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EDUCATION: बिना काउंसलर नहीं चल पाएंगे निजी स्कूल

भोपाल। बीते कुछ सालों से स्टूडेन्ट्स के आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब निजी स्कूलों में काउंसलर की अनिर्वयता सुनिश्चित कर दी गई है। माध्यमिक शिक्षा मंडल से संबद्ध सभी स्कूलों में काउंसलर रखना अनिवार्य होगा। बिना काउंसलर के स्कूलों को मान्यता नहीं दी जाएगी।

चूंकि इस बार स्कूलों को मान्यता दी जा चुकी है, इसलिए इस सत्र से ये नियम लागू नहीं होगा। लेकिन अगले सत्र से बिना काउंसलर के निजी स्कूल नहीं चल सकेंगे। बिना काउंसलर नए स्कूलों को मान्यता भी नहीं दी जाएगी।

स्टूडेन्ट्स में सकारात्मक सोच बनाएंगे काउंसलर्स
स्कूल शिक्षा विभाग ने परीक्षा परिणाम के बाद बढ़ते आत्महत्या के मामले, तनाव और अवसाद को रोकने के उद्देश्य से यह फैसला लिया है। ये काउंसलर बच्चों में सकारात्मक सोच पैदा करेंगे और उन्हें आत्महत्या की दुष्प्रवृत्ति से दूर रखने में अहम भूमिका निभाएंगे।

पिछले कुछ सालों से प्रदेश के 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के आत्महत्या के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। खासतौर पर नतीजे आने के बाद ये मामले बेतहाशा बढ़े हैं। ये स्थिति किसी शहर में नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में बनी हुई है। इस गंभीर समस्या को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने काउंसलर्स को स्कूलों में अनिवार्य कर दिया है।


विभाग का मानना है कि बच्चों के आत्महत्या करने के मामलों के बढ़ने का कारण सही समय पर काउंसलिंग नहीं मिल पाना है। चूंकि सरकारी स्कूलों में कॅरियर मार्गदर्शन शिविर आदि आयोजित होते रहते हैं, इसलिए निजी स्कूलों को ही केंद्र में रखा गया है। हालांकि सरकारी स्कूलों में भी समय-समय पर छात्रों की काउंसलिंग की जाएगी।

काउंसलिंग के साथ करियर गाइडेंस भी
स्कूलों के ये काउंसलर छात्रों को कॅरियर मार्गदर्शन भी देंगे। बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की काउंसलिंग करना उनकी प्राथमिकता रहेगी। काउंसलर्स के जरिए परीक्षा से पहले उनमें सकारात्मक सोच पैदा की जाएगी। विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि प्रदेश भर में बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आए हैं जब छात्र तनाव के कारण आत्मघाती कदम उठा लेते हैं।

अधिकारी मानते हैं कि छात्र अपनी समस्या किसी को बता नहीं पाते। अगर पहले से ही मनोवैज्ञानिक तरीके से उन्हें मजबूत कर नकारात्मक सोच खत्म की जाए तो ऐसे मामलों को रोका जा सकता है। उनके मुताबिक निजी स्कूलों में पढ़ाई पर तो फोकस होता है, लेकिन कई बार दूसरे महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया जाता इससे छात्र अवसाद में ऐसे कदम उठा लेते हैं।

लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त नीरज दुबे के मुताबिक - विभाग निजी स्कूलों की मान्यता में काउंसलर रखना जरूरी शर्त के रूप में शामिल कर रहा है। यह कदम छात्र हित में है इसलिए स्कूलों में इनकी नियुक्ति का प्रावधान किया जा रहा है। वहीं प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह ने भी इस फैसले को छात्रों के हित में बताया है।
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