सिंगरौली। स्कूली
छात्र-छात्राओं सम्बन्धित योजनाओं में अब स्कूलों की दखल काफी हद तक कम हो
जाएगी। विद्यार्थियों के लिए सरकारी योजनाओं का पैसा बिना किसी हस्तक्षेप
के उनके खातों में डाला जा सकेगा। यह संभव होगा शिक्षा विभाग द्वारा
छात्र-छात्राओं सम्बन्धित सर्वे से।
यह सर्वे गांव तथा शहर दोनों स्तर पर किया जा रहा हैं। शहर में वार्ड स्तर पर विभाग द्वारा उक्त सर्वे करवाया जा रहा हैं जो लगभग अंतिम चरण में पहुंच गया हैं।
जद में पौने दो लाख बच्चे
प्रारंभिक शिक्षा विभाग की ओर से यह सर्वे कार्यहाथ में लिया गया हैं। कक्षा एक से 12 तक अध्ययनरत बच्चे इसके दायरे में लिए गए हैं। अकेले सिंगरौली जिले में सर्वे की जद में एक से आठवीं तक के एक लाख 86 हजार विद्यार्थीआ रहे हैं।
नहीं मिल पाता लाभ
सर्वे का मुख्य उद्देश्य छात्रों सम्बन्धित योजनाओं में होने वाली गड़बडिय़ों पर शिकंजा कसना है। छात्रवृत्ति, गणवेश तथा साइकिल आदि योजनाओं में छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में सीधा अनुदान ट्रांसफर किया जाता हैं। लेकिन लगभग दो से तीन प्रतिशत विद्यार्थियों को विभागीय लापरवाही अथवा कुछ कार्मिकों की गड़बडिय़ों के चलते लाभ मिल नहीं पाता। इसमें सबसे मुख्य कारण खाता नम्बर मैच तथा विद्यार्थियों के डेटा मैच नहीं होना बताया जाता है। इस कारण कई छात्र सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं।
उभरेगी वास्तविक तस्वीर
इस सर्वे के बाद आंगनबाड़ी, सरकारी तथा गैर सरकारी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश सम्बंधी आंकड़ों की वास्तविक तस्वीर सामने लाई जा सकेगी। सूत्रों के अनुसार, फिलहाल कई सरकारी स्कूलों में प्रवेशोत्सव के दौरान प्रशासनिक दबाव पर शिक्षक निजी स्कूलों के बच्चों के आकड़े रिकॉर्ड में दर्शा देते हैं। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी स्कूली बच्चों का अपने केन्द्र पर उल्लेख कर देती हैं। इसके चलते वास्तविक बच्चों का आकड़ा सामने नहीं आ पाता।
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यह सर्वे गांव तथा शहर दोनों स्तर पर किया जा रहा हैं। शहर में वार्ड स्तर पर विभाग द्वारा उक्त सर्वे करवाया जा रहा हैं जो लगभग अंतिम चरण में पहुंच गया हैं।
जद में पौने दो लाख बच्चे
प्रारंभिक शिक्षा विभाग की ओर से यह सर्वे कार्यहाथ में लिया गया हैं। कक्षा एक से 12 तक अध्ययनरत बच्चे इसके दायरे में लिए गए हैं। अकेले सिंगरौली जिले में सर्वे की जद में एक से आठवीं तक के एक लाख 86 हजार विद्यार्थीआ रहे हैं।
नहीं मिल पाता लाभ
सर्वे का मुख्य उद्देश्य छात्रों सम्बन्धित योजनाओं में होने वाली गड़बडिय़ों पर शिकंजा कसना है। छात्रवृत्ति, गणवेश तथा साइकिल आदि योजनाओं में छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में सीधा अनुदान ट्रांसफर किया जाता हैं। लेकिन लगभग दो से तीन प्रतिशत विद्यार्थियों को विभागीय लापरवाही अथवा कुछ कार्मिकों की गड़बडिय़ों के चलते लाभ मिल नहीं पाता। इसमें सबसे मुख्य कारण खाता नम्बर मैच तथा विद्यार्थियों के डेटा मैच नहीं होना बताया जाता है। इस कारण कई छात्र सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं।
उभरेगी वास्तविक तस्वीर
इस सर्वे के बाद आंगनबाड़ी, सरकारी तथा गैर सरकारी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश सम्बंधी आंकड़ों की वास्तविक तस्वीर सामने लाई जा सकेगी। सूत्रों के अनुसार, फिलहाल कई सरकारी स्कूलों में प्रवेशोत्सव के दौरान प्रशासनिक दबाव पर शिक्षक निजी स्कूलों के बच्चों के आकड़े रिकॉर्ड में दर्शा देते हैं। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी स्कूली बच्चों का अपने केन्द्र पर उल्लेख कर देती हैं। इसके चलते वास्तविक बच्चों का आकड़ा सामने नहीं आ पाता।
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