ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने शिक्षकों के लिए ई-अटेंडेंस
की अनिवार्यता पर फिलहाल रोक लगा दी है। मध्य प्रदेश शिक्षक संघ ने
हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ई-अटेंडेंस का विरोध किया था। शिक्षकों का
कहना था कि ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में नेट सुविधा नहीं है। वहीं कई
स्कूलों में बिजली भी नहीं हैं। ऐसे में अटेंडेंस को अनिवार्य रूप से लागू
करने अव्यवहारिक है।
हाई कोर्ट ने बुधवार को ई-अटेंडेंस की अनिवार्यता पर फिलहाल रोक लगा दी है
और शिक्षकों को पुरानी पद्धति यानी मैनुअल अटेंडेंस की सुविधा जारी रखने के
आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि शिक्षकों ने अतिरिक्त संचालक के यहां पिछले
दिनों ई-अटेंडेंस को लेकर प्रदर्शन कर विरोध जताया था।
स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के क्लास से गायब होने की शिकायतों के बाद
ई-अटेंडेंस को अनिवार्य किया था लेकिन पहले ही दिन से अटेंडेंस को लेकर
शिक्षक खफा थे शिक्षकों का मानना था कि उनकी ड्यूटी कभी चुनाव कार्य में तो
कभी प्रशासन दूसरे कार्यों में लगा देता है। ऐसे में हो वह ई-अटेंडेंस
कैसे लगा सकते हैं।
जबकि कुछ शिक्षकों का कहना था कि ई-अटेंडेंस के लिए मोबाइल में नेटवर्क
होना जरूरी है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में हमेशा नेटवर्क रहे इसकी कोई
गारंटी नहीं है। वहीं कई गांव में तो मोबाइल डिस्चार्ज की दशा में उसे
चार्जिंग तक की सुविधा नहीं है। इसलिए व्यवस्था की जाए और पुरानी व्यवस्था
लागू रहने दी जाए।