निजी कॉलेज को फायदा पहुंचाने के मामले में ईओडब्ल्यू के दफ्तर में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से करीब 4 घंटे पूछताछ की गई. पूछताछ के लिए अधिकारियों ने करीब 50 सवालों की लंबी फेहरिस्त भी तैयार की थी.
दिग्विजय सिंह से पूछताछ बंद कमरे में की गई. पूछताछ के समय ईओडब्ल्यू ऑफिस में दिग्विजय सिंह के बेटे और वकील मौजूद थे, जबकि बाहर दिग्विजय सिंह के समर्थक डटे रहे.
पूछताछ के बाद ईओडब्ल्यू से बाहर निकले दिग्विजय सिंह ने कहा कि, निजी कॉलेज के समझौता शुल्क को कम किए जाने का फैसला छात्र हित में लिया गया था. इतना ही नहीं दिग्विजय ने दो आईएएस अफसरों पर भी निशाना साधा है.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि, इस मामले में तत्कालीन आईएएस अफसर आर.परशुराम और ए.बी.सिंह से भी पूछताछ की जानी चाहिए. लेकिन राज्य सरकार ने राजनीति प्रतिशोध के कारण अफसरों को छोड़ मुझे पूछताछ की.
दिग्विजय सिंह ने राज्य सरकार पर भी निशाना साधा. दिग्विजय ने कहा कि उन्होने व्यापमं महाघोटाले का मुद्दा उठाया है. यही वजह है कि पूरे 12 साल के पुराने मामले को उठाकर सरकार उनसे बदला ले रही है.
दिग्विजय सिंह ने ईओडब्ल्यू की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं. आरोप है कि पूछताछ के दौरान ईओडब्ल्यू के पास एडमिशन कमेटी के दस्तावेज नहीं थे और न ही वित्त विभाग की कोई परमिशन ली गई थी.
दिग्विजय सिंह का आरोप है कि बीजेपी शिक्षा का व्यवसाय कर अपनी जेबें भर रही है. प्रदेश में रेत की चोरी हो रही है और ईओडब्ल्यू कोई कार्रवाई नहीं कर रही.
क्या है मामला
साल 2000 से 2002 के बीच हुए दाखिलों को शिक्षा विभाग ने नियमों के विरुद्ध माना था और कॉलेज प्रबंधन को करीब 25 लाख रूपए समझौता शुल्क देने का नोटिस जारी किया था, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और तत्कालीन तकनीकी शिक्षामंत्री राजा पटेरिया ने 25 लाख की राशि को कम कर महज 5 लाख रुपए कर दिया था.
इसी मामले में जिला कोर्ट के निर्देश पर ईओडब्ल्यू ने पूर्व शिक्षामंत्री राजा पटेरिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर एफआईआर दर्ज की थी.
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दिग्विजय सिंह से पूछताछ बंद कमरे में की गई. पूछताछ के समय ईओडब्ल्यू ऑफिस में दिग्विजय सिंह के बेटे और वकील मौजूद थे, जबकि बाहर दिग्विजय सिंह के समर्थक डटे रहे.
पूछताछ के बाद ईओडब्ल्यू से बाहर निकले दिग्विजय सिंह ने कहा कि, निजी कॉलेज के समझौता शुल्क को कम किए जाने का फैसला छात्र हित में लिया गया था. इतना ही नहीं दिग्विजय ने दो आईएएस अफसरों पर भी निशाना साधा है.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि, इस मामले में तत्कालीन आईएएस अफसर आर.परशुराम और ए.बी.सिंह से भी पूछताछ की जानी चाहिए. लेकिन राज्य सरकार ने राजनीति प्रतिशोध के कारण अफसरों को छोड़ मुझे पूछताछ की.
दिग्विजय सिंह ने राज्य सरकार पर भी निशाना साधा. दिग्विजय ने कहा कि उन्होने व्यापमं महाघोटाले का मुद्दा उठाया है. यही वजह है कि पूरे 12 साल के पुराने मामले को उठाकर सरकार उनसे बदला ले रही है.
दिग्विजय सिंह ने ईओडब्ल्यू की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं. आरोप है कि पूछताछ के दौरान ईओडब्ल्यू के पास एडमिशन कमेटी के दस्तावेज नहीं थे और न ही वित्त विभाग की कोई परमिशन ली गई थी.
दिग्विजय सिंह का आरोप है कि बीजेपी शिक्षा का व्यवसाय कर अपनी जेबें भर रही है. प्रदेश में रेत की चोरी हो रही है और ईओडब्ल्यू कोई कार्रवाई नहीं कर रही.
क्या है मामला
साल 2000 से 2002 के बीच हुए दाखिलों को शिक्षा विभाग ने नियमों के विरुद्ध माना था और कॉलेज प्रबंधन को करीब 25 लाख रूपए समझौता शुल्क देने का नोटिस जारी किया था, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और तत्कालीन तकनीकी शिक्षामंत्री राजा पटेरिया ने 25 लाख की राशि को कम कर महज 5 लाख रुपए कर दिया था.
इसी मामले में जिला कोर्ट के निर्देश पर ईओडब्ल्यू ने पूर्व शिक्षामंत्री राजा पटेरिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर एफआईआर दर्ज की थी.
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