भास्कर संवाददाता | श्योपुर स्कूल चले हम अभियान के दूसरे चरण में प्रेरकों की तैनाती का निर्णय स्कूल शिक्षा विभाग ने लिया है। इसके लिए पंजीयन की प्रक्रिया आज 12 जून से आरंभ करने को कहा गया है। इस आशय के निर्देश भी कलेक्टर को जारी किए गए हैं।
अभियान का दूसरा चरण 31 जुलाई तक चलना है। इसमें प्रेरकों की भूमिका 5 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा के गलियारों से जोडऩे में रहेगी। मजे की बात यह है कि इस एवज में ना तो उन्हें कोई मानदेय मिलेगा। ना ही शाला प्रबंधन में उपयोगी सुझाव देने या हिसाब-किताब में रूचि लेने का अधिकार होगा। यही नहीं, उनकी तैनाती से पहले उनके चाल-चलन और पृष्ठभूमि का अच्छा-खासा आंकलन भी कराया जाएगा। कक्षा में शिक्षण करने तथा सेवाओं को अनुभव के रूप में भुनाने का मौका भी प्रेरकों को नहीं मिल पाएगा। हां, सहशैक्षणिक गतिविधियों में उनका उपयोग शाला प्रबंध समिति जरूरत के अनुसार जरूर कर पाएगी। प्रावधानों के अनुसार कन्या शालाओं में प्रेरक के तौर पर सिर्फ महिलाओं की ही तैनाती होगी। वहीं समस्त प्रेरक कक्षा 1 से 8 तक संचालित शालाओं में अपना दायित्व निभाएंगे। प्रेरकों के दायित्वों में शत-प्रतिशत बच्चों का प्रवेश, शालात्यागी बच्चों में शाला जाने की ललक, अभिभावकों से संपर्क तथा कक्षाओं में नियमित हाजिरी की सुनिश्चितता शामिल की गई है। कुल मिलाकर अभियान में जुटे अमले के लिए मुफ्त की मदद का जुगाड़ करना विभाग की प्राथमिकता है। भावी पीढिय़ों के भविष्य के प्रति सरोकार रखने वाले कितने लोग आगे आकर पंजीयन कराते हैं यह पता चलना बाकी है।
कौन-कौन बन सकता है प्रेरक
सेवानिवृत्त शिक्षक या कर्मचारी, प्रोफेशनल्स, घरेलू महिलाएं और विद्यार्थी व्यक्तिगत रूप से प्रेरक बनने के पात्र होंगे। इसके अलावा संस्थागत स्तर पर अशासकीय व सामाजिक संगठन भी प्रेरक का दायित्व पा सकेंगे। सहकारिता व सहभागिता पर आधारित औद्योगिक प्रतिष्ठान तथा मीडियाकर्मी भी प्रेरक बनकर अभियान में हाथ बंटा सकते हैं। व्यक्तियों व संस्थाओं की पृष्ठभूमि का परीक्षण शाला प्रबंध समितियां करेंगी।
प्रेरकों को अभियान से संबंधित मूल दायित्वों के अलावा सहशैक्षिक सहयोग भी देना होगा।
श्योपुर में स्कूल जाते बच्चे। (फाइल फोटो)
इस तरह करा सकते हैं पंजीयन
प्रेरक बनने के इच्छुक अपना पंजीयन स्कूल चलें हम अभियान की वेबसाइट पर नाम दर्ज कराते हुए करा सकेंगे। इसके अलावा टॉल फ्री नंबर 0755-2570000 पर मिस्ड कॉल देने से भी आवेदकों का पंजीयन हो जाएगा। डीईओ, डीपीसी, बीईओ, बीपीसी और बीएसी से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करते हुए भी पंजीयन कराया जा सकेगा। पंजीयन के बाद प्रेरकों को सीएमसी स्तर पर सीएसी से प्रशिक्षण भी लेना होगा।
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अभियान का दूसरा चरण 31 जुलाई तक चलना है। इसमें प्रेरकों की भूमिका 5 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा के गलियारों से जोडऩे में रहेगी। मजे की बात यह है कि इस एवज में ना तो उन्हें कोई मानदेय मिलेगा। ना ही शाला प्रबंधन में उपयोगी सुझाव देने या हिसाब-किताब में रूचि लेने का अधिकार होगा। यही नहीं, उनकी तैनाती से पहले उनके चाल-चलन और पृष्ठभूमि का अच्छा-खासा आंकलन भी कराया जाएगा। कक्षा में शिक्षण करने तथा सेवाओं को अनुभव के रूप में भुनाने का मौका भी प्रेरकों को नहीं मिल पाएगा। हां, सहशैक्षणिक गतिविधियों में उनका उपयोग शाला प्रबंध समिति जरूरत के अनुसार जरूर कर पाएगी। प्रावधानों के अनुसार कन्या शालाओं में प्रेरक के तौर पर सिर्फ महिलाओं की ही तैनाती होगी। वहीं समस्त प्रेरक कक्षा 1 से 8 तक संचालित शालाओं में अपना दायित्व निभाएंगे। प्रेरकों के दायित्वों में शत-प्रतिशत बच्चों का प्रवेश, शालात्यागी बच्चों में शाला जाने की ललक, अभिभावकों से संपर्क तथा कक्षाओं में नियमित हाजिरी की सुनिश्चितता शामिल की गई है। कुल मिलाकर अभियान में जुटे अमले के लिए मुफ्त की मदद का जुगाड़ करना विभाग की प्राथमिकता है। भावी पीढिय़ों के भविष्य के प्रति सरोकार रखने वाले कितने लोग आगे आकर पंजीयन कराते हैं यह पता चलना बाकी है।
कौन-कौन बन सकता है प्रेरक
सेवानिवृत्त शिक्षक या कर्मचारी, प्रोफेशनल्स, घरेलू महिलाएं और विद्यार्थी व्यक्तिगत रूप से प्रेरक बनने के पात्र होंगे। इसके अलावा संस्थागत स्तर पर अशासकीय व सामाजिक संगठन भी प्रेरक का दायित्व पा सकेंगे। सहकारिता व सहभागिता पर आधारित औद्योगिक प्रतिष्ठान तथा मीडियाकर्मी भी प्रेरक बनकर अभियान में हाथ बंटा सकते हैं। व्यक्तियों व संस्थाओं की पृष्ठभूमि का परीक्षण शाला प्रबंध समितियां करेंगी।
प्रेरकों को अभियान से संबंधित मूल दायित्वों के अलावा सहशैक्षिक सहयोग भी देना होगा।
श्योपुर में स्कूल जाते बच्चे। (फाइल फोटो)
इस तरह करा सकते हैं पंजीयन
प्रेरक बनने के इच्छुक अपना पंजीयन स्कूल चलें हम अभियान की वेबसाइट पर नाम दर्ज कराते हुए करा सकेंगे। इसके अलावा टॉल फ्री नंबर 0755-2570000 पर मिस्ड कॉल देने से भी आवेदकों का पंजीयन हो जाएगा। डीईओ, डीपीसी, बीईओ, बीपीसी और बीएसी से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करते हुए भी पंजीयन कराया जा सकेगा। पंजीयन के बाद प्रेरकों को सीएमसी स्तर पर सीएसी से प्रशिक्षण भी लेना होगा।
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