जैसे-तैसे इस प्रक्रिया को शुरू किया गया था, लेकिन आज भी जनशिक्षक सालों से अपने स्थान पर डटे हुए हैं। यही कारण है कि अधिकांश जनशिक्षक स्कूलों में जाकर अफसरी रौब दिखाते हैं
एक जनशिक्षक के भरोसे 45 स्कूल : पथरिया जनपद के जनशिक्षा केंद्र में किशुनगंज में जनशिक्षक कमलेश पटेल एक ऐसे जनशिक्षक हैं जो अकेले ही 45 स्कूल देख रहे हैं। जो कि पूर्व डीपीसी के करीबी माने जाते हैं। जो यहां पर कई सालों से पदस्थ हैं। पूर्व में इनकी कार्यप्रणाली की कई शिकायतें की गई, लेकिन राजनीतिक पकड़ होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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